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सूखने लगा धान का पौधा

मौसम . बारिश नहीं होने के कारण धान की फसल पर मंडराने लगा संकट लगातार तेज धूप और उमसभरी गरमी के कारण खेतों में धान के पौधे सूखने लगे हैं. बारिश की कमी होने पर बड़े भूभाग पर रोपनी प्रभावित होने की आशंका है. अररिया : जिले में लगातार कम बारिश होने के कारण इस […]

मौसम . बारिश नहीं होने के कारण धान की फसल पर मंडराने लगा संकट

लगातार तेज धूप और उमसभरी गरमी के कारण खेतों में धान के पौधे सूखने लगे हैं. बारिश की कमी होने पर बड़े भूभाग पर रोपनी प्रभावित होने की आशंका है.
अररिया : जिले में लगातार कम बारिश होने के कारण इस साल धान की फसल पर संकट मंडराने लगा है. हल्की बारिश और इसके बाद कई दिनों तक लगातार तेज धूप और उमस भरी गरमी के कारण खेतों में लगे धान की फसल सूखने लगे हैं. बारिश के अभाव में बड़े भूभाग पर रोपणी के प्रभावित होने की भी आशंका है. किसान निजी नलकूप व बोरिंग के सहारे खेतों के पटवन के लिए मजबूर हो रहे हैं. जिले में 15 अगस्त तक का समय धन रोपणी के लिए मुफिद माना जाता है.
लेकिन इस बार बारिश के अभाव में धान रोपनी के प्रभावित होने संकट गहरा चुका है. बीते दो माह से जिले में औसत से काफी कम बारिश हुई है. इससे सूखे की स्थिति पैदा होने लगी है. जिला पदाधिकारी हिमांशु शर्मा भी स्थिति अच्छी नहीं होने की बात स्वीकार चुके हैं. डीएम के मुताबिक ऐसी स्थिति कुछ दिन और बने रहने से डीजल अनुदान वितरण की नौबत आ सकती है. इधर कृषि विभाग के अधिकारी के मुताबिक इस साल 93 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य था.
इसमें 95 प्रतिशत भूभाग धान रोपनी संपन्न हो चुका है. धान की खेती के लिए लगातार अच्छी बारिश की जरूरत होती है. ऐसे में बारिश नहीं होने के कारण खेतों में लगे धान की फसल सूखने लगे हैं. तेज धूप के कारण धान के पौधों में कई तरह की बीमारियां होने लगी है. पौधे झौका, ब्लास्ट, हरदा, तनाछेदन, झुलसा व अन्य रोगों से प्रभावित होने लगे हैं. इन रोगों का उपचार तो है लेकिन इसे लेकर किसानों में जागरूकता की कमी उन्हें गहरा नुकसान पहुंचाने लगा है.
बीमारी का समय पर इलाज जरूरी
धान के पौधों में होने वाली बीमारी का समय पर इलाज जरूरी है. कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाये गये इलाज फसल के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं. केवीके के वैज्ञानिक डॉ जावेद इदरिश के मुताबिक झुलसा रोग में टायसाइक्लोजोल का छिड़काव फसल को रोग से मुक्ति दिला सकता है. इसके अलावा हरदा रोग के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, तनाछेदन रोग के लिए कारटोप हाइड्रोक्लारोइड, गांधी कीट से मुक्ति के लिए मिथाइल पाराथियान दवाओं का निर्धारित मात्रा में प्रयोग फसल को नुकसान से बचा सकता है.
बारिश की ऐसी स्थिति रही तो नुकसान होगा
निर्धारित लक्ष्य के 95 प्रतिशत भूभाग पर धान की रोपनी हो चुकी है. मौसम के शुरुआत में बारिश के नतीजे अच्छे रहे. लेकिन धीरे-धीरे इसमें कमी आने लगी है. ऐसी स्थिति कुछ दिन और बनी रही तो फसल को नुकसान हो सकता है.
मनोज कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी
Prabhat Khabar Digital Desk
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