15-प्रतिनिधि, अररिया श्रद्धा भाव के साथ गुरुवार को चैती छठ का पहला अर्घ्य अस्तचलागामी सूर्य भगवान को अर्पित किया गया. बड़ी संख्या में छठ व्रतियों ने छठी मैया की उपासना की. 36 घंटा निर्जला उपवास रहकर लोक आस्था का महापर्व चैती छठ बड़े ही श्रद्धा पूर्वक मनाया. छठव्रतियों ने डूबते भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर सुख समृद्धि व आशीर्वाद मांगा. शहर के परमान नदी घाट, एबीसी नहर, सहित अपने घर में पोखर बनाकर छठ व्रतियों ने पूजा-अर्चना किया. छठ पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह रहा. छठ वर्ती पोखर में तालाब में खड़े होकर हाथों में सूप व डलिया लिए भगवान सूर्य की अस्त होने का इंतजार कर रहे थे. सूर्य देवता जैसे अस्त होने लगे. श्रद्धालुओं ने अर्घ देना शुरू कर दिया. श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य को दूध व जल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लिया. स्थानीय कई घाटों क्लब के द्वारा श्रद्धालुओं के लिए दूध और गंगाजल की भी व्यवस्था की गई थी. छठ पूजा करने वाले के साथ छठ पर्व को देखने के लिए लोगों की भी भारी भीड़ रही ———- अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ देने उमड़े श्रद्धालु 12-भरगामा. प्रखंड के विभिन्न घाटों पर चैती छठ महापर्व के अवसर पर श्रद्धालुओं ने अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया. छठ पूजा हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व भगवान सूर्य व छठी मैया की आराधना का प्रतीक है. जिसमें श्रद्धालु संतान सुख, आरोग्य व समृद्धि की कामना करते हैं. थानाध्यक्ष राकेश कुमार,अपर थानाध्यक्ष दीपक कुमार अपनी टीम के साथ लगातार गश्त पर रहे, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े. ———- उदीयमान सूर्य को आज देंगे अर्घ -13-प्रतिनिधि, नरपतगंज चैती छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन चैत्र शुक्ल षष्ठी यानी गुरुवार की संध्या पहर में नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र के नरपतगंज, फुलकाहा, घूरना सहित विभिन्न छठ घाटों पर अस्तांचलगामी भगवान भास्कर की पूजा संपन्न हो गयी. अधिकांश व्रतियों ने घर में ही भगवान भास्कर को अर्घ दिया. व्रती महिला -पुरुष ने स्नान -ध्यान कर पीला व लाल वस्त्र धारण कर पूरी पवित्रता के साथ हाथों में बांस की कलसूप में ऋतुफल ठेकुआ, ईख, नारियल, केला रखकर डूबते हुए सूर्य अर्घ्य दान किया. अर्घ्य दान को ले व्रतियों ने अपने घर में ही छठ घाट बनाया था. हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में कुछ जगहों पर पोखर व तालाब में जाकर व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया.
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