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ये है MSD का स्‍टाइल ! खिलाड़ियों को मां-बहन की गाली देने की इजाजत नहीं देते

नयी दिल्ली: भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को उनकी कूलनेस के लिए भी जाना जाता है. मैदान पर और मैदान के बाहर उनके शांत स्वभाव के कारण ही उन्हें ‘कैप्टन कूल’ नाम दिया गया. युवा क्रिकेटर जहां अपनी आक्रामकता से विपक्षी टीम का मनोबल गिराते हैं, वहीं धौनी ने यह काम बेहद […]

नयी दिल्ली: भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को उनकी कूलनेस के लिए भी जाना जाता है. मैदान पर और मैदान के बाहर उनके शांत स्वभाव के कारण ही उन्हें ‘कैप्टन कूल’ नाम दिया गया. युवा क्रिकेटर जहां अपनी आक्रामकता से विपक्षी टीम का मनोबल गिराते हैं, वहीं धौनी ने यह काम बेहद शांति के साथ किया है. यही वजह है कि उनका नाम आज दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज में शुमार है. महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने टी-20 का वर्ल्ड कप तो जीता ही, इसके साथ ही 50 ओवरों का वर्ल्ड कप भी जीता और चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती. यहां चौंकाने वाली बात यह है कि धौनी ने जीत पर कभी लाउड रिएक्शन नहीं दिया और हार पर कभी मातम नहीं मनाया.

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भारत सेन की किताब ‘द धौनी टच’ में महेंद्र सिंह धौनी की जिंदगी के कई पहलुओं को सामने रखा है. इन्हीं से एक है उनका शांत अंदाज, जिसका उल्लेख इस किताब में किया गया है. किताब में 2008 के एक किस्से का भी जिक्र है जो हर दुनिया के हर कप्तान के लिए एक सीख है. अंग्रेंजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, 2008 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 159 रन पर आउट कर दिया. टीम इंडिया जीत के काफी करीब थी. धौनी ने इस अवसर पर टीम के सदस्यों को यह संदेश दिया कि मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड की बालकनी में कोई सेलिब्रेशन नहीं होना चाहिए. यह वह दौर था जब रिकी पोन्टिंग की टीम हर हार को बड़ी निराशा के साथ लेती थी. टीम इंडिया ने पूरे मैच में अपना दबदबा बनाए रखा था.

इस किताब में टीम के उस समय के एक खिलाड़ी ने बताया कि धौनी ने कहा था कि यदि हम वाइल्डली सेलिब्रेट करेंगे तो ऑस्ट्रेलिया को लगेगा कि यह बड़ी निराशा है और वह आगे के मैच बदला लेने के लिए जी जान लग देगा. हम ऑस्ट्रेलिया को यह संदेश देना चाहते थे कि यह कोई बड़ी निराशा नहीं है बल्कि यह बार-बार होगा. ऑस्ट्रेलिया धौनी की इस रणनीति को समझ नहीं पाया. बाद में भारत ने कॉमनवेल्थ ट्रॉफी जीती. यह धौनी का अपना स्टाइल है.

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धौनी दूसरी टीम पर आक्रामकता से दबाव नहीं बनाते बल्कि दूसरी टीम को यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि टीम आक्रामक क्यों नहीं ? किताब में धौनी के एक करीबी मित्र ने बताया कि वह कहते थे, यदि मैं अपने लड़कों को मां-बहन की गाली देने की इजाजत दे देता तो यह बात उन्हें परेशान नहीं करेगी , बल्कि मां-बहनों को परेशान करेगी. धौनी आक्रामकता का प्रयोग सही नहीं समझते थे. वह कहते थे कि यदि तुम विपक्षी टीम को पराजित करना चाहते हो तो अपने स्टाइल का इस्तेमाल करो. यदि वे गाली-गलोच में यकीन करते हैं तो तुम ऐसा मत करो….क्रिकेट में ऐसे कई अवसर आए जब धौनी ने शालीनता के साथ दूसरी टीम के दांत खट्टे किये. उन्होंने दुनिया की हर टीम को पराजित किया लेकिन कभी उनके चेहरे पर अहम का भाव नहीं आया. यही उनकी खूबी है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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