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सुशील ने किया खुलासा, बीजिंग ओलंपिक के बाद संन्यास लेने की सलाह दी गयी थी

नयी दिल्ली : भारत के लिये दो ओलंपिक पदक जीतने वाले पहलवान सुशील कुमार ने खुलासा किया कि उन्हें 2008 बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद ‘शीर्ष पर रहते हुए संन्यास’ लेने की सलाह दी गयी थी. ‘माई ओलंपिक जर्नी’ नाम की किताब में सुशील ने कहा उन्होंने बीजिंग ओलंपिक के बाद संन्यास […]

नयी दिल्ली : भारत के लिये दो ओलंपिक पदक जीतने वाले पहलवान सुशील कुमार ने खुलासा किया कि उन्हें 2008 बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद ‘शीर्ष पर रहते हुए संन्यास’ लेने की सलाह दी गयी थी.

‘माई ओलंपिक जर्नी’ नाम की किताब में सुशील ने कहा उन्होंने बीजिंग ओलंपिक के बाद संन्यास लेने के सुझावों के बावजूद खेलना जारी रखा क्योंकि उन्हें लगता था कि यह ‘शुरुआत थी, अंत नहीं’ और वह आखिरकार चार साल बाद 2012 लंदन ओलंपिक में अपने पदक का रंग बदलने में सफल रहे और दो ओलंपिक में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय बने.
सुशील ने पत्रकार दिग्विजय सिंह देव और अमित बोस द्वारा लिखी किताब में खुलासा किया, ‘‘मैं बीजिंग ओलंपिक के बाद भारत आ गया और मेरे शुभचिंतकों ने शीर्ष पर रहते हुए संन्यास लेने की सलाह दी. मैं दुविधा में पड़ गया. इतने वर्षों के बाद मुझे आखिरकार महसूस हुआ कि ओलंपिक पदकधारी होने का क्या मतलब है और उस लक्ष्य को हासिल करने के लिये किस चीज की जरुरत होती है.
ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद ही मैंने कुश्ती की बारिकियों पर पकड़ बनायी, जैसे कि किस तरह प्रतिद्वंद्वी को पकड़ना है, अलग अलग फाइट में विभिन्न तरह की तकनीकें और रणनीतियां. यह शुरुआत थी, अंत नहीं.’
सुशील ने कहा, ‘‘मैंने अपने खेल में सुधार करना शुरू किया. मैं और जुनून और शिद्दत से अपने इस लक्ष्य में लग गया और इसके बाद परिणाम भी मिला. ‘ इस 33 वर्षीय महान पहलवान ने खुलासा किया कि शुरू में वह ओलंपिक पदक जीतने के महत्व को नहीं समझ सके थे, जब उन्होंने बीजिंग में पदक जीता था. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने इसे जीता तो मुझे सच में इसकी महत्ता का पता नहीं था. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘मैं तब इस बात से वाकिफ नहीं था कि भारतीय कुश्ती में 52 साल से चला आ रहा मिथक मेरे पदक से टूट गया था.
मुझे पता चला कि केडी जाधव ने इससे पहले 1952 में ओलंपिक पदक जीता था. मैं ओलंपिक पदकधारी बनकर खुश था लेकिन जब मैं घर पहुंचा तो मुझे अपने पदक की अहमियत का पता चला. ‘ सुशील ने कहा, ‘‘बीजिंग में मेरे कई साथी एथलीटों, अधिकारियों और कोचों ने मुझे बधाई दी लेकिन मैं ओलंपिक गांव के अंदर इतने सारे पदकधारियों को धूमते देखता था तो मुझे अपनी उपलब्धि का पता नहीं चला.’
वह हालांकि लंदन में स्वर्ण पदक से चूक गये, लेकिन वह ओलंपिक में दो बार पोडियम स्थान हासिल करने से खुद को भाग्यशाली समझते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं फाइनल में उम्मीदों के अनुरुप प्रदर्शन नहीं कर सका और हार गया. मैं स्वर्ण पदक गंवाने से निराश था लेकिन मैं जानता था कि उस दिन यही मेरा सर्वश्रेष्ठ हो सकता था. दोबारा ओलंपिक पोडियम पर खड़ा होकर मैं संतुष्ट था. ‘
Prabhat Khabar Digital Desk
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