सिकुड़ कर 10 फुट की हो गयी 40 फुट चौड़ी सड़क
कोईलवर. बीते दो दशकों से जर्जर पड़ी कोईलवर नगर पंचायत की प्रधान मुख्य सड़क के पुनर्निर्माण की चर्चा जोर पकड़ने लगी है. यह सड़क नगर के कई वार्डों को जोड़ती है और कोईलवर चौक से मियांचक, हनुमतधाम, बाजार मुहल्ला, काजी मुहल्ला, आजाद कला मंदिर होते हुए मानसिक अस्पताल तक जाती है. स्थानीय लोगों ने सड़क के पुनर्निर्माण की सूचना पर खुशी जतायी है, लेकिन साथ ही अतिक्रमण और व्यवस्थाओं की विफलता को लेकर चिंता भी व्यक्त की है. सड़क दो दशकों में सिकुड़कर गली जैसी हो गयी है. 30-40 फुट चौड़ी इस सड़क पर अब चलने योग्य जगह 10 फुट से भी कम बची है. दोनों किनारों पर स्थानीय लोगों ने लगभग 20-20 फुट तक अतिक्रमण कर लिया है. इसका असर नागरिकों के रोजमर्रा के आवागमन पर पड़ रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि यदि बाइक के सामने कार आ जाए तो दोनों को जगह देखकर रुकना पड़ता है. पहले यह रास्ता ट्रकों और अन्य बड़े वाहनों के लिए आसानी से उपलब्ध था. अब स्कूल बस, निर्माण सामग्री लेकर आने वाली गाड़ियां, ट्रैक्टर और अन्य बड़े वाहन इस सड़क पर आने से कतराते हैं. किसी आपात स्थिति में एंबुलेंस को भी बड़ी परेशानी होती है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिकों ने नगर कार्यालय को कई बार शिकायत की थी. इसके बाद जिलाधिकारी ने अंचलाधिकारी को आदेश दिया कि नगर की प्रधान मुख्य सड़क, मुख्य सड़क और सहायक सड़कों की नापी कराकर रिपोर्ट सौंपें. सरकारी अमीन की मदद से नापी कर रिपोर्ट तैयार की गयी. इसमें **दो सौ से अधिक अतिक्रमणकारियों को चिह्नित किया गया. हालांकि, रिपोर्ट सौंपे जाने के एक साल से अधिक समय बीतने के बावजूद नगर कार्यालय ने अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. इसके कारण अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ गया है. पहले वे अतिक्रमण हटाने के डर से अपने कब्जे सीमित रखते थे, लेकिन अब वे और अधिक जमीन पर कब्जा कर रहे हैं. स्थानीय निवासियों और व्यापारियों को इससे गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. स्कूली छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल बस दरवाजे तक नहीं आ पाती. उन्हें बच्चों को कोईलवर चौक तक लेकर जाना पड़ता है, जहां से बच्चे बस में बैठ सकते हैं. इसके अलावा निर्माण सामग्री और अन्य जरूरी वस्तुएं भी समय पर नहीं पहुंच पाती हैं. स्थानीय लोग इसे प्रशासन की निष्क्रियता और राजनीतिक असंवेदनशीलता से जोड़कर देखते हैं. कुछ लोग इसे वोट की राजनीति से जोड़ते हैं, तो कुछ प्रशासन के ढुलमुल रवैये को दोषी मानते हैं. कई लोग मानते हैं कि नगर कार्यपालक पदाधिकारी डीएम के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं और अतिक्रमण हटाने में विफल रहे हैं. नगरवासियों का कहना है कि यदि जल्दी कार्यवाही नहीं की गयी तो सड़क पर अतिक्रमण बढ़ता रहेगा और लोगों की परेशानियां और गंभीर हो जायेंगी. सड़क के जर्जर और सिकुड़ी हुई स्थिति ने न केवल नागरिकों की दिनचर्या प्रभावित की है, बल्कि आपातकालीन सेवाओं, स्कूल बसों और आवागमन को भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है. स्थानीय लोग अब नगर प्रशासन से उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सड़क पुनर्निर्माण और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की जाये, ताकि बीते दो दशकों से चली आ रही समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जा सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

