Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के नौ दिनों में भक्त माता दुर्गा की पूजा करते हैं और इस समय भोजन में प्याज और लहसुन नहीं खाते. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ये तामसिक भोजन माने जाते हैं और शरीर और मन में अशांति पैदा करते हैं. इस दौरान घर और पूजा स्थल को शुद्ध रखना, दीपक जलाना, धूप-अगरबत्ती अर्पित करना और माता की आरती करना जरूरी है. इस प्रकार सात्विक भोजन और सही रीति-रिवाज अपनाने से भक्त को माता दुर्गा की कृपा मिलती है और पूजा का लाभ प्राप्त होता है.
इसलिए नहीं खाते हैं प्याज-लहसुन
प्याज और लहसुन को तामसिक भोजन माना जाता है. तामसिक भोजन से शरीर और मन में अशांति और नकारात्मकता बढ़ती हैं. नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन करना इसलिए आवश्यक है ताकि भक्त अपने मन, विचार और कर्म से माता दुर्गा को प्रसन्न कर सकें.
ये है पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, प्याज और लहसुन का संबंध राहु और केतु से जुड़ा है. समुद्र मंथन के समय अमृत की प्राप्ति के दौरान एक असुर ने देवताओं की लाइन में घुसकर अमृत पी लिया. भगवान विष्णु ने उसे पहचान लिया और सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया. असुर का सिर राहु और शरीर केतु के रूप में पृथ्वी पर गिरा, जिससे प्याज और लहसुन उत्पन्न हुए. मान्यता है कि राहु और केतु अभी भी मानव जीवन में परेशानियों और नकारात्मक प्रभावों का कारण बनते हैं. इसीलिए नवरात्रि में इनके सेवन से बचने की परंपरा चली आ रही है.
सात्विक भोजन से मन होता है शांत
नवरात्रि के नौ दिन भक्त न केवल भोजन में सात्विकता अपनाते हैं, बल्कि घर और पूजा स्थल को भी शुद्ध रखते हैं. दीपक जलाना, धूप अर्पित करना, प्रसाद चढ़ाना और माता की आरती करना इन दिनों के मुख्य नियम हैं. इस दौरान प्याज और लहसुन का सेवन न करने से भक्त का मन शांत रहता है और पूजा का लाभ मिलता है.
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