अररिया. न्यायमंडल अररिया के जिला व प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश (एडीजे-01) मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले में भी महिला थानाध्यक्ष ने न्यायालय में ससमय सरकारी गवाहों को प्रस्तुत नहीं किये जाने को लेकर एसपी को पत्र लिखा है. इतना ही नहीं, इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय पटना को भी सूचित किया जायेगा कि उनके आदेश को महिला थानाध्यक्ष गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. एडीजे न्यायालय के एपीपी राजा नंद पासवान ने बताया कि एसपी को दिये पत्र में लिखा गया है कि यदि संबंधित महिला थानाध्यक्ष उनके निर्देशों का पालन करने का इच्छुक नहीं है तो वे उनका वेतन तत्काल बंद करके न्यायालय को सूचित करें व इस संबंध में उनके विरुद्ध कर्तव्य में लापरवाही को लेकर डीजीपी पटना को सूचित करने की बात लिखी गई है. बताया गया कि इस मामले में हाई कोर्ट पटना में दाखिल क्रिमिनल मिसलेनियस नंबर 39851/2024 दिनांक 31 जुलाई 2025 में आदेशित हुआ है कि एसटी 333/2024 महिला थाना कांड संख्या 06/2024 में छह महीने के अंदर सुनवाई पूरी करनी है.हाई कोर्ट पटना के इस आदेश के छह महीने बीतने की कौन कहे, 01 साल बीतने के बाद भी सरकारी गवाहों को प्रस्तुत नही किया गया है, जिसके कारण मुकदमा का निष्पादन नही हो रहा है. एडीजे न्यायलय के एपीपी राजा नंद पासवान ने यह भी बताया कि एडीजे-01 मनोज कुमार तिवारी ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए पाया है कि हाई कोर्ट पटना के आदेश फलक के अवलोकन से स्पष्ट है कि थानाध्यक्ष महिला थाना को दिनाक 21 जुलाई 2025 के माध्यम से स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया था कि वे मामले में बचे दो साक्षियों का साक्ष्य बिना किसी विलंब के करवायें, लेकिन अभी तक दोनों साक्षी साक्ष्य के लिए प्रस्तुत नहीं हुये. दिनांक 12 अगस्त 2025 को पत्रांक संख्या 227 के माध्यम से पुलिस अधीक्षक अररिया को स्पष्ट रूप से निर्देशित भी किया गया था कि साक्ष्यों को प्रस्तुत करने के लिए वे स्वयं संबंधित थानाध्यक्ष को निर्देश दें, परंतु इसके बावजूद भी कोई भी साक्षी प्रस्तुत नहीं हुआ. एडीजे न्यायालय के एपीपी राजा नंद पासवान ने बताया कि एडीजे-01 मनोज कुमार तिवारी को ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस अधीक्षक अररिया को भी न्यायालय के निर्देश का अनुपालन करने में कोई रूचि नहीं है. फिर भी पुलिस व्यवस्था का प्रमुख होने के कारण पुनः उनको निर्देशित किया गया है कि अगली तिथि 18 सितंबर 2025 को दोनों साक्षियों को प्रस्तुत न करने की अवस्था में वे स्वयं जिम्मेदार होंगे.
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