Shubman Gill’s friend a son of juice seller: भारत के टेस्ट टीम के कप्तान और टी20 के उपकप्तान शुभमन गिल भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं. केवल 25 साल की उम्र में ही उन्होंने क्रिकेट और नेतृत्व की शानदार झलक दिखलाई है. हाल ही में उन्होंने इंग्लैंड दौरे पर इसे सिद्ध भी किया, जब आक्रामकता की जरूरत थी, तब लीडरशिप दिखलाई और जब मैच बचाने की जरूरत थी, तब बल्लेबाजी करके दिखाई. अब एशिया कप में उनका बल्ला रन उगलने के लिए तैयार है. यूएई के खिलाफ मैच में उन्होंने 9 गेंदों पर 20 रन कूटकर इरादे भी दर्शा दिए हैं. उनकी शानदार बल्लेबाजी स्किल में उनकी मेहनत के अलावा एक और शख्स का हाथ है और वो हैं अविनाश कुमार. अविनाश जूस बेचने वाले पिता की संतान हैं, जिन्हें गिल अपने साथ दुबई भी लेकर गए हैं.
बरसों तक उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से आए प्रवासी मजदूर राम विलास शाह मोहाली के आईएस बिंद्रा स्टेडियम के गेट नंबर-1 के बाहर अपने रेहड़ी (ठेले) पर जूस बेचा करते थे. उनके ग्राहकों में युवा बल्लेबाज शुभमन गिल और उनके पिता लखविंदर भी शामिल थे, जो अक्सर मौसंबी का जूस पीते थे. राम विलास का बेटा अविनाश कुमार तेज गेंदबाज था और स्टेडियम के पीछे बने मैदान पर अभ्यास करता था.
कैसे हुई मुलाकात
2014 में एक दिन जब लखविंदर ने अविनाश को जूस की दुकान पर देखा तो पूछा कि वह क्रिकेट क्यों नहीं खेल रहा. अविनाश ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए इंटरव्यू में कहा, “मैंने कहा पाजी, मैंने क्रिकेट छोड़ दिया है. अब फोटो स्टूडियो में काम करता हूं. आज यहां आया हूं क्योंकि पिताजी बीमार हैं.” आर्थिक तंगी के कारण अविनाश ने क्रिकेट छोड़ दिया था. कुछ महीनों बाद लखविंदर ने उसे ठेले पर देखा और डांटते हुए कहा कि क्रिकेट परिवार की जिंदगी बदल सकता है.
एक हफ्ते बाद उन्होंने अविनाश को साइड-आर्म थ्रोअर का वीडियो दिखाया और इसे गंभीरता से अपनाने की सलाह दी. इसके बाद अविनाश ने प्रैक्टिस शुरू की और शुभमन के निजी थ्रोअर बन गए. अविनाश ने कहा, “हम पहले से अकादमी में एक-दूसरे को जानते थे. लेकिन अब मैं उनका निजी थ्रोअर बन गया. उस दिन से आज तक हम साथ हैं.”

पिता होते थे गुस्सा, तो गिल ने बदली बैटिंग स्टाइल
अविनाश रोज 150-200 रुपये कमाते थे, लेकिन शुभमन या उनके पिता से उन्होंने कभी पैसे नहीं लिए. उन्होंने कहा, “मैंने उनसे कभी पैसे नहीं लिए. उन्होंने त्योहारों पर मुझे पैसे दिए, अस्पताल ले गए, मेरे परिवार की मदद की. मैं हमेशा आभारी रहूंगा.” अविनाश ने बताया कि लखविंदर पाजी शुभमन पर गुस्सा होते थे जब वो ऊंचा शॉट खेलते. शुभमन सिर्फ ‘V’ में खेलते थे. U-19 वर्ल्ड कप और आईपीएल के बाद उन्होंने रेंज-हिटिंग पर काम करना शुरू किया. पहले कहते थे कि बिना रिस्क लिए भी रन बना सकता हूं, लेकिन बाद में समझ गए कि T20 में छक्के जरूरी हैं.
गिल ने मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी
गिल की मेहनत पर अविनाश कहते हैं, “वो हर नेट सेशन में मकसद के साथ आते हैं. तीन घंटे भी खेलें तो इरादा वही रहता है. बाद में वीडियो देखते हैं, गलतियां पकड़ते हैं और अगले दिन उसी पर काम करते हैं. 2019 में वे पंजाब रणजी टीम के थ्रोअर बने और मंडीप सिंह, गुरकीरत मान जैसे सीनियर और शुभमन, अभिषेक शर्मा जैसे युवाओं के बीच लोकप्रिय हो गए.
गिल ने निभाया वादा
2024 में अविनाश ने मजाक में शुभमन से कहा, “यार अब तू कप्तान बन गया है, मुझे भी IPL ले चल.” शुभमन ने भरोसा दिलाया और कुछ महीने बाद कॉल कर कहा कि बैग पैक कर लो, गुजरात टाइटंस मैनेजमेंट का कॉल आएगा. यह अविनाश के लिए अनमोल तोहफा था.

इंग्लैंड सीरीज की तैयारी में दिया साथ
IPL 2025 से पहले ही शुभमन ने इंग्लैंड सीरीज की तैयारी शुरू की और खुशप्रीत औलख की सलाह पर लाल गेंद से प्रैक्टिस की. अविनाश ने नेट्स में उन्हें चुनौती दी, जिसका असर यह हुआ कि गिल ने इंग्लैंड में 754 रन बनाए. अविनाश कहते हैं, “यह सब उसकी मेहनत है. मैंने उसे बहुत चोटें दीं, लेकिन उसने कभी शिकायत नहीं की. असल में उसके पिता और KP पाजी ने उसे बनाया है. मैंने तो बस नॉकिंग करवाई. जो कुछ उन्होंने मेरे परिवार के लिए किया है, मैं उनका हमेशा ऋणी रहूंगा.”
अपने पिता के ठेले पर शुभमन से हुई मुलाकात को अविनाश आज वरदान मानते हैं. अब वे गिल परिवार को अपना परिवार समझते हैं, क्योंकि उस ठेले पर शुभमन को सिर्फ जूस नहीं, बल्कि जीवनभर का दोस्त मिला.
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