Ravi Shastri on Virat Kohli Retirement: विराट कोहली ने 12 मई को अपने 14 साल के टेस्ट कैरियर को अलविदा कह दिया. उनके रिटायरमेंट के बाद से इस पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. लोगों ने 36 साल के कोहली को समय से पहले संन्यास लेने पर अपनी बातें रखीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीसीसीआई ने भी कोहली को रोकने की कोशिश की थी. लेकिन भारत के इंग्लैंड दौरे से कोहली ने अपना मन बना लिया था और उसी के अनुसार काम किया. कोहली और शास्त्री की जोड़ी भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास की सबसे सफल कप्तान-कोच जोड़ियों में से एक रही है. शास्त्री ने अब पुष्टि की है कि कोहली ने अपने फैसले की सार्वजनिक घोषणा से पहले उन्हें फोन किया था.
पूर्व भारतीय मुख्य कोच रवि शास्त्री ने गुरुवार को खुलासा किया कि उन्होंने विराट कोहली के चौंकाने वाले टेस्ट संन्यास से पहले उनसे बातचीत की थी. शास्त्री ने बताया कि कोहली ने उनसे साफ कहा था कि उन्हें अपने करियर को लेकर कोई पछतावा नहीं है और उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपने देश के लिए सब कुछ दे दिया है. शास्त्री ने द आईसीसी रिव्यू में संजना गणेशन से कहा, “मैंने उनसे इस बारे में बात की थी, शायद एक हफ्ते पहले, और उनका मन एकदम साफ था कि उन्होंने हमें सब कुछ दे दिया. कोई पछतावा नहीं था. मैंने एक-दो सवाल पूछे, जो हमारी व्यक्तिगत बातचीत का हिस्सा है और उन्होंने बिल्कुल साफ कहा कि उनके मन में कोई संदेह नहीं था. इससे मुझे भी लगा कि अब सही समय है. उनके मन ने उनके शरीर को बता दिया था कि अब जाने का समय है.”
विराट कोहली का टेस्ट करियर
विराट कोहली ने सोमवार, 12 मई को टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 9230 रन बनाए हैं, जो किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा चौथे सबसे ज्यादा हैं, उन्होंने इस दौरान 30 शतक और 31 अर्धशतक भी लगाए हैं. विराट कोहली भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान रहे हैं. उन्होंने 68 टेस्ट में कप्तानी की, जिसमें 40 जीत हासिल की, जो दूसरे नंबर पर मौजूद एम.एस. धोनी से 13 ज्यादा हैं. एक खिलाड़ी के तौर पर कोहली अपने जोशीले और जुनूनी अंदाज के लिए जाने जाते हैं. शास्त्री का मानना है कि इस तरह की ऊर्जा की भी एक सीमा होती है.
अपना 100 प्रतिशत देते थे कोहली- रवि शास्त्री
शास्त्री ने कहा, “अगर उन्होंने कुछ करने का फैसला लिया, तो वह उसमें अपना 100 प्रतिशत देते थे, जो हर किसी के बस की बात नहीं होती. बल्लेबाज हो या गेंदबाज, एक खिलाड़ी अपना काम करता है और फिर बैठ जाता है. लेकिन कोहली ऐसा नहीं था. जब टीम मैदान पर होती थी, तो ऐसा लगता था कि उसे खुद सारे विकेट लेने हैं, खुद सारे कैच पकड़ने हैं, खुद सारे फैसले लेने हैं. इतनी गहराई से शामिल होना… तो कहीं न कहीं बर्नआउट (थकान) होना तय है अगर आप आराम नहीं करते या ये तय नहीं करते कि किस फॉर्मेट में कितना खेलना है.”
फेमस होना भी संन्यास का एक कारण
शास्त्री ने कोहली की लोकप्रियता को भी एक कारण बताया, जिससे उनके ऊपर मानसिक दबाव बढ़ा. उन्होंने कहा, “उसे पूरी दुनिया से तारीफें मिली हैं. पिछले एक दशक में किसी भी क्रिकेटर से ज्यादा उसका फैनबेस रहा है. चाहे वह ऑस्ट्रेलिया हो या दक्षिण अफ्रीका, वह लोगों को खेल से जोड़ देता था. उसका एक लव-हेट रिलेशनशिप था. लोग उससे नाराज़ हो जाते थे क्योंकि उसमें दर्शकों की त्वचा के नीचे घुसने की क्षमता थी. उसके जश्न मनाने का अंदाज इतना तीव्र था कि वह जैसे कोई चकत्ता हो, तेजी से फैलता था. ड्रेसिंग रूम में ही नहीं, बल्कि दर्शकों के लिविंग रूम तक. वह एक शानदार व्यक्तित्व था.”
विराट के फैसले ने चौंका दिया
फिर भी शास्त्री मानते हैं कि कोहली का फैसला उन्हें चौंकाने वाला लगा. उन्होंने कहा, “विराट ने मुझे चौंकाया क्योंकि मुझे लगा था कि उसमें अभी भी दो-तीन साल का टेस्ट क्रिकेट बचा है. लेकिन जब आप मानसिक रूप से थक जाते हैं, जब आप ‘ओवरकुक्ड’ हो जाते हैं, तो वही शरीर को सिग्नल देता है. आप भले ही सबसे फिट खिलाड़ी हों, लेकिन अगर दिमाग थक चुका है, तो शरीर को वही संकेत मिलते हैं कि बस अब बहुत हो गया.”
शास्त्री-कोहली युग में भारतीय टेस्ट क्रिकेट ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं, जैसे ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज जीतना, वेस्ट इंडीज में लगातार सीरीज जीत और श्रीलंका में 22 साल बाद सीरीज जीत. टीम दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में भी काफी प्रतिस्पर्धी रही, जहां उपमहाद्वीपीय टीमें पारंपरिक रूप से संघर्ष करती रही हैं. शास्त्री ने इन सफलताओं का श्रेय काफी हद तक कोहली को दिया.
अब उसके पास हासिल करने के लिए कुछ नहीं बचा था
उन्होंने अंत में कहा, “कई बार जब आप खेल छोड़ते हैं, तो एक-दो महीने बाद लगता है कि काश ये कर लिया होता, काश वो कर लिया होता. लेकिन कोहली ने सब कुछ कर लिया. वो कप्तानी कर चुका है, वर्ल्ड कप जीत चुका है, अंडर-19 वर्ल्ड कप भी जीत चुका है. अब उसके पास हासिल करने को कुछ बचा नहीं है.”
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