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खेल संहिता में ‘VIP” प्रावधान पर नरमी बरत सकती है सरकार, विशेषज्ञ पैनल गठित होगा

नयी दिल्ली : खेलमंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा कि सरकार प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल संहिता में उस प्रावधान में रियायत देने के लिए तैयार थी जिसमें मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के देश में खेल प्रशासन का हिस्सा बनने से रोक लगी है और उन्होंने इस विवादास्पद मुद्दे को देखने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल […]

नयी दिल्ली : खेलमंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा कि सरकार प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल संहिता में उस प्रावधान में रियायत देने के लिए तैयार थी जिसमें मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के देश में खेल प्रशासन का हिस्सा बनने से रोक लगी है और उन्होंने इस विवादास्पद मुद्दे को देखने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल के गठन का भी वादा किया.

राष्ट्रीय खेल महासंघों और भारतीय ओलिंपिक संघ के अधिकारियों के साथ शुक्रवार को यहां पहली औपचारिक मुलाकात के बाद रीजीजू ने कहा कि सरकार और आईओए के बीच संहिता के मुद्दे पर कोई मतभेद नहीं है, लेकिन साथ ही उन्होंने जोर दिया कि आज इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई. रीजीजू ने कहा, खेल संहिता सिर्फ एक चीज का हिस्सा है जिसे हम महत्वपूर्ण समझते हैं, लेकिन हमारा मुख्य उद्देश्य खेलों को बढ़ावा देना है. खेल संहिता के संदर्भ में हमने पहले ही फैसला ले लिया है कि यह एक तकनीकी मुद्दा है, यह मुद्दा नीति से संबंधित है इसलिए एक विशेषज्ञ समिति उचित समय पर इस मुद्दे पर गौर करेगी. उन्होंने कहा, आईओए सभी खेल महासंघों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है. जब आईओए अध्यक्ष ने कहा कि वह आज की बैठक से संतुष्ट हैं तो इसका मतलब है कि हम एक साथ हैं. टकराव की कोई बात नहीं है.

खेल मंत्री ने बैठक से पहले कहा था कि सरकार सभी को स्वीकार्य खेल संहिता ही लागू करेगी. उन्होंने कहा, खेल प्रशासन को लेकर हम किसी एक पेशे को नहीं चुन सकते. यह कहना गलत होगा कि व्यवसायी या राजनीतिज्ञ खेल प्रशासन का हिस्सा नहीं हो सकते. उन्होंने कहा, बात पेशे की नहीं है, बल्कि यह देखना होगा कि खेल प्रशासन को चलाने के लिए कौन योग्य है. हमें देखना होगा कि खेल के हित में क्या है. आईओए के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, असल में खेल संहिता पर आज कोई चर्चा ही नहीं हुई. मेरा मानना हे कि खेल मंत्री जानते हैं कि आईओए और एनएसएफ खेल संहिता और प्रस्तावित बदलावों के मसौदे के विरोध में हैं. उन्होंने सीधे कहा कि एक नयी समिति गठित की जायेगी जो खेल संहिता के मामले को देखेगी.

पूर्व खेल संहिता के बारे में उन्होंने कहा, हम उसमें से अच्छे प्रावधान ले सकते हैं और इन्हें शामिल कर सकते हैं. यह भारतीय खेलों के लिए अच्छा होगा. अधिकांश एनएसएफ 70 वर्ष की उम्र की सीमा और कार्यकाल के प्रावधान के खिलाफ है. इसके अलावा उस प्रावधान का भी विरोध किया गया है जो राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों को आईओए और एनएसएफ का पदाधिकारी बनने से रोकता है. यह पूछने पर कि क्या कोई बीच का रास्ता निकल सकता है, रीजीजू ने कहा, कोई बीच का रास्ता नहीं है. हम सभी साथ में हैं. मुझे ऐसी खेल संहिता चाहिए जो सभी को स्वीकार्य हो और किसी विवाद को जन्म नहीं दे.

उन्होंने कहा, खेल के मसलों में अदालत को दखल क्यों देना पड़ रहा है. इसके मायने हैं कि खेल की व्यवस्था नाकाम रही है. हम सभी साथ मिलकर चलेंगे तो कोई मसला ही नहीं होगा. यह पूछने पर कि आईओए के खेल संहिता में आने के मायने सरकारी दखल होगा जो आईओसी के चार्टर के खिलाफ है, रीजीजू ने कहा, संप्रभुता नाम की भी कोई चीज है. क्या कोई इससे बाहर रहकर काम कर सकता है. आईओए अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने सरकार के विशेषज्ञ समिति गठित करने के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, बिलकुल, हम इसके पक्ष में हैं. आने वाले दिनों में एक समिति गठित की जायेगी. हम चर्चा करेंगे और इसे आगे बढ़ायेंगे. हम आज की चर्चा पर संतुष्ट हैं. मुझे लगता है कि हमें 2020, 2024 और 2028 ओलिंपिक पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए.

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