24.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सूर्योपासना: सूर्य की आराधना से शरीरबल के साथ प्राप्त होता है आत्मबल, जानें 108 अंक का सूर्य से संबंध

अगले सप्ताह 16 दिसंबर से खरमास प्रारंभ होगा, सूर्य के धनु और मीन राशि में जाने पर खरमास लगता है और यह पूरे एक महीने तक होता है. ज्योतिध शास्त्र में खरमास को अच्छा नहीं माना जाता. इस दौरान कोई भी शुभ कार्यों की मनाही होती है.

सलिल पांडेय, अध्यात्म लेखक

सनातन संस्कृति की श्रेष्ठता इसी से परिलक्षित होती है, क्योंकि मनीषियों और विद्वानों ने ही नहीं, बल्कि महाभारत युद्ध की विपरीत परिस्थितियों में विवेक रूपी चक्र के धारणकर्ता योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अर्जुन के विवाद को निष्प्रभावी करने के लिए स्वस्थ तन-मन पर बल दिया तथा प्राकृतिक शक्ति की महता बतायी, इसी क्रम में प्रकृति के अनेकानेक तत्वों के साथ सूर्य की भी महता का उल्लेख किया है. श्रीकृष्ण के योगेश्वर स्वरूप पर चिंतन-मनन किया जाये, तो प्रकृति के साथ उनका योग बनाये रखना इसका मुख्य उद्यारण है. श्रीमद्भगवतगीता के 10वें में जब विय विभूतियों का वर्णन करना शुरू किया तब सर्वप्रथम 21वें श्लोक में खुद अपना परिचय अदिति के 12 पुत्रों में विष्णु तथा ज्योतियों में प्रकाशमान सूर्य का परिचय दिया तथा कहा है. पालनकर्ता विष्णु के साथ सूर्य को शामिल करने का आशय ही है कि सूर्य न सिर्फ मनुष्य के लिए बल्कि पूरी सृष्टि के पालनकर्ता है.

ऋग्वेद में भी निरोगता, दीपां अबू तथा समग्र सूख पर दाता सूर्व को बताते हुए वैदिक विद्वानों ने ‘सविता न सुमनु सांतात नी रात दीर्घमायु ( 10/36/14) गया है. इसके अलावा अभयेंद की ऋधाओं (5/30/15) में कहा गया है कि सूर्य की किरण मनुष्य को मृत्यु से बचाती है. सनितादेनला की अत्यधिक महत्ता के कारण ही गायत्री मंत्र को महामंत्री संज्ञा यी गयी है और इस ‘ॐ भूर्भुवःस्मः तत्सवितुर्वरेण्यवं भदिवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्’ मंत्र के जरिये सूर्य की लाभप्रद किरायों के ही वरण की प्रार्थना की गयी है इन्दों कारणों से मनीषियों ने सूर्य-उपासना की महत्ता पर भी प्रकास डाला है.

धर्मांगों में सूर्य को ईश्वर की संज्ञा दी गयी है सूर्य की आराधना के क्रम में गायीमंत्र के त्रिकोण ‘भूः भुवः और स्वः’ को प्रकाशित करने पर और किया आये तो सबसे पहले शरीर रूपी धरती को ऊजॉन्चित करने के लिए अग्नितत्व (चेतनाशक्ति), चुन के रूप में पंचभूतों से निर्मित शरीर और स्मः के रूप में मानसिक शक्ति के रुप में चिंतन शक्ति को ऊर्जान्वित करने का भाव समाहित है. सूर्य की महत्ता को आमजन में प्रतिपादित करने के लिए लोकोक्ति प्रचलित हुई ‘तो सोचत है, तह खोचत है, जो जागत है वा पावत है.

अगले सप्ताह 16 दिसंबर से खरमास प्रारंभ होगा, सूर्य के धनु और मीन राशि में जाने पर खरमास लगता है और यह पूरे एक महीने तक होता है. ज्योतिध शास्त्र में खरमास को अच्छा नहीं माना जाता. इस दौरान कोई भी शुभ कार्यों की मनाही होती है. वही आध्यात्मिक मान्यताओं में खरमास के दौरान भगवान सूर्य की पूजा अत्यंत फलदायी बतायी गयी है. मनीषियों ने सर्वाधिक सूर्य- उपासना की महत्ता पर भी प्रकाश डाला है. सूर्य की महत्ता को आमजन में प्रतिपादित करने के लिए लोकोक्ति प्रचलित हुई कि ‘जो सोवत है, यह खोवत है, जो जागत है वह पावत है

Also Read: आत्म-साधना: परमपुरुष के पास जाने नहीं देता आपके ज्ञान का अहंकार, जानें गौर करने वाली बात
सूर्य की आराधना से शरीरबल के साथ प्राप्त होता है आत्मबल

धर्मग्रंथों में सूर्य उचित होने के पहले ब्रह्ममुहूर्त में जागने का निर्देश दिया है जिसका समय 3:40 बजे निर्धारित किया गया है. विज्ञान जगत का भी शोध है कि इस अवधि में जागते ही शरीर की आतरिक सफाई के हामीस सक्रिय हो जाते है. विज्ञान जगत जिन हार्मोस का महत्व बताता है. उसे ही ऋषियों ने हरिओम की संज्ञा दी है. सूर्योदय के पहले जागने की लोकोंकि का आशय ही है कि सूर्य के उदित होने के समय जो सीता है, यह जीवन के आद्धाद और उमंग की सी प्रतिभात खो देता है और जो जागता है, वह सी प्रातः कालीन किरणी को अत्यधिक लाभाद बहने के अध्यात्म जगत पर चिकित्सा-जगत वर्तमान में मुहर लगा रहा है, अनेक शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों से मुक्ति के लिए सूर्व- नमस्कार करने की सलाह योग के विद्वान देते हैं.

इनमें बारह प्रकार की योग-क्रियाएं शामिल है. इसके अलावा मनेकियों ने ग्रात काल विद्यमान जहा प्राकृतिक प्रभावी को अंतर्जगत में सचित करने का भी उत्लेख किया है भगवान सूर्य की महता इसी से समझी जा सकती है कि नेतायुग में रावण वध करने के लिए मयांदा पुस्तम भगवान श्रीराम की अगस्त्य ऋषि ने भगवान सूर्य की आराधना करने की सलाह दी श्रीराम ने आदित्यतोत्र का जप किया इससे स्पष्ट होता है कि जीवन में किसी प्रकार की कठिनाइयों का रावण सामने हो, तो भगवान सूर्य की आराधना करनी वहिए. इससे शरीर बल के साथ आत्मबल भी प्राप्त होता है. स्वास्थ्य जगत का सर्वाधिक प्रभावी चिकित्सक होने के कारण प्रातः कालीन और सायंकालीन सहन करने योग्य सूर्य किरणों के समक्ष बैठने से अनेकानेक बीमारियों से मुक्ति मिलती है.

जपमाला के 108 का अंक और सूर्य का संबंध

सूर्य की किरणों के सात रंग- बैंगनी, नील, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी तथा लाल कफ-कत-पिलको सतुलित करते हैं. जपमाना के 108 का अंक और सूर्य का संबंध इसलिए भी है, क्योंकि पृथ्वी का आकार से सूर्य 108 गुना बड़े आधार का है. इसलिए ऋषियों ने सूर्य की संपूर्ण-शक्ति के लिए इस अंक का निर्धारण किया.

ज्योतिष संबंधित चुनिंदा सवालों के जवाब प्रकाशित किए जाएंगे

यदि आपकी कोई ज्योतिषीय, आध्यात्मिक या गूढ़ जिज्ञासा हो, तो अपनी जन्म तिथि, जन्म समय व जन्म स्थान के साथ कम शब्दों में अपना प्रश्न radheshyam.kushwaha@prabhatkhabar.in या WhatsApp No- 8109683217 पर भेजें. सब्जेक्ट लाइन में ‘प्रभात खबर डिजीटल’ जरूर लिखें. चुनिंदा सवालों के जवाब प्रभात खबर डिजीटल के धर्म सेक्शन में प्रकाशित किये जाएंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें