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जब मैच बचाने के लिए सुनील गावस्कर ने बायें हाथ से बैटिंग की

II अनुज कुमार सिन्हा II सुनील गावस्कर, वर्ल्ड क्रिकेट का बड़ा नाम. क्रिकेट के कई रिकॉर्ड अभी भी गावस्कर के नाम. अपने पहले ही टेस्ट सीरीज में 774 रन, वह भी सिर्फ चार टेस्ट में, वेस्टइंडीज में. डॉन ब्रैडमैन के 29 शतकाें का रिकॉर्ड सबसे पहले किसी ने ताेड़ा, ताे वह गावस्कर ही ताे थे. […]

II अनुज कुमार सिन्हा II

सुनील गावस्कर, वर्ल्ड क्रिकेट का बड़ा नाम. क्रिकेट के कई रिकॉर्ड अभी भी गावस्कर के नाम. अपने पहले ही टेस्ट सीरीज में 774 रन, वह भी सिर्फ चार टेस्ट में, वेस्टइंडीज में. डॉन ब्रैडमैन के 29 शतकाें का रिकॉर्ड सबसे पहले किसी ने ताेड़ा, ताे वह गावस्कर ही ताे थे. सबसे पहले 10 हजार टेस्ट रन बनानेवाले गावस्कर ही ताे थे.

टीम इंडिया के आेपनर. पारी की शुरुआत कर अंत तक आउट नहीं हाेने का भी रिकॉर्ड गावस्कर के नाम. लेकिन एक रिकॉर्ड आैर है गावस्कर के नाम, जिसे बहुत कम ही लाेग जानते हैं. दायें हाथ के बल्लेबाज हाेने के बावजूद मैच बचाने के लिए मैदान में उतर कर बायें हाथ से बल्लेबाजी करना आैर मैच बचा लेना, यह कारनामा भी गावस्कर ने कर दिखाया है.

बात 1981-82 की है. गावस्कर काे टेस्ट मैच खेले लगभग 10 साल हाे गये थे. 11 से 14 मार्च तक बेंगलुरु में बंबई आैर कर्नाटक के बीच रणजी का सेमीफाइनल खेला जा रहा था. गावस्कर मुंबई की आेर से खेलते थे.

रणजी में भी उनका शानदार प्रदर्शन रहा है. 67 रणजी मैचाें में गावस्कर ने 5335 रन बनाये हैं. इसमें 20 शतक शामिल है, लेकिन यह रणजी मैच कुछ अलग था. लंबे समय तक मुंबई का रणजी ट्रॉफी में एकाधिकार रहा है. लेकिन कर्नाटक के खिलाफ सेमीफाइनल में बंबई की टीम एक समय सीधी हार के कगार कर खड़ी थी, लेकिन सीधी हार से गावस्कर ने बचा लिया. वह भी बायें हाथ से बल्लेबाजी कर. समय की यही मांग थी. ऐसी बात नहीं है कि बंबई की टीम कमजाेर थी.

उसमें गावस्कर के अलावा गुलाम पारकर, वेंगसरकर, संदीप पाटील, अशाेक मांकड, रवि शास्त्री, बलविंदर सिंह संधू (जिसने 1983 के वर्ल्ड कप फाइनल में चाैंकानेवाली गेंद से ग्रीनिज की गिल्ली उड़ायी थी) जैसे खिलाड़ी थे. इनमें से कई उस समय देश की टेस्ट टीम में थे. उनका सामना सेमीफाइनल में कर्नाटक से था. कर्नाटक की आेर से गुंडप्पा विश्वनाथ, ब्रजेश पटेल, सैयद किरमानी (टीम इंडिया के विकेटकीपर) आैर राेजर बिन्नी जैसे खिलाड़ी थे.

पहले बंबई की टीम ने बल्लेबाज की आैर संदीप पाटील के शतक (117), गुलाम पारकर के 84 आैर गावस्कर के 41 रन के बावजूद सिर्फ 271 रन ही बना सकी. पूरी टीम काे बिखेरा कर्नाटक के लेफ्ट आर्म स्पिनर रघुराम भट्ट ने.

एक समय बंबई का स्काेर था दाे विकेट पर 183 रन. लेकिन पूरी पारी 271 पर सिमट गयी. रघुराम भट्ट की उछाल लेती आैर टर्न लेती गेंद काे बंबई का काेई खिलाड़ी बाद में खेल नहीं पा रहा था. रघुराम ने 49.1 आेवर गेंदबाजी कर बंबई के आठ विकेट अकेले साफ कर दिये थे.

बंबई का साैभाग्य था कि उसने पहले बल्लेबाजी की थी. जब तक विकेट कुछ खराब हाेता, बंबई के खाते में कुछ रन ताे बन ही गये थे. इसके बाद कर्नाटक के बल्लेबाज उतरे आैर उसी टर्न लेती विकेट पर 470 का विशाल स्काेर खड़ा कर लिया. सभी खिलाड़ियाें ने कुछ न कुछ याेगदान दिया. सुधाकर राव 155 रन बना कर नाबाद रहे. पटेल ने 78 रन की बेहतरीन पारी खेली थी.

बंबई की आेर से विकेटकीपर जेड पारकर आैर बल्लेबाज गुलाम पारकर काे छाेड़ कर अन्य सभी नाै खिलाड़ियाें ने गेंदबाजी अाजमायी. यहां तक कि गावस्कर आैर वेंगसरकर ने भी गेंदबाजी की. इसके बावजूद कर्नाटक 199 रन की बड़ी लीड ले चुका था. यह इतनी बड़ी लीड थी, जिससे बंबई के सामने हार का खतरा था.

जब बंबई की दूसरी पारी आरंभ हुई, ताे गावस्कर आेपनिंग करने नहीं उतरे. गुलाम पारकर आैर वेंगसरकर ने पारी की शुरुआत की. सभी बल्लेबाजाें में रघुराम भट्ट का खाैफ था, जिसने पहली पारी काे बिखेर दिया था.

दाेनाें ने पहले विकेट के लिए 72 रन की साझेदारी की आैर दाेनाें रघुराम भट्ट के ही शिकार बने. संदीप पाटील, अशाेक मांकड, सुरू नायक, रवि शास्त्री सभी सस्ते में चलते बने. गावस्कर पवेलियन में बैठे-बैठे देख रहे थे कि रघुराम काे खेलना कितना मुश्किल हाे रहा है. 160 रन पर जब बंबई का छठा विकेट गिरा, ताे सात नंबर पर बल्लेबाजी करने गावस्कर उतरे. पारी की हार से बचने के लिए उस समय भी 41 रन आैर चाहिए थे.

गावस्कर ने जब क्रीज पर गार्ड लिया, ताे कर्नाटक के सभी खिलाड़ी, दर्शक चाैंक गये. गावस्कर बांये हाथ से खेलने के लिए तैयार हाेकर गार्ड ले रहे थे. गावस्कर समझ गये थे कि रघुराम भट्ट की उछाल लेती आैर टर्न लेती गेंद (बाहर जाती) काे दाहिने हाथ के बल्लेबाज के लिए खेलना लगभग असंभव है. इसलिए उन्हाेंने तय किया कि बांये हाथ से खेलेंगे, ताकि बायें हाथ के बल्लेबाज के लिए गेंद अंदर आये.

गावस्कर का यह निर्णय काम कर गया. दाे आैर विकेट जल्द गिर गये, लेकिन गावस्कर जमे रहे. रघुराम भट्ट ने हर तरीका अपनाया, लेकिन बायें हाथ से खेलने के कारण गावस्कर का कुछ नहीं बिगड़ा. एक समय कर्नाटक के गेंदबाजाें ने बंबई का नाै विकेट 176 रन पर गिरा दिया था, लेकिन गावस्कर (18 रन नाबाद) ने आरसी ठक्कर के नाबाद आठ रन के साथ किसी तरह मैच बचा लिया. जब खेल समाप्त हुआ, ताे बंबई का स्काेर था नाै विकेट पर 200 रन. पारी की हार काे बंबई टाल चुका था. सीधी हार टल गयी थी.

पहली पारी में बढ़त लेने के कारण कर्नाटक पहले ही फाइनल के लिए क्वालीफाइ कर चुका था, लेकिन गावस्कर ने ऐतिहासिक कदम उठा कर बंबई की इज्जत बचायी थी. ऐसे बल्लेबाज थे गावस्कर.

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