मैनचेस्टर : मैलकम मार्शल छुपी हुई प्रतिभा से विश्व के महान तेज गेंदबाज बने. उन्होंने ढेरों मित्र बनाए और फिर एक दिन अचानक कभी वापस नहीं आने के लिए उन्हें छोड़कर चले गए.
मार्शल ने अपने मित्रों के जेहन में ऐसी छाप छोड़ी कि वे अब तक इस दिग्गज तेज गेंदबाज को नहीं भुला पाये हैं. बारबडोस के ब्रिजटाउन में जन्में मार्शल हैंपशर क्रिकेट की आत्मा में बसे हैं और वे लोग अब तक उन्हें नहीं भूल पाये हैं जिन्होंने उन्हें ओल्ड नार्थलैंड्स रोड ग्राउंड पर गेंदबाजी करते देखा है.
शहर के बाहर 2000 में एक नया स्टेडियम शुरू हुआ और इससे संभवत: यह नहीं पता चलता कि मार्शल का क्लब के लिए क्या महत्व है जिसके लिए उन्होंने चैंपियनशिप में 1000 विकेट चटकाए. जाने माने कमेंटेटर और हैंपशर काउंटी में मार्शल के कप्तान रहे मार्क निकोलस ने कहा, मैलकम और मैं काफी करीबी थे और यह शानदार था.
क्रिकेट में वह मेरा सबसे अच्छा दोस्त था. निकोलस ने कहा कि नार्थलैंड्स रोड बेहद छोटा और निजी मैदान था जो बल्लेबाजी के अनुकूल था, लेकिन इसके बावजूद मार्शल ने यहां काफी प्रभावी गेंदबाजी की. निकोलस ने कहा कि उस समय काउंटी क्रिकेट में मार्शल और विवियन रिचर्ड्स या गोर्डन ग्रीनिज के बीच मुकाबले आकर्षण का केंद्र होते थे.
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 18000 से अधिक रन बनाने वाले निकोलस ने बताया कि हैंपशर आने के चार से पांच साल में ही मार्शल अपने समय के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज बन गए थे. निकोलस ने कहा, उसे सटीक एक्शन के साथ काफी तेज गति से शार्ट गेंदबाजी से शुरुआत की. इसके बाद उसने विभिन्न तरह की गेंदबाजी सीखी. एक बार आउटस्विंग में पारंगत होने के बाद उसने परफेक्ट इनस्विंगर सीखी.
1984-85 तक उसके पास सब कुछ था- स्टैमिना, गति, नियंत्रण, मूवमेंट और शानदार गेंदबाजी दिमाग. काउंटी स्तर पर रिचर्ड्स और मार्शल के बीच संघर्ष के बारे में पूछने पर निकोलस ने कहा, मुझे लगता है कि वह जब समरसेट के साथ था तब विव पर मैलकम ने दबदबा बनाया, लेकिन ग्लेमोर्गन में मुझे लगता है कि विव ने आपसी प्रतिस्पर्धा में कुछ शानदार जीत दर्ज की.
मुझे याद है कि एक बार नार्थलैंड्स में उसने शतक और 80 रन के आसपास की पारी खेलकर ग्लेमोर्गन को जीत दिलाई. निकोलस ने याद किया कि किस तरह 1999 विश्व कप के दौरान रूडी वेबस्टर मार्शल के खराब स्वास्थ्य से परेशान थे. शुरुआत में हालांकि किसी बीमारी का पता नहीं चला. मार्शल इस विश्व कप में वेस्टइंडीज के कोच थे.
उन्होंने कहा, विश्व कप के बीच में उनकी जांच की गई थी, लेकिन कुछ पता नहीं चला. मैलकम को लगा कि नेट में गेंदबाजी करते हुए उनकी पसलियों में चोट लगी है. उन्हें किसी चोट का पता नहीं चला इसलिए उन्होंने कोई और जांच नहीं की.
निकोलस ने कहा, उस समय अगर वे कुछ और परीक्षण करते तो शायद उसे ठीक किया जा सकता था और जब तक उसके मलाशय में कैंसर का पता चला तब तक काफी देर हो चुकी थी. वह काफी कम समय में हमें छोड़कर चला गया.