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इतिहास बनाने उतरेंगे भारतीय मुक्केबाज ”अमित पंघाल’, विश्व चैंपियनशिप में आज फाइनल मुकाबला

एकातेरिनबर्ग: विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंच कर भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल ने इतिहास रच दिया है. ऐसा करने वाले अमित भारत के पहले मुक्केबाज हैं. अमित पंघाल ने 52 किग्रा वेट कैटेगरी में ये उपलब्धि हासिल की है. इससे पहले सेमीफाइनल में पहुंचते ही उन्होंने टोक्यो ओलंपिक का टिकट कटा लिया था. अमित […]

एकातेरिनबर्ग: विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंच कर भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल ने इतिहास रच दिया है. ऐसा करने वाले अमित भारत के पहले मुक्केबाज हैं. अमित पंघाल ने 52 किग्रा वेट कैटेगरी में ये उपलब्धि हासिल की है. इससे पहले सेमीफाइनल में पहुंचते ही उन्होंने टोक्यो ओलंपिक का टिकट कटा लिया था.

अमित पंघाल ने सेमीफाइनल मुकाबले में कजाकस्तान के साकेन बिबोसिनोव को 3-2 से हराया. विश्व में दूसरी वरीयता प्राप्त पंघाल शनिवार यानी आज उज्बेकिस्तान के शाकोबिदिन जोइरोव से भिड़ेंगे जिन्होंने सेमीफाइनल में फ्रांस के बिलाल बेनामा को हराया था. जीत के बाद अमित पंघाल ने मीडिया से बातचीत की.

‘अभी मेरा काम खत्म नहीं हुआ है’

पंघाल ने जीत के बाद कहा, ‘जाहिर है मैं काफी खुश हूं लेकिन अभी मेरा काम पूरा नहीं हुआ है. मैंने काफी मेहनत की है और यह सुनिश्चित करना चाहूंगा कि मुझे सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार मिले.’ उन्होंने कहा ‘ आज जिस मुक्केबाज से मेरा सामना था वह मुझ से लंबा था लेकिन उसके पंच में मेरी तरह दमखम नहीं था. कल जिस मुक्केबाज से मुझे भिड़ना है मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता. मैं पहले कभी उसके खिलाफ रिंग में नहीं उतरा हूं. मैं पुराने वीडियो देखकर मुकाबले की तैयारी करूंगा’.

बढ़ता रहा है मुक्केबाजी का ग्राफ

भारतीय मुक्केबाजी में पंघाल के ऊपर चढ़ने का ग्राफ शानदार रहा है जिसकी शुरूआत 2017 एशियाई चैम्पियनशिप में 49 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक से हुई थी. वह इसी साल विश्व चैम्पियनशिप में पदार्पण करते हुए क्वार्टरफाइनल तक पहुंचे थे और फिर उन्होंने बुल्गारिया में प्रतिष्ठित स्ट्रांदजा मेमोरियल में लगातार स्वर्ण पदक हासिल किये और फिर वह 2018 में एशियाई चैम्पियन बने.

पंघाल के मुक्कों में था काफी दमखम

पंघाल इकलौते भारतीय मुक्केबाज है जिसने यूरोप के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित प्रतियोगिता स्ट्रांदजा मेमोरियल में लगातार दो बार स्वर्ण पदक हासिल किया. इस साल उन्होंने एशियाई चैम्पियनशिप का स्वर्ण अपने नाम कर किया और फिर 49 किग्रा के ओलंपिक कार्यक्रम से हटने के बाद 52 किग्रा में खेलने का फैसला किया.

पंघाल ने कहा, ‘मैंने सामंजस्य बैठा लिया है. मुझे अपने पंच में दमखम की जरूरत थी जो मैंने किया. मैं सही दिशा में आगे बढ़ रहा हूं लेकिन अभी मेरा काम पूरा नहीं हुआ है’. रोहतक का यह खिलाड़ी भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर तैनात है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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