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भारत के विश्व कप प्रदर्शन की समीक्षा करेगा सीओए

लंदन : उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली के लौटने के बाद विश्व कप में भारत के प्रदर्शन की समीक्षा करेगी और फोकस बड़े टूर्नामेंटों में टीम चयन पर रहेगा . विनोद राय की अध्यक्षता वाली समिति प्रमुख चयनकर्ता एमएसके प्रसाद से भी बात करेगी . समिति […]

लंदन : उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली के लौटने के बाद विश्व कप में भारत के प्रदर्शन की समीक्षा करेगी और फोकस बड़े टूर्नामेंटों में टीम चयन पर रहेगा . विनोद राय की अध्यक्षता वाली समिति प्रमुख चयनकर्ता एमएसके प्रसाद से भी बात करेगी . समिति में डायना एडुल्जी और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) रिव थोडगे भी हैं . राय ने सिंगापुर से प्रेस ट्रस्ट से कहा ,‘‘ कप्तान और कोच के ब्रेक से लौटने के बाद बैठक जरूर होगी . मैं तारीख और समय नहीं बता सकता लेकिन हम उनसे बात करेंगे . हम चयन समिति से भी बात करेंगे .” उन्होंने आगे ब्यौरा देने से इनकार कर दिया.

विराट कोहली और टीम रविवार को मुंबई के लिये रवाना होंगे . भारत को सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड ने 18 रन से हराया जबकि ग्रुप चरण में भारतीय टीम शीर्ष पर रही थी . राय ने कहा ,‘‘ भारत का अभियान अभी खत्म हुआ है .कहां, कब और कैसे जैसे सवालों का मैं आपको कोई जवाब नहीं दे सकूंगा .” शास्त्री, कोहली और प्रसाद को कुछ सवालों का जवाब देना पड़ सकता है .
मसलन आखिरी श्रृंखला तक अंबाती रायुडू का चयन तय था लेकिन अचानक वह चौथे नंबर की दौड़ से बाहर कैसे हो गए . रायुडू का नाम रिजर्व में थी था लेकिन दो खिलाड़ियों के चोटिल होने पर भी उन्हें नहीं बुलाया गया जिसके बाद उन्होंने क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कह दिया .
दूसरा, टीम में तीन विकेटकीपर क्यो थे खासकर दिनेश कार्तिक की क्या जरूरत थी जो लंबे समय से फार्म में नहीं थे . कार्तिक के अलावा महेंद्र सिंह धोनी और ऋषभ पंत भी टीम में थे . तीसरा, सेमीफाइनल में महेंद्र सिंह धोनी को सातवें नंबर पर क्यो उतारा गया . समझा जाता है कि धोनी को नीचे भेजने का फैसला बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ का था . यह भी पूछा जायेगा कि सहायक कोच के इस फैसले का मुख्य कोच ने विरोध क्यो नहीं किया . मौजूदा चयन समिति बीसीसीआई की आमसभा की बैठक तक बनी रहेगी . ऐसे में प्रसाद को चयन बैठकों में अधिक सक्रिय रहने की सलाह दी जा सकती है . असल में समस्या प्रसाद से नहीं बल्कि शरणदीप सिंह और देवांग गांधी से है क्योंकि कइयों का मानना है कि उनका कुछ योगदान नहीं रहता .

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