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सिल्वर जीत कर रांची लाैट रही मधुमिता का दिल खाेल कर स्वागत कीजिए

अनुज कुमार सिन्हा रांची : मधुमिता झारखंड की बेटी है. जकार्ता से तीरंदाजी में सिल्वर जीत कर शनिवार काे रांची लाैट रही है. उसने झारखंड आैर देश का नाम राैशन किया है. अब हम सभी (झारखंडवासी) का फर्ज है कि दिल खोल कर उसका स्वागत करें. आप भी इसमें काेताही न बरतें. आपकी एक-एक ताली […]

अनुज कुमार सिन्हा

रांची : मधुमिता झारखंड की बेटी है. जकार्ता से तीरंदाजी में सिल्वर जीत कर शनिवार काे रांची लाैट रही है. उसने झारखंड आैर देश का नाम राैशन किया है. अब हम सभी (झारखंडवासी) का फर्ज है कि दिल खोल कर उसका स्वागत करें. आप भी इसमें काेताही न बरतें. आपकी एक-एक ताली या स्वागत में दिये गये एक-एक फूल न सिर्फ मधुमिता का सम्मान-मनाेबल बढ़ायेगा बल्कि झारखंड में नया-नया खिलाड़ी पैदा करने में सहायक हाेगा. आपके स्वागत से मधुमिता काे इतनी ताकत मिलेगी कि भविष्य में अन्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में वह देश के लिए पदक जीतेगी.आप भी गर्व करेंगे. उसे आपका प्यार चाहिए, स्नेह चाहिए, अाशीर्वाद चाहिए.

वेस्ट बाेकाराे की निवासी आैर सिल्ली (सुदेश महताे के केंद्र) में प्रशिक्षण लेनेवाली मधुमिता ने फाइनल में जम कर संघर्ष किया. सिर्फ तीन अंकाें से गाेल्ड जीतने से चूक गयी. हवा की गति ने साथ नहीं दिया. इसके बावजूद देश के लिए सिल्वर जीतना काेई मामूली बात नहीं है. मधुमिता ने अपना काम किया. अब झारखंड की जनता आैर झारखंड सरकार काे अपना दायित्व निभाना है. जनता खुल कर स्वागत करे, सरकार तिजाेरी खाेले आैर सम्मान राशि काे बढ़ाये. सुविधा बढ़ाये. झारखंड सरकार ने मधुमिता काे दस लाख रुपये देने की घाेषणा की है. यह स्वागतयाेग्य ताे है लेकिन दूसरे राज्याें काे देखें ताे यह राशि बहुत कम है. सवा तीन कराेड़ की आबादी से सिर्फ एक लड़की ने यह करिश्मा कर दिखाया है. इसलिए पुरस्कार की राशि भी वैसी ही हाेनी चाहिए, ताकि नये खिलाड़ियाें का मनाेबल भी बढ़े. खेल काे कैरियर बनाने में काेई हिचके नहीं.

सिल्वर जीत कर…

पहले झारखंड की ही बात करें. दस लाख की राशि खेल नीति के अनुसार दी जाती है. वह नीति जाे दस-12 साल पहले बनी. इतने समय में दुनिया कहां से कहां चली गयी. सबका वेतन कई गुना हाे गया लेकिन पुरस्कार की राशि वहीं की वहीं रह गयी. हरियाणा काे देखिए. वहां भी सरकार भाजपा की ही है. एशियन गेम्स में पदक जीतनेवालाें के लिए हरियाणा सरकार ने जाे घाेषणा की है, वह किसी काे प्राेत्साहित करने के लिए काफी है. गाेल्ड जीतनेवाले काे तीन कराेड़. साथ में हरियाणा पुलिस या राज्य पुलिस सेवा में सरकारी नाैकरी. सिल्वर जीतने पर डेढ़ कराेड़ आैर क्लास वन की सरकारी नाैकरी. कांस्य जीतने पर 75 लाख. यानी एक पदक जीता आैर भविष्य सुरक्षित. यहां दस लाख में क्या हाेगा? पड़ाेसी राज्य आेड़िशा भी इसमें पीछे नहीं है.

दूति चांद ने जब 100 मीटर दाैड़ में सिल्वर जीता ताे आेडिशा के मुख्यमंत्री ने उसे डेढ़ कराेड़ की नगद राशि आैर ताेक्याे आेलंपिक की तैयारी का पूरा खर्च वहन करने की घाेषणा की. मध्यप्रदेश सरकार ने तीरंदाज मुस्कान किरार (कंपाउंड टीम) के सिल्वर जीतने पर 75 लाख देने की घाेषणा की है. वहां भी भाजपा की ही सरकार है. महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री ने गाेल्ड जीतने पर 50 लाख, सिल्वर जीतने पर 30 लाख आैर कांस्य जीतने पर 20 लाख देने की घाेषणा की है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने अराेकिया राजीव के रिले दाैड़ में सिल्वर जीतने पर 30 लाख देने की घाेषणा की. बंगाल सरकार भी पीछे नहीं रही. उसने गाेल्ड जीतनेवाली स्वप्ना बर्मन के लिए दस लाख के साथ सरकारी नाैकरी देने की घाेषणा की. स्वप्ना के पिता रिक्शा चालक थे, मां चाय बागान में खेती करती है.

स्वप्ना काे पुरस्कार में पैसा मिलता है, उससे उसका घर चलता है. यह है पुरस्कार की राशि का महत्व. हर राज्य अपने खिलाड़ियाें काे प्राेत्साहित करने के लिए खुल कर आगे आया है. अब बारी है झारखंड की. इसमें खेल नीति बाधा न बने. खेल नीति काे अपडेट करने का समय आ गया है. पुरानी नीति काे किनारे कीजिए आैर देश के लिए सिल्वर जीतनेवाली झारखंड की इस बेटी (मधुमिता) के लिए राशि काे अधिक से अधिक करे. सरकारी नाैकरी की पेशकश करे. ऐसे प्रयासाें से झारखंड भविष्य में कई आैर मधुमिता पैदा कर सकता है. सरकार फैसला लेने में जाे भी समय ले, उसे लेने दें लेकिन जनता पीछे नहीं रहे. जैसे ही मधुमिता शनिवार काे झारखंड की धरती पर कदम रखे, उसके स्वागत में कंजूसी न करे. खुल कर अाैर समय निकाल कर स्वागत करें.

आज रांची पहुंचेगी

रांची. मधुमिता कुमारी शनिवार को दिल्ली से रांची सुबह 10.30 बजे पहुंचेगी. एयरपोर्ट पर मधुमिता का भव्य स्वागत किया जायेगा.

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