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बिहार : जदयू के चार बागियों की विधायिकी गयी

पटना: इस वर्ष जून में हुए राज्यसभा उपचुनाव में दल के अधिकृत प्रत्याशियों की खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा करनेवाले जदयू के चार बागी विधायकों की बिहार विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गयी है. चार माह से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने शनिवार को राजनीतिक […]

पटना: इस वर्ष जून में हुए राज्यसभा उपचुनाव में दल के अधिकृत प्रत्याशियों की खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा करनेवाले जदयू के चार बागी विधायकों की बिहार विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गयी है. चार माह से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने शनिवार को राजनीतिक रूप से दूरगामी महत्ववाला यह फैसला सुनाया.

इन विधायकों में ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू (बाढ़), नीरज कुमार सिंह बबलू (छातापुर), राहुल शर्मा (घोसी) और रवींद्र राय (महुआ) शामिल हैं. इन्हें 15 वीं विधानसभा के सदस्य रहने के नाते पूर्व विधायक के रूप में मिलनेवाली सुविधाओं से भी वंचित कर दिया गया है. विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से चुनाव आयोग को अवगत करा दिया गया है. विधानसभा सचिवालय ने चारों सीटों पर जल्द उपचुनाव कराने का अनुरोध किया है. वहीं, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि सदस्यता समाप्त होते ही चारों विधायकों की पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी समाप्त हो गयी है. इधर, स्पीकर के इस फैसले को इन निवर्तमान विधायकों ने पूर्वाग्रह से ग्रसित और नीतीश कुमार के इशारे पर लिया गया फैसला बताते हुए इसके खिलाफ हाइकोर्ट में अपील दायर करने का एलान किया है.

चारों निवर्तमान विधायकों पर राज्यसभा उपचुनाव में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवारों को खड़ा करने, उनके प्रस्तावक बनने, उनके निर्वाची पदाधिकारी व पोलिंग एजेंट बनने के साथ-साथ स्वत: दल का परित्याग करने का आरोप है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के निर्देश पर जदयू के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने 21 जून को उनकी सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश स्पीकर से की थी. 19 जून को राज्यसभा के लिए हुए मतदान में जदयू के अधिकृत प्रत्याशियों पवन कुमार वर्मा और गुलाम रसूल बलियावी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में साबिर अली और अनिल शर्मा खड़े थे.

फैसले को लेकर शनिवार की सुबह 11:30 बजे से ही विधानसभा सचिवालय में गहमागहमी बढ़ गयी. बागी विधायकों के अधिवक्ता शशिभूषण कुमार मंगलम को शुक्रवार की रात विधानसभा सचिवालय की ओर से सूचना दी गयी थी कि शनिवार को दोपहर एक बजे अंतिम फैसला सुनाया जायेगा. इसलिए विधानसभा कोर्ट में मौजूद रहें. इसके बाद एक-एक कर जदयू के बागी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज कुमार सिंह बबलू, रवींद्र राय, अजीत कुमार, पूनम देवी और सुरेश चंचल पहुंचे. इससे पहले सरकार की ओर से परामर्शी पीके शाही और स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने करीब एक घंटे तक विचार-विमर्श किया. दोपहर करीब एक बजे स्पीकर ने संविधान की 10 वीं अनुसूची का हवाला देते हुए चार बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का फैसला सुनाया. स्पीकर ने अपने फैसले में इस आरोप को सही माना कि इन विधायकों के आचरण से स्पष्ट है कि उन्हें जदयू की नीतियों में आस्था नहीं है और उन्होंने स्वेच्छा से दल का परित्याग कर दिया है.

विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के बाद विधानसभा सचिवालय ने इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी. विधानसभा के प्रभारी सचिव हरेराम मुखिया ने फैसले की प्रति चुनाव आयोग को भेज कर महुआ, घोसी, बाढ़ और छातापुर विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराने की अनुशंसा की है. ये सीटें रिक्त हो गयी हैं.

राहुल व रवींद्र को नहीं मिलेंगे पेंशन व रेल कूपन

जिनकी सदस्यता खारिज की गयी है, उन्हें 15वीं विधानसभा में सदस्य रहने के एवज में कोई सुविधा नहीं मिलेगी. विधानसभा सचिवालय ने सरकार को पत्र लिख कर कहा है कि 15वीं विधानसभा के गठन की तिथि से फैसला आने तक की तिथि तक विधानसभा के सदस्य रहने के एवज में चारों विधायकों को पूर्व विधायक की हैसियत से कोई सुविधा नहीं मिलेगी. यानी पहली बार जीतेवाले दो विधायकों राहुल शर्मा और रवींद्र राय पूर्व विधायक के रूप में पेंशन और यात्र कूपन की सुविधाओं से वंचित हो जायेंगे. सरकार की ओर से पूर्व विधायकों को यही दो सुविधाएं दी जाती हैं. दो अन्य बागी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और नीरज कुमार सिंह 15 वीं विधानसभा के पहले भी बिहार विधानसभा के सदस्य रहे हैं, इसलिए उन्हें पहले के कार्यकाल की पेंशन और यात्र कूपन दिया जायेगा.

ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू दूसरी बार बाढ़ विधानसभा क्षेत्र से 2010 में विधायक निर्वाचित हुए थे. समता पार्टी के गठन के समय से हाल तक इन्हें नीतीश कुमार का करीबी माना जाता था. छातापुर के विधायक नीरज कुमार बबलू तीसरी बार 2010 में निर्वाचित हुए थे. इसके पहले वह सुपौल जिले के ही राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से वह फरवरी और नवंबर, 2005 में विधायक निर्वाचित हुए थे. पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा पहली बार 2010 में घोसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे. जबकि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के करीबी माने जानेवाले रवींद्र राय भी 2010 में पहली बार महुआ विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे.

क्या है आदेश

स्पीकर ने अपने 25 पन्नों के आदेश में लिखा है, चारो सदस्य अपने मूल राजनीतिक दल जदयू के रूप में बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं. राज्यसभा उपचुनाव में उन्होंने दल के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ दो निर्दलीय उम्मीदवार अनिल कुमार शर्मा और साबिर अली को खड़ा कराया. दलीय उम्मीदवार को परास्त करने के लिए उन्होंने सक्रिय रूप से कार्य किया. उनका यह कृत्य, आचरण और व्यवहार इस बात के अकाटय प्रमाण हैं, उन्हें अपने मूल राजनीतिक दल की नीतियों एवं निर्णयों में कोई आस्था नहीं है. दल का अनुशासन भी स्वीकार्य नहीं है. संविधान की 10 वीं अनुसूची की धारा -2,1 -ए के तहत कोई सदस्य अपने मूल राजनीतिक दल की सदस्यता का स्वेच्छा से परित्याग करता है, तो ऐसी स्थिति में वह विधानसभा की सदस्यता से निर्हरित माना जायेगा.

सीएम ने कहा, मुङो कुछ नहीं कहना

जदयू के चार बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त हो जाने के विधानसभाध्यक्ष के फैसले पर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. बिजली कंपनियों की वर्षगांठ के मौके पर अधिवेशन भवन में आयोजित कार्यक्रम में आये मुख्यमंत्री से जब संवाददाताओं ने इस संबंध में पूछा, तो ने कहा कि मुङो इस संबंध में कुछ नहीं कहना है.

दल में लागू नहीं होती 10वीं अनुसूची

जदयू के बागी विधायकों के अधिवक्ता शशिभूषण कुमार मंगलम ने कहा कि 10वीं अनुसूची को आधार मान कर जो फैसला सुनाया गया है, वह किसी पार्टी या दल में लागू नहीं होती है. बावजूद इसके नियम, संविधान को ताक पर रख कर फैसला सुना दिया गया. फैसले में कहा गया है कि विधायकों ने स्वत:दल का परित्याग किया है. अगर ऐसा भी होता तो किसी विधायक की सदस्यता एक टर्म के लिए खत्म होती, लेकिन अब तक जितनी बार भी वे विधायक चुने गये हैं, उस समय का लाभ भी फैसले के जरिये उनसे छीना गया.

चार अन्य बागी विधायकों पर फैसला 22 को

जदयू के चार और विधायकों पर सदस्यता समाप्ति की तलवार लटक रही है. ये हैं – अजीत कुमार, पूनम देवी, राजू कुमार सिंह और सुरेश चंचल. 22 नवंबर को इनके मामले में विधानसभाध्यक्ष के कोर्ट का फैसला आयेगा.संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार के शनिवार को पटना में मौजूद नहीं रहने की वजह से इन चारों विधायकों की गवाही की अगली तारीख 22 नवंबर तय की गयी है. इन विधायकों पर भी राज्यसभा चुनाव में दल विरोधी कार्य करने, अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय को खड़ा करने के आरोप हैं.

ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू

विधानसभा क्षेत्र : बाढ़

निर्वाचन : दूसरी बार

क्या कहा : स्पीकर ने नीतीश कुमार के इशारे पर फैसला सुना दिया. इस तुगलकी फरमान के खिलाफ सोमवार को कोर्ट में याचिका दाखिल करूंगा.

नीरज बबलू

विधानसभा क्षेत्र : छातापुर

निर्वाचन : तीसरी बार

क्या कहा : फैसले से लोकतंत्र की हत्या हो गयी है. इससे पता चलता है कि स्पीकर कितना पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं. इस फैसले की जड़ में नीतीश कुमार हैं.

रवींद्र राय

विधानसभा क्षेत्र : महुआ

निर्वाचन : पहली बार

क्या कहा : इसका अंदाजा पहले से ही था. सुनवाई के दौरान स्पीकर ने हमें परेशान किया. उससे पहले ही साफ गया था कि न्याय की उम्मीद करना बेकार है.

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