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आरा-सासाराम स्टेट हाइवे पर विकास के नाम पर बना जानलेवा गड्ढा

स्टेट हाइवे के किनारे खोदे गये कच्चे नाले से लोगों को भारी परेशानी

चरपोखरी.

विकास के वादे अक्सर कागजों पर चमकते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत की धूल में वे फीके पड़ जाते हैं. चरपोखरी और अमोरजा बाजार में यही कहानी दोहराई जा रही है, जहां आरा-सासाराम स्टेट हाइवे के किनारे खोदे गये कच्चे नाले ने लोगों की जिंदगी को एक खुली चुनौती में बदल दिया है. यह सिर्फ जल निकासी की समस्या नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता का एक जीता-जागता उदाहरण बन गया है, जो आज स्थानीय लोगों के घरों तक पहुंचने का खतरनाक रास्ता बन कर रह गया है. चरपोखरी निवासी दीपक कुमार, विकी कुमार, कृष्णा सिंह, प्रदीप कुमार सहित अन्य का कहना है कि बारिश का मौसम हर साल आता है और अपने साथ जलजमाव की पुरानी समस्या लेकर आता है, जिसको लेकर हम सभी कई सालों से बाजार में जल निकासी के लिए एक पक्के नाले की मांग कर रहे हैं, जो इस परेशानी का स्थायी समाधान बन सके. मगर इस बार प्रशासन ने हम लोगों की उम्मीदों पर जेसीबी चला दी और सड़क के किनारे फुटपाथ तोड़कर एक करहा जैसा कच्चा और गहरा नाला खोद दिया गया है, जिसकी गहराई चार से पांच फुट तक है. अब स्थिति यह है कि सड़क के पूरब दिशा तरफ के लोगों के लिए अपने घरों से सड़क तक पहुंचना एक जान जोखिम में डालने वाला काम बन गया है.

आने-जाने के लिए लकड़ी का तख्ता बना सहारा :

नब्बे के दशक के पुल की तरह, लोग लकड़ी के तख्ते, बिजली के पुराने खंभे और पत्थरों को पार कर रहे हैं, हर कदम पर मौत का डर महसूस करते हुए. यह सिर्फ़ लोगों की परेशानी नहीं, बल्कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर एक जख्म है, जो हर दिन गहरा होता जा रहा है और बच्चों, बुज़ुर्गों, और महिलाओं के लिए यह कच्चा नाला एक जानलेवा रास्ता बन चुका है.

कारोबार ठप्प, घरों में घुसा गंदा पानी :

दुकानदारों का कारोबार भी इस अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया है. ग्राहक नाले के इस जाल को पार करके दुकानों तक आने से कतरा रहे हैं, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ा है. स्थानीय निवासियों का दर्द यह है कि यह सिर्फ अस्थायी काम है, जिसका कोई स्थायी हल नहीं. पिछले साल भी इसी तरह कच्चे गड्ढे खोदकर छोड़ दिये गये थे, जिससे कोई राहत नहीं मिली. इस बार तो हालात और भी बदतर हैं, क्योंकि गड्ढे पहले से ज़्यादा गहरे हैं.

प्रशासन के खिलाफ रोष :

सबसे ज्यादा त्रासदीपूर्ण बात यह है कि ये गहरे गड्ढे बारिश के पानी के साथ-साथ बाजार का गंदा पानी भी घरों में धकेल रहे हैं. अमोरजा बाजार के निवासी शशिकांत का आरोप है कि यह प्रशासन की नाकामियों को छिपाने की कोशिश है. एक स्थायी पक्के नाले का निर्माण करने के बजाय, अधूरा और बेमानी काम किया गया है, जिसने सैकड़ों लोगों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है.

फुटपाथ तोड़कर बना दिया गया है कच्चा नाला :

सड़क पर पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ अब एक दूर की कौड़ी बन गया है. उन्हें मजबूरन सड़क पर चलना पड़ रहा है, जहां हर गुजरती गाड़ी एक संभावित दुर्घटना का संकेत देती है. यह हालात इस बात की गवाही देते हैं कि विकास के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा है. जिससे लोगों की परेशानी कम होने के बजाय और बढ़ गई है. क्या प्रशासन इस दर्द और परेशानी को देख पा रहा है. या अपनी नाकामियों के अंधेरे में आंखें मूंद ली हैं?

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