खेलो के महाकुंभ कहे जाने वाले ओलिंपिक गेम्स चार साल में एक बार आयोजित किये जाते हैं. जापान के लिए यह दूसरा मौका था, जब उसे पिछले साल इस महाकुंभ की मेजबानी करने का मौका मिला. इससे पहले जापान में ओलिंपिक 1964 में आयोजित किया गया था. कोरोनावायरस महामारी के कारण 2020 में होने वाले ओलिंपिक का आयोजन 2021 में किया गया. उस वक्त किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि टोक्यो ओलंपिक में इतने खर्च होंगे. 2013 में जब जापान को मेजबानी सौंपी गयी थी, उससे दोगुना खर्च हुआ. टोक्यो ओलिंपिक में करीब 1.42 ट्रिलियन येन ( लगभग 8.19 खरब रुपये) खर्च हुये.
डॉलर के उतार-चढ़ाव से बढ़ा खर्च
2021 में जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित ओलिंपिक की शुरुआत 23 जुलाई को हुई. यह आयोजन 8 अगस्त 2021 तक चला. कोरोना महामारी की वजह से हर देश को कुछ न कुछ आर्थिक संकट से जूझना पड़ा है. टोक्यो ओलिंपिक अधिकारियों ने मंगलवार को एक बैठक की जिसमें इन खेलों के जुड़े खर्च के अंतिम विवरण पेश किये गये. डॉलर और जापान की मुद्रा येन के बीच विनिमय दर में हालिया उतार-चढ़ाव के कारण खर्च हुए पैसे का अंदाज लगाना काफी चुनौतीपूर्ण रहा. इस आयोजन समिति को इस महीने के आखिर में खत्म कर दिया जायेगा.
सबसे उच्चतम स्तर पर था येन के मुकाबले डॉलर
पिछले साल जब खेलों का आयोजन शुरू हुआ था, तब एक डॉलर लगभग 110 येन के बराबर था. जबकि सोमवार को यह 135 येन के करीब रहा. येन के मुकाबले डॉलर का लगभग 25 वर्षों में उच्चतम स्तर है. जब ये खेल संपन्न हुए थे तब आयोजकों ने इसमें 15.4 बिलियन डॉलर (लगभग 12 खरब रुपये) के खर्च होने का अनुमान लगाया था. इसके चार महीने के बाद आयोजकों ने कहा कि इसकी कुल लागत 13.6 बिलियन डॉलर (लगभग 10.61 खरब रुपये) है. उन्होंने कहा कि प्रशंसकों के स्टेडियम में नहीं होने से इसमें बड़ी बचत हुई है. सुरक्षा लागत, स्थल रख रखाव आदि पर खर्च कम हुए. इससे हालांकि आयोजकों को टिकट बिक्री से होने वाली आय का नुकसान भी हुआ.
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