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पानी भरने से आरा-सासाराम रेलखंड पर बना अंडरपास बना मुसीबत का सबब

आवागमन बंद होने से दर्जनों गांवों के लोग परेशान

चरपोखरी.

आरा-सासाराम रेलखंड पर चरपोखरी प्रखंड के बरनी मोड़ के पास बना रेलवे अंडरपास ग्रामीणों के लिए सुविधा की बजाय अब एक बड़ी मुसीबत बन गया है. लगातार बारिश के कारण इस अंडरपास में गर्दन तक पानी भर गया है, जिससे दर्जन भर गांवों का संपर्क प्रखंड मुख्यालय से पूरी तरह टूट गया है.

इस जलभराव के कारण, बलिहारी, इटौर, बरनी, कोरी, पाण्डेयडीह, जनेयाडीह, कुम्हैला, बराड़ और इंग्लिश जैसे गांवों के निवासियों को अब अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए 6 किलोमीटर के सीधे रास्ते की बजाय 17 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है. ग्रामीणों को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि अगर कोई बीमार पड़ता है, तो उसे आपात स्थिति में अस्पताल तक कैसे पहुंचाया जायेगा.

हर साल की यही कहानीस्थानीय निवासी अविनाश राव बताते हैं कि यह समस्या कोई नयी नहीं है. हर साल बरसात के मौसम में ऐसी ही स्थिति पैदा हो जाती है. उनका कहना है कि यह सरकारी प्रोजेक्ट सिर्फ एक बेकार का खर्च साबित हुआ है, जिसका ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. इस संबंध में उन्होंने डीडीयू रेलमंडल को शिकायत भी भेजी है और जल्द समाधान की मांग की है. एक अन्य ग्रामीण, अमरेंद्र कुमार ने बताया कि यह अंडरपास हमारे लिए सुविधा नहीं, बल्कि हर साल आने वाली एक नयी आफत है. चरपोखरी में बरनी मोड़ के अलावा कथराई मोड़ पर भी एक अंडरपास बना है और दोनों की स्थिति एक जैसी है. इसी तरह की समस्याओं के कारण देकुड़ा, नगरी और दुबेडीहरा में अंडरपास बनाने का विरोध हुआ था, जिसके बाद वहां रेलवे गुमटी बनायी गयी. जान जोखिम में डाल रहे लोग, पढ़ाई भी ठपअंडरपास में पानी की गहराई का अंदाजा न होने के कारण वाहनों के फंसने की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही हैं. हाल ही में एक ट्रैक्टर चालक का ट्रैक्टर बीच पानी में फंस गया था, जिससे वह मुश्किल से अपनी जान बचा पाया. इस रास्ते का इस्तेमाल कर बरनी स्थित लाखा उच्च विद्यालय जाने वाले सैकड़ों बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. जिस दिन से पानी भरा है, तब से बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है. कुछ शिक्षक जान जोखिम में डालकर जैसे-तैसे रेलवे लाइन पार कर स्कूल पहुंच रहे हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल जल निकासी की व्यवस्था करने की मांग की है,ताकि उनकी मुश्किलें कम हो सकें और जनजीवन सामान्य हो सके. जब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं होता, तब तक यह संकट बना रहेगा.

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