Kartik Maas Deep Daan: हिंदू धर्म में कार्तिक माह को बेहद महत्वपूर्ण और खास माना जाता है. मान्यता है कि इस महीने जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करता है, उस पर भगवान विष्णु की कृपा सदा के लिए बनी रहती है. इस महीने को ‘दामोदर मास’ के नाम से भी जाना जाता है.
इस पावन महीने में घर के आंगन में, मंदिर में, तुलसी चौरा के पास और नदी घाट के पास दीपक जलाने की परंपरा है. इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि कार्तिक मास में दीपक जलाना इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है, इसके पीछे का कारण क्या है और किस प्रकार का दीपक जलाना इस समय शुभ होता है.
कार्तिक मास में दीपक क्यों जलाया जाता है?
कार्तिक मास में दीपक जलाने का विशेष महत्व है. लोग इस समय विशेष रूप से सुबह उठकर स्नान कर भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और दीपक जलाते हैं. कार्तिक मास के दौरान घर के आंगन, मंदिर, तुलसी चौरा और नदी घाट के पास दीप जलाना बहुत शुभ माना जाता है. इन सभी स्थानों पर दीप जलाने का अलग-अलग महत्व है.
घर के आंगन में दीपक जलाने का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास में घर के आंगन में दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. घर में शांति बनी रहती है और सुख-समृद्धि आती है.
तुलसी चौरा पर दीप क्यों जलाया जाता है?
हिंदू धर्म में तुलसी को देवी माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है. कहा जाता है कि कार्तिक मास में तुलसी चौरा पर दीपक जलाने से धन की प्राप्ति होती है, रोगों से छुटकारा मिलता है और पारिवारिक सुख बढ़ता है.
नदी घाट पर दीपक जलाना क्यों है महत्वपूर्ण
कार्तिक मास में नदी घाट पर दीपदान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. साथ ही इससे पितरों की तृप्ति और मोक्ष प्राप्ति होती है. इसके अलावा, जीवन में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं.
मंदिरों में दीप जलाना
धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक के पावन महीने में मंदिरों में दीपक जलाने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
कार्तिक मास में किस प्रकार का दीपक जलाना चाहिए?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय मिट्टी का दीपक जलाना शुभ होता है. यह प्राकृतिक तत्व से बना होता है और इसे जलाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है. दीपक जलाने के लिए घी का उपयोग सबसे उत्तम माना गया है. इसके अलावा, यदि आप चाहें तो तिल के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.
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