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दबाव से निपटने के मामले में धौनी सर्वश्रेष्ठ : नेहरा

नयी दिल्ली : ‘दबाव भरे हालात’ से निपटने में महेंद्र सिंह धौनी को सर्वश्रेष्ठ भारतीय कप्तान करार करते हुए अनुभवी तेज गेंदबाज आशीष नेहरा को इस बात का पछतावा है कि वह इस कप्तान द्वारा 2009 में टेस्ट वापसी के सवाल का सकारात्मक जवाब नहीं दे सके, जिससे उन्हें 17 से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने […]

नयी दिल्ली : ‘दबाव भरे हालात’ से निपटने में महेंद्र सिंह धौनी को सर्वश्रेष्ठ भारतीय कप्तान करार करते हुए अनुभवी तेज गेंदबाज आशीष नेहरा को इस बात का पछतावा है कि वह इस कप्तान द्वारा 2009 में टेस्ट वापसी के सवाल का सकारात्मक जवाब नहीं दे सके, जिससे उन्हें 17 से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने में मदद मिल सकती थी. जल्द ही 37 वर्ष के होने वाले नेहरा ने छोटे प्रारुप में काफी शानदार वापसी की और विश्व टी20 में उनके बेहतरीन प्रदर्शन से वह ‘टीम आफ टूर्नामेंट’ में अपना चयन कराने में सफल रहे.

नेहरा ने विशेष शो के दौरान कहा, ‘‘मोहम्मद अजहरुद्दीन (1999 में) के अंतर्गत मेरे आगाज से मैं कई कप्तानों के साथ खेला लेकिन जब ‘कूल’ और दबाव में प्रदर्शन करने की बात आती है तो महेंद्र सिंह धौनी सर्वश्रेष्ठ हैं. मैं कोई ऐसा नहीं देखा जो दबाव में इतना कूल रहता हो. ” नेहरा को सबसे बडा पछतावा इस बात का है कि वह 17 से ज्यादा टेस्ट मैच नहीं खेल पाये.
इस सीनियर तेज गेंदबाज ने कहा, ‘‘2009 में धौनी और तब कोच गैरी कर्स्टन ने मुझसे पूछा कि क्या मैं टेस्ट में वापसी करना चाहूंगा? मैं तब 30 या 31 वर्ष का था और मुझे सकारात्मक जवाब देना चाहिए था लेकिन मैं निश्चित नहीं था. जब मैं अब पलटकर देखता हूं तो यह दो साल पहले की बात है. अब 35 साल की उम्र में मैंने छह हफ्तों में छह चार दिवसीय मैच खेले. इसलिये जब मैं पलटकर देखता हूं तो मुझे लगता है कि मुझे 17 टेस्ट मैच से ज्यादा खेलने चाहिए थे. ”
नेहरा धौनी और सौरव गांगुली की कप्तानी में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर चुके हैं, इनके बीच तुलना के सवाल पर इस तेज गेंदबाज ने कहा, ‘‘जब हम सौरव की कप्तानी में खेले तो मैं, युवराज, वीरेंद्र सहवाग और जहीर खान बहुत युवा थे. सौरव की इच्छा हमारे लिये आदेश होती थी क्योंकि उनके पास हमसे ज्यादा अनुभव था. अगर दादा ने कहा कि कुछ करने की जरुरत है तो हम जानते थे कि इसे पूरा होना ही था. ” उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने 2009 में धौनी की कप्तानी में वापसी की तो मैं और अधिक परिपक्व था और मैं अपनी गेंदबाजी के बारे में ज्यादा जानने लगा था. इसलिये धौनी की कप्तान का अनुभव काफी लुत्फ उठाने वाला रहा. ”
यह पूछने पर कि ‘कैप्टन कूल’ आलोचना पर काफी तुनक जाते हैं तो नेहरा ने अपने कप्तान का बचाव किया. बांग्लादेश के खिलाफ भारतीय टीम के जीतने के बाद पत्रकार द्वारा एक सवाल पूछने पर धौनी अपना आपा खो बैठे थे और उन्होंने भारतीय मीडिया पर व्यंग्य कसा था जबकि विश्व टी20 में वेस्टइंडीज के खिलाफ सेमीफाइनल मैच गंवाने के बाद ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार को अपने करीब बैठने के लिये आमंत्रित किया था.
नेहरा ने कहा, ‘‘कितनी बार आपने धौनी को आपा खोते देखा है. आप किस तरह से विशेष सवाल पूछते हो, यह भी निर्भर करता है. व्यक्तिगत रुप से बताउं तो अखबार में जो लिखा होता है, उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मैं इन्हें नहीं पढ़ता और न ही टीवी देखता हूं. मैं टीवी पर क्रिकेट भी नहीं देखता. मैं शायद ही साक्षात्कार या प्रेस बयान देता हूं.”

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