नयी दिल्ली : अपने करियर के पहले 27 टेस्ट मध्यक्रम में खेलने के बाद सलामी बल्लेबाज के रूप में उतरे रोहित शर्मा अब ग्रीम स्मिथ, वीरेंद्र सहवाग, ग्राहम गूच, क्रिस गेल, सनथ जयसूर्या और मर्वन अटापट्टू जैसे अपने जमाने के दिग्गज ओपनरों की सूची में शामिल हो गये हैं, जिन्होंने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में की थी.
रोहित ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विशाखापत्तनम में पहले टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक जड़कर सलामी बल्लेबाज के रूप में धमाकेदार आगाज किया. वह पिछले छह साल से भी अधिक समय से सीमित ओवरों के क्रिकेट में भारत के लिये पारी की शुरुआत करते हैं, लेकिन वर्षों पहले सहवाग पर किये गये प्रयोग से प्रेरणा लेकर रोहित को टेस्ट मैचों में भी यह जिम्मेदारी सौंपी गयी जिसमें वह पहली परीक्षा में सफल रहे.
उन्होंने 176 और 127 रन की पारियां खेलकर कई नये रिकार्ड अपने नाम लिखवाये. रोहित ने इससे पहले 27 टेस्ट मैचों में मध्यक्रम में बल्लेबाजी की थी जिनमें वह केवल तीन शतक लगा पाये थे. यह सही है कि सलामी बल्लेबाज के रूप में उनकी असली परीक्षा विदेशों में होगी, लेकिन तब तक वे मानसिक रूप से यह जिम्मेदारी संभालने के लिये पूरी तरह तैयार हो जाएंगे.
उन्होंने कहा, मुझे दो साल पहले बताया गया था कि किसी चरण में मुझे पारी का आगाज करने के लिये कहा जा सकता है. इसलिए मैं भले ही टेस्ट में नहीं खेल रहा था, लेकिन नेट्स पर नयी गेंद का सामना करता था.
रोहित पहले बल्लेबाज नहीं हैं जिन्हें मध्यक्रम से हटाकर शीर्ष क्रम में भेजा गया. ऐसे बल्लेबाजों की लंबी फेहरिस्त है जिनमें कई बेहद सफल भी रहे हैं. भारत से इनमें सहवाग का नाम आता है जिन्होंने अपने पहले पांच टेस्ट मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में खेले और पदार्पण टेस्ट में शतक भी जड़ा था, लेकिन जब उन्हें सलामी बल्लेबाज के रूप में उतारा गया तो फिर उन्होंने अपने आखिरी टेस्ट तक यह जिम्मेदारी निभायी और इस बीच कई धमाकेदार पारियां भी खेलीं जिनमें दो तिहरे शतक भी शामिल हैं.
सहवाग ने ओपनर के तौर पर 8207 रन बनाये हैं. दक्षिण अफ्रीका के सबसे सफल सलामी बल्लेबाज ग्रीम स्मिथ भी पहले दो टेस्ट मैचों में तीसरे और चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिये उतरे थे, लेकिन वह मूल रूप से ओपनर थे और उन्होंने 205 में से 196 पारियां ओपनर के रूप में खेलकर 9030 टेस्ट रन बनाये थे.
इस सूची में ग्राहम गूच, माइकल एथरटन या गेल का नाम चौंकाने वाला हो सकता है. गूच पहले दो टेस्ट में पांचवें नंबर पर उतरे थे, लेकिन चार पारियों में केवल 37 रन बना पाये. इसके बाद वह तीन साल तक टीम से बाहर रहे और फिर उन्होंने सलामी बल्लेबाज के रूप में सफल वापसी की थी.
गूच के साथी एथरटन भी पहले दो टेस्ट मैचों में वनडाउन पर खेले थे और नाकाम रहने के कारण उन्हें अगला मैच दस महीने बाद खेलने को मिला था, लेकिन तब उन्हें सलामी बल्लेबाज बनाया गया था जिसमें वे सफल रहे. गेल ने पहले तीन टेस्ट मध्यक्रम में खेले और उनमें केवल 59 रन बनाये.
इसके बाद उन्हें सलामी बल्लेबाज की जिम्मेदारी सौंपी गयी. भारत के नवजोत सिद्धू ने भी अपने टेस्ट करियर की शुरुआत मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में की थी. मध्यक्रम से शीर्ष क्रम में पहुंचकर सफल ओपनर बनने वाले खिलाड़ियों में श्रीलंका के जयसूर्या और अटापट्टू प्रमुख हैं.
जयसूर्या ने 14 टेस्ट निचले मध्यक्रम में खेले थे जिनमें वह केवल 591 रन बना पाये थे. इसके बाद उन्होंने ओपनर की भूमिका निभायी और 110 मैचों में 90 टेस्ट में यह जिम्मेदारी बखूबी संभाली. अटापट्टू की कहानी बड़ी रोचक है. उन्होंने चार साल के अंतर में तीन टेस्ट में छठे और सातवें नंबर पर बल्लेबाजी की और छह पारियों में केवल एक रन बनाया.
इसके बाद तीसरे नंबर के बल्लेबाज के रूप में वापसी की पर नाकाम रहे. अटापट्टू ने 13 पारियां खेलने के बाद सलामी बल्लेबाज का जिम्मा संभाला और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. रिकार्ड के लिये बता दें कि उनके नाम पर ओपनर के तौर पर छह दोहरे शतक दर्ज हैं. दक्षिण अफ्रीका के वर्तमान सलामी बल्लेबाज डीन एल्गर अपने पहले सात टेस्ट मैच में अक्सर छठे और सातवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिये उतरे. वह श्रीलंका के खिलाफ 2014 में गॉल में पारी का आगाज करने उतरे और 103 रन बनाये.
इसके बाद से वह लगातार ओपनर बने हुए हैं. उन्हीं के देश के हर्शल गिब्स पहले सात टेस्ट तक मध्यक्रम में खेलते रहे और फिर जाकर उन्हें सलामी बल्लेबाज बनाया गया.
ऑस्ट्रेलिया के जस्टिन लैंगर लंबे समय तक तीसरे नंबर के बल्लेबाज बने रहे लेकिन बाद में उन्होंने मैथ्यू हेडन के साथ सफल सलामी जोड़ी बनायी थी. ऑस्ट्रेलिया के ही बॉबी सिम्पसन शुरू में छठे से आठवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिये उतरे लेकिन बाद में सलामी बल्लेबाज के रूप में सफल रहे.
इंग्लैंड के डेनिस एमिस ने पहले नौ टेस्ट मध्यक्रम में खेले थे जबकि माइकल वान ने 13 टेस्ट मध्यक्रम में खेलने के बाद सलामी बल्लेबाज की जिम्मेदारी निभायी थी.