आरा.
जगजीवन मार्केट में चलनेवाला आंबेडकर पुस्तकालय फल वालों का स्टोर बन गया है. फलवालों के साथ कई अन्य लोग भी इसे अपना स्टोर बन चुके हैं. इसके बावजूद इस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है. इससे शिक्षा के प्रति एवं डॉ आंबेडकर के प्रति प्रशासन के रवैया की झलक मिल जा रही है. जिला मुख्यालय आरा का नामचीन एवं प्राचीन बाजार जगजीवन मार्केट में लोगों की सुविधा के लिए एवं शैक्षणिक क्षेत्र में विकास के लिए डॉ भीमराव आंबेडकर के नाम से लाइब्रेरी स्थापित की गयी है.पुस्तकालय में रहती थीं काफी पुस्तकें
डॉ भीमराव आंबेडकर पुस्तकालय में काफी संख्या में पुस्तक रहती थीं. इनमें सभी क्षेत्र की पुस्तक शामिल थी. इसके साथ दैनिक अखबार एवं पत्रिकाएं भी उपलब्ध रहती थीं. छात्र व अन्य लोग यहां पहुंचकर पुस्तकों से लाभ उठाते थे. वही अखबार पढ़ने के लिए भी काफी संख्या में लोग पहुंचते थे.जर्जर है पुस्तकालय ,लोगों को नहीं मिल रहा लाभ
पुस्तकालय की स्थिति काफी खराब है. अधिकांश पुस्तकें गायब हैं. अब अखबार नहीं आते हैं .पत्रिकाएं भी नहीं आती हैं. लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है .पूर्व में पत्रकार एवं प्रो डॉ प्रदीप सिंह पंकज द्वारा इसका संचालन किया जाता था. उनके निधन के बाद भी कुछ समय तक इसका संचालन हुआ. पर अब इसका कोई कर्ताधर्ता नहीं है. डॉ आंबेडकर के नाम पर अपनी रोटी सेकने वाले लोग भी उनके सम्मान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. पुस्तकालय के रखरखाव की व्यवस्था नहीं की जा रही है.प्रशासन भी नहीं कर रहा है कोई उपाय
प्रशासन द्वारा भी इसके लिए कोई उपाय नहीं किया जा रहा है ताकि लोगों को एवं छात्रों को इसका लाभ मिल सके खासकर पुस्तकों से गरीब छात्रों को लाभ मिल सके डॉ अंबेडकर के नाम का उपयोग आजकल लोग अपने लाभ के लिए कर रहे हैं पर डॉ अंबेडकर के नाम पर स्थापित पुस्तकालय की सुधि कोई नहीं ले रहा है. पुस्तकालय की उपेक्षा पर लोगों में आक्रोश का माहौल है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है