राजगीर (नालंदा) . प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को विश्व विरासत में शामिल करने को लेकर स्थानीय कन्वेंशन हॉल में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के अंतिम दिन मंगलवार को कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर वक्ताओं ने चर्चा की. भारतीय पुरातत्व विभाग एवं यूनिवर्सिटी ऑफ नालंदा द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों एवं सक्षम पदाधिकारियों ने विचारों का आदान-प्रदान किया. कार्यशाला के दूसरे दिन के सत्र में यह निर्णय लिया गया कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के चारों ओर फैले पुरातात्विक भगAावशेषों को संकलित कर उसे विश्व विरासत में शामिल किया जाये. नालंदा विश्वविद्यालय के फेलो डॉ एमबी रजनी ने अत्याधुनिक रिमोट सेंसिंग विधि का उपयोग करते हुए कई तथ्यों का खुलासा किया. भारतीय पुरातत्व विभाग के निदेशक एस बद्रीनाथ ने नालंदा विश्वविद्यालय को विश्व धरोहर में शामिल किये जाने वाले कई तथ्यों का खुलासा किया. साथ ही नालंदा विश्वविद्यालय के पुरातात्विक भगAावशेषों की बेहतर देखभाल, सुरक्षा, संरक्षा एवं प्रबंध के लिए परिसर से सटे वैसे स्थानों को चिह्न्ति कर आवश्यकतानुसार कार्य करने पर बल दिया. यूनिवर्सिटी ऑफ नालंदा की कुलपति डॉ गोपा सबरबाल ने कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय पूरे विश्व में अपनी पहचान एवं महत्व रखता है और यह विश्व धरोहर में शामिल किये जाने की सभी आवश्यक मानक पूरा करता है. इसे विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार भी प्रयासरत है. उसी संदर्भ में स्थानीय अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन हॉल में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इस कार्यशाला में फोटो वर्कशॉप भी लगाया गया. इसके माध्यम से नालंदा विश्वविद्यालय के मानक गुणों और पुरातन दृश्य का अवलोकन किया गया. नालंदा विश्वविद्यालय को विश्व धरोहर में शामिल किये जाने के दावों को और मजबूती मिलेगी और इस संबंध में आने वाली कठिनाइयों को दूर किया जा सकेगा. उन्होंने स्थानीय प्रशासन द्वारा मिल रहे सहयोग की प्रशंसा करते हुए आगे भी इसी तरह के सहयोग की अपील की. इस मौके पर एसआइ के क्षेत्रीय प्रमुख एमएस चौहान, सोमी चटर्जी, प्रो शैलेंद्र नाथ मेहता, डॉ ए नाथ, एसके मंजूल सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.
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नालंदा विवि के अवशेष होंगे संरक्षित
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Prabhat Khabar Digital Desk
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