-10- प्रतिनिधि, भरगामा प्रखंड के श्रीराम जानकी ठाकुरबाड़ी शंकरपुर परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महायज्ञ के दूसरे दिन श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा. दूर-दराज़ से आए भक्तों ने कथा स्थल पर पहुंचकर आचार्य वेद बिहारी जी महाराज के श्रीमुख से दिव्य प्रसंगों का श्रवण किया व भक्ति रस में सराबोर हो गये. धार्मिक अनुष्ठान का शुभारंभ यजमान संजय सिंह व उनकी धर्मपत्नी अराधना सिंह के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार कर किया गया. इस धार्मिक अनुष्ठान में महंत कमल दास जी महाराज, संत उत्तम दास महत्यागी अयोध्या, संत मुरारी दास जी महाराज पूर्णिया ने भी अपने प्रवचन से लोगों को रसपान कराया. कथा के प्रमुख कथावाचक वृंदावन से पधारे आचार्य वेद बिहारी जी महाराज ने अपने ओजस्वी प्रवचन में कहा कि भागवत कथा जीवन की एक आदर्श संहिता है. उन्होंने समझाया कि यह कोई बाह्य आयोजन नहीं, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की एक प्रक्रिया है. जब मनुष्य धर्म के मार्ग से भटक जाता है, तब समाज में असत्य, भेदभाव, संघर्ष व भ्रम फैलने लगते हैं. ऐसे समय में भगवान अवतरित होकर धर्म की पुनः स्थापना करते हैं. आचार्य जी ने नारियों की भूमिका पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि जैसे लक्ष्मी भगवान विष्णु की सेवा करती हैं, राधा श्रीकृष्ण की, सीता श्रीराम की व पार्वती शिवजी की, उसी प्रकार प्रत्येक नारी को अपने घर में प्रेम, मर्यादा व सेवा भाव से रहना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि नारी को समाज में सदा से ऊंचा दर्जा मिला है. लेकिन उसे अपनी मर्यादा का पालन करते रहना चाहिए. कथा के दौरान उन्होंने रुक्मिणी विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि किस प्रकार भक्ति, श्रद्धा व साधना से रुक्मिणी ने भगवान श्रीकृष्ण को प्राप्त किया.
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