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अभ्यास के लिए देर से पहुंचने वाले अमित पंघाल ने रजत पदक के साथ रचा इतिहास

नयी दिल्ली : विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में शनिवार को रजत पदक जीत कर इतिहास रचने वाले भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल (52 किग्रा) शुरुआत दिनों में प्रशिक्षण के लिए देर से पहुंचने के लिए जाने जाते थे. एशियाई खेलों और ऐशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुके रोहतक के इस छोटे कद के खिलाड़ी को रूस […]

नयी दिल्ली : विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में शनिवार को रजत पदक जीत कर इतिहास रचने वाले भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल (52 किग्रा) शुरुआत दिनों में प्रशिक्षण के लिए देर से पहुंचने के लिए जाने जाते थे.

एशियाई खेलों और ऐशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुके रोहतक के इस छोटे कद के खिलाड़ी को रूस के एकातेरिनबर्ग में चल रही प्रतियोगिता के फाइनल में ओलंपिक चैम्पियन उज्बेकिस्तान के शाखोबिदिन जोइरोव से 0-5 से हार का सामना करना पड़ा.

उन्होंने कहा कि शुरुआती दिनों में वह अपने रवैये को लेकर काफी बेपरवाह थे जिससे कई बार कोच भी निराश हो जाते थे. सेना में सूबेदार के पद पर तैनात 23 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, यह सच है, मैं सप्ताहांत (छुट्टी के दिनों) में शिविर छोड़ देता था. मेरे पास धैर्य की कमी थी.

कोच मुझ पर गुस्सा करते थे लेकिन मैं ज्यादा परवाह नहीं करता था. उस समय मुझे लगता था कि हमें छुट्टियां कम मिल रही हैं और मैं हमेशा से उसका पूरा इस्तेमाल करना चाहता था. राष्ट्रीय कोच सीए कटप्पा ने भी पंघाल की इस हरकत को याद करते हुए कहा, हां, हम उससे परेशान रहते थे. वह छुट्टियों से समय पर वापस नहीं आता था, अभ्यास के लिए भी समय पर नहीं पहुंचता था, लेकिन उसका खेल शानदार था, हम सिर्फ अनुशासनहीनता के कारण उसे खोना नहीं चाहते थे.

यह बात है 2016 की लेकिन अगले साल पंघाल ने पहली बार एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लेते हुए कांस्य पदक हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. पंघाल ने कहा, मैं उन सभी कोचों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने बेपरवाह रवैये के बाद भी मुझे नहीं छोड़ा. उनके धैर्य के कारण ही मैंने अपने खेल को अधिक गंभीरता से लेना शुरू किया. फिर ऐसा समय भी आया जब मैं महीने में एक बार घर जाता था. वह भी तब, जब कोच मुझे खुद छुट्टी लेने के लिए कहते थे.

पुरानी आदत जल्दी नहीं छूटती और पंघाल को प्यार से बच्चू बुलाने वाले कटप्पा ने कहा कि विश्व चैम्पियनशिप के दौरान भी वह एक बार प्रशिक्षण के लिए देरी से पहुंचे. उन्होंने कहा, देर से पहुंचने पर मैंने उससे जुर्माने के रूप में एक हजार रुपये देने की मांग की, फिर उसका प्रशिक्षण शुरू हुआ.

इस बारे में पूछे जाने पर पंघाल ने कहा, अब मैं अभ्यास शिविर से सबसे बाद में जाता हूं। हर कोई वहां से चला जाता है, लेकिन मैं अभ्यास जारी रखता हूं. समय खत्म होने के बाद भी मैं उन्हें (कोचों को) अभ्यास के लिए साथ रहने के लिए मजबूर करता हूं.

प्रशिक्षण को लेकर अब मेरा दृष्टिकोण काफी बदल गया है. अब मैं कोचों को परेशान कर रहा हूं. ओलंपिक कार्यक्रम से 49 किग्रा भार वर्ग के हटने के बाद उन्होंने 52 किग्रा में खेलने का फैसला किया. इस बदलाव के बारे में पूछे जाने पर पंघाल ने कहा कि उन्हें अभी अपने खेल में काफी सुधार करना है.

उन्होंने कहा, मैंने जितना सोचा था, यह उतना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसमें सामंजस्य बिठाने में मुझे समय लगा. अभी पूरी तरह से सामंजस्य नहीं बैठा है. मैं अपनी पूरी क्षमता का केवल 65 से 70 प्रतिशत इस्तेमाल कर पा रहा हूं. मुझे अपनी पंच को तकतवार बनाना होगा ताकि कम कद के कारण होने वाले नुकसान की भरपायी कर सकूं.

यह जरूरी है क्योंकि इस वर्ग में ज्यादातर मुक्केबाज मेरे से ज्यादा लंबाई के हैं. लेकिन मैं मेहनत कर रहा हूं. पंघाल ने कहा कि अब उनकी नजरें ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने पर है. उन्होंने कहा, मेरा अगला लक्ष्य ओलंपिक के लिए जगह पक्का करना है. मेरे लिये यह पहली बार होगा.

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