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Shani Grah Shanti: शनि ग्रह शांति के लिए कौन-कौन से मंदिर माने जाते हैं सबसे प्रभावी? जानिए यहां

Shani Grah Shanti: ज्योतिष के अनुसार शनि की ढैया, साढ़ेसाती या अन्य ग्रहदोष जीवन में बाधाएं और परेशानियां बढ़ा सकते हैं. ऐसी स्थिति में भक्त शनि मंदिरों में जाकर पूजा, अभिषेक और दान करते हैं. देशभर में कई प्रसिद्ध स्थान हैं, जहां जाकर लोगों को राहत मिलने की मान्यता है. आइए जानते हैं कौन से शनि मंदिर सबसे प्रभावी माने जाते हैं.

Shani Grah Shanti: शनि से जुड़े कई तीर्थस्थानों में विशेष पूजा-विधियां की जाती हैं, जिनमें तेल अभिषेक, काले तिल चढ़ाना, दीपदान और दान प्रमुख हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि इन स्थलों पर की गई प्रार्थना सामान्य पूजा की तुलना में अधिक प्रभावी होती है, क्योंकि यहां शनि की ऊर्जा अत्यंत प्रबल मानी जाती है. यही कारण है कि इन मंदिरों में शनिवार के दिन भारी संख्या में भक्त पहुंचकर ग्रहदोष से राहत की कामना करते हैं.

शनि शिंगणापुर मंदिर, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित यह मंदिर शनि उपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता है. यहां भगवान शनि की प्राकृतिक (स्वयंभू) शिला खुले आकाश के नीचे स्थापित है. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस शिला के दर्शन करने और तेल चढ़ाने से शनि दोष से राहत मिलती है.

तिरुनाल्लर शनि मंदिर, पुडुचेरी

पुडुचेरी के पास स्थित यह मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख नवग्रह मंदिरों में गिना जाता है. यहां विशेष अनुष्ठान और पूजा से शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने की मान्यता है. दूर-दूर से भक्त यहां शनि शांति के लिए आते हैं.

शनि धाम, दिल्ली

दिल्ली में स्थित यह स्थान एशिया की सबसे विशाल शनि प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है. माना जाता है कि यहां की गई शनि महापूजा, तेल चढ़ाना और दान करने से जीवन की परेशानियां कम होती हैं और शनि का प्रकोप शांत होता है.

कोकिलावन धाम, मथुरा (उत्तर प्रदेश)

मथुरा के कोकिलावन क्षेत्र में स्थित यह धाम शनि पूजा का अत्यंत शक्तिशाली स्थान माना जाता है. विश्वास है कि लगातार सात शनिवार यहां सरसों का तेल चढ़ाने और हनुमानजी के दर्शन करने से शनि दोष से मुक्ति मिल सकती है.

साल में कितनी बार साढ़ेसाती बनती है?

ज्योतिष के अनुसार, शनि ग्रह हर ढाई साल में एक राशि पर गोचर करता है. इसी वजह से जीवन में कई बार साढ़ेसाती का समय आता है. एक व्यक्ति के पूरे जीवन में शनि की साढ़ेसाती लगभग 2 से 3 बार आ सकती है, जो हर बार जीवन में अलग तरह की सीख और अनुभव देती है.

शनि की महादशा का प्रभाव

शनि की महादशा 19 वर्षों की होती है, जिसमें व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर अच्छे-बुरे परिणाम मिलते हैं. यह समय आत्मअनुशासन, मेहनत, संघर्ष और अंत में स्थिर सफलता का होता है, यदि व्यक्ति सही दिशा में कर्म करता रहे.

शनि को सबसे शक्तिशाली ग्रह क्यों माना जाता है?

क्योंकि ये व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसके भाग्य और जीवन में बड़े बदलाव लाते हैं.

क्या शनि हमेशा खराब परिणाम देते हैं?

नहीं, शनि अच्छे कर्म और मेहनत करने वालों को बड़ी सफलता देते हैं.

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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