बिहार ललित कला अकादमी की दीवारें इन दिनों रंग-बिरंगी पेंटिंग्स से सजी हैं, जो कलाकारों की सोच, कल्पना और भावनाओं को सजीव बना रही हैं. चित्रकला प्रदर्शनी ‘अभिधा 2025’ में बीते तीन दिनों से 87 कलाकारों की 150 से अधिक कलाकृतियां दर्शकों को अपनी ओर खींच रही हैं. चटख रंगों, पेंसिल वर्क, स्केचिंग और ऑयल पेंटिंग के जरिए कुछ ने प्रकृति को चित्रों में उतारा है, तो किसी ने मां के ममत्व को दर्शाया है. कई पेंटिंग्स में महिला सशक्तिकरण जैसे गंभीर विषयों को भी खूबसूरती से उकेरा गया है. यहां बच्चों की कल्पनाएं, युवाओं की नयी सोच और वरिष्ठों का अनुभव एक साथ देखने को मिल रहा है. इस प्रदर्शनी में शामिल युवा और बाल कलाकारों की सोच, मेहनत और उनकी कला यात्रा पर पेश है यह रिपोर्ट.
कलाकारों ने कहा- प्रदर्शनी ने बढ़ाया है हमारा आत्मविश्वास
1. जूट आर्ट के जरिये समाज की सच्चाई दर्शा रही सुलताना
सुलताना परवीन बचपन से ही चित्रकला से जुड़ी रही हैं. मोकामा की रहने वाली सुलताना ने पटना आर्ट एंड क्राफ्ट कॉलेज से स्नातक और जामिया से पीजी किया है. उन्हें जूट आर्ट पसंद है और उनकी पेंटिंग अक्सर सामाजिक मुद्दों पर आधारित होती हैं. इस प्रदर्शनी में उन्होंने ‘भूले हुए चेहरे’ नामक पेंटिंग प्रदर्शित की है, जिसमें बेघर लोगों की रोजमर्रा की जद्दोजहद और शहर के बीच उनकी अनदेखी जिंदगी को दिखाया गया है. हल्के रंग और गहरे कंट्रास्ट ने इस चित्र को भावनात्मक गहराई दी है. सुलताना कहती हैं कि ऐसी प्रदर्शनी से न सिर्फ दर्शकों का ध्यान समाज की सच्चाई की ओर जाता है, बल्कि कलाकारों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है.
2. ऑयल पेंटिंग से रूबी ने किया है प्रकृति का चित्रण
रुबी कुमारी पिछले सात सालों से ‘विचित्रा’ संस्था से जुड़ी हैं और पेंटिंग को एक हॉबी के रूप में शुरू किया था. अगमकुआं की रहने वाली रुबी ने साल 2018 में पहली बार अपनी पेंटिंग प्रदर्शित की थी. इस बार की प्रदर्शनी में उन्होंने ऑयल पेंटिंग के जरिए महिलाओं की आंतरिक पीड़ा और प्रकृति की सुंदरता को फूलों के माध्यम से दर्शाया है. उनकी पेंटिंग में रंगों का संतुलन और भावनाओं की अभिव्यक्ति बखूबी देखने को मिलती है. रुबी का मानना है कि इस तरह की प्रदर्शनी में हिस्सा लेना, उनके जैसे कलाकारों को मंच देता है और उन्हें अपनी कला को निखारने और साझा करने का अवसर मिलता है.
3. प्रतिमा की पेंटिंग में झलकती है महिलाओं की भावनाएं
दानापुर की प्रतिमा कुमारी मिक्स मीडिया आर्ट पर काम करती हैं और उनकी पेंटिंग मुख्यतः महिलाओं के जीवन पर आधारित होती है. उन्होंने फाइन आर्ट्स की पढ़ाई काशी से की है. उनकी दो पेंटिंग ‘एकांत मन’ और ‘हैप्पी सोल’ प्रदर्शनी में रखी गयी हैं. ‘एकांत मन’ में एक युवती खुद से संवाद करती दिखायी देती है, जबकि ‘हैप्पी सोल’ में आंतरिक खुशी की झलक है. प्रतिमा कहती हैं कि महिलाओं की भावनाएं बहुत गहरी होती हैं, और कला के माध्यम से उन्हें समझाना आसान होता है. उनकी पेंटिंग्स की कीमत 25 हजार से 50 हजार रुपये तक है. उन्हें लगता है कि ऐसी प्रदर्शनी कलाकारों को पहचान और आत्मविश्वास दोनों देती है.
4. टेराकोटा और वुड आर्ट से निखिल दे रहे सामाजिक संदेश
हनुमान नगर के निखिल दयाल पिछले पंद्रह वर्षों से आर्ट में सक्रिय हैं. उन्होंने पटना आर्ट एंड क्राफ्ट कॉलेज से स्कल्पचर की पढ़ाई की और फिर दिल्ली से पीजी किया. इस बार की प्रदर्शनी में उन्होंने महिलाओं की मुस्कान और परिवार के चेहरों को टेराकोटा और वुड आर्ट में दर्शाया है. उनका मानना है कि आर्ट सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि संदेश देने का माध्यम भी है. उनकी कला की कीमत 70 हजार रुपये तक होती है और उनकी कलाकृतियां दिल्ली, कोलकाता, मुंबई जैसी जगहों पर प्रदर्शित हो चुकी हैं. निखिल कहते हैं, इस प्रदर्शनी ने एक बार फिर मेरे भीतर के कलाकार को प्रेरित किया है.
5. क्लासिकल ऑयल पेंटिंग को जीवंत कर रहे अंकित
अंकित कुमार अगमकुआं से हैं और आर्ट एंड क्राफ्ट कॉलेज में प्रिंट मीडियम में ग्रेजुएशन कर रहे हैं. यह उनकी पहली प्रदर्शनी है, जिसमें उन्होंने विलुप्त हो रही क्लासिकल ऑयल पेंटिंग तकनीक को जीवंत करने की कोशिश की है. उनकी प्रेरणा उनकी मां हैं और उन्होंने पेंटिंग में रंगों की कई परतों पर काम किया है, ताकि गहराई और बनावट बनी रहे. अंकित मानते हैं कि क्लासिकल पद्धति को आज के समय में फिर से पहचान दिलाना जरूरी है. पहली ही प्रदर्शनी में मिली सराहना से उन्हें काफी उत्साह मिला है और वे भविष्य में इसी क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते हैं.
6. कनक की ‘ए गर्ल विद आर्ट’ में झलकती है संवेदनशीलता
परसा बाजार की कनक प्रिया ने इस प्रदर्शनी में अपनी पेंटिंग ‘ए गर्ल विद आर्ट’ प्रदर्शित की है. उन्होंने इस चित्र के माध्यम से लड़कियों की संवेदनशीलता और उनकी छुपी भावनाओं को दिखाया है. उनका कहना है कि लड़कियां जब अपनी बात नहीं कह पातीं, तो उनकी आंखें और चेहरे के भाव सब कह जाते हैं. उन्होंने पेंटिंग की बारीकियां मधेश्वर दयाल से सीखी हैं, जिनके प्रेरणा से वे पहली बार इस प्रदर्शनी में भाग ले पाईं. कनक कहती हैं, यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है कि मेरी कला को लोगों ने देखा और सराहा. इससे मुझे आगे और बेहतर करने की प्रेरणा मिली है.