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मंदिर में पुजारी पिता ने बेटी को बनाया तलवारबाज, अब ओलंपिक में देश का नाम रौशन करेंगी भवानी

Tokyo Olympics 2020, Bhavani devi : 2017 में आइसलैंड में पहली इंटरनेशनल टूर्नामेंट जीतनेवाली भवानी वो महिला हैं, जिन्होंने पहली बार तलवारबाजी में पदक जीतकर उसे भारत की झोली में डाला था.

Tokyo Olympics 2020 : भारत में तलवारबाजी तेजी से बढ़ता खेल है. खासकर तलवारबाज चदलवदा अनंधा सुंदररमन भवानी देवी (सीए भवानी देवी) के तोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने के बाद यह खेल सुर्खियों में है. भवानी देवी पहली भारतीय तलवारबाज हैं, जो ओलिंपिक में महिलाओं की व्यक्तिगत सेवर स्पर्धा में हिस्सा लेंगी. दुनिया की 45वीं रैंकिंग वाली भवानी ने हंगरी में आयोजित फेंसिंग वर्ल्ड में एडजस्टेड ऑफिशियल रैंकिंग (एओअार) पद्धति के माध्यम से ओलिंपिक का कोटा हासिल किया है.

2017 में आइसलैंड में पहली इंटरनेशनल टूर्नामेंट जीतनेवाली भवानी वो महिला हैं, जिन्होंने पहली बार तलवारबाजी में पदक जीतकर उसे भारत की झोली में डाला था. भवानी देवी आठ बार की नेशनल चैंपियन रह चुकी हैं और ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि भवानी 2016 के रियो ओलिंपिक में जगह नहीं बना पायी थीं. इतनी काबिलियत के बावजूद भवानी देवी अब तक गुमनामी में रह रही थी. उनसे ओलिंपिक में पदक की उम्मीद रहेगी, साथ ही उन पर चीन, अमेरिका और जापान के तलवारबाजों से पार पाने की चुनौती रहेगी.

भवानी के पिता मंदिर के पुजारी व मां गृहिणी हैं

भवानी देवी का जन्म 27 अगस्त, 1993 को तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था. उनके पिता एक मंदिर के पुजारी और मां गृहिणी हैं. 10 साल की उम्र से ही उन्हें इस खेल से जुड़ाव हो गया था. देवी ने अपने गृहनगर के मुरुगा धनुष्कोडी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में और फिर सेंट जोसेफ इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई की.

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2014 में एशियाई चैंपियनशिप में रजत जीता

भवानी देवी फिलिपींस में 2014 एशियाई चैंपियनशिप अंडर-23 श्रेणी में रजत पदक जीतनेवाली पहली भारतीय थीं. उन्होंने 2019 में सेवर इवेंट में कैनबरा में सीनियर कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतनेवाली पहली भारतीय बनकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया. वर्तमान में वो दुनिया में 45वें स्थान पर हैं. उनकी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग 36 रह चुकी है.

भवानी का 2004 में हुआ तलवारबाजी से परिचय

भवानी 2004 में नये स्कूल में गयी, तो वहां खेलों के लिए सभी क्लास से छह-छह बच्चों के नाम लिये जा रहे थे. जब भवानी अपना नाम देने गयी, तो सभी खेलों में बच्चों का चयन हो चुका था. सिर्फ फेंसिंग में किसी बच्चे ने नाम नहीं लिखवाया था. भवानी ने इस नये गेम में नाम लिखवाया और ट्रेनिंग शुरू कर दी. बाद में उन्हें यह खेल अच्छा लगने लगा और उन्होंने अपना फोकस इसी गेम पर लगा दिया. हायर सेकेंडरी परीक्षा के बाद भवानी ने तलवारबाजी के कौशल को विकसित करने के लिए केरल के थालास्सेरी में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साइ) का सेंटर जॉइन कर लिया, जो देश के गिने-चुने सेंटरों में से एक है, जहां तलवारबाजी के प्रशिक्षण की सुविधा है.

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