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Power Of Spirituality: लाइफ की सारी Temporary चीजों में Permanent हैं सिर्फ भगवान… केवल नाम लेने से होता है उद्धार

Power Of Spirituality: सत्संग के बिखरे मोती किताब में बताया गया कि कलियुग में भगवान का नाम-जप ही परमानेंट सहारा है. यह ऐसा उपाय है जिससे हर कोई मन की शांति और शक्ति पा सकता है. आइए जानते हैं भगवान के नाम जाप का महत्व.

Power Of Spirituality: सत्संग के बिखरे मोती किताब में लिखा गया है कि जैसे आग अपने आप जलती है, वैसे ही भगवान का नाम अपने आप फल देता है. इसके लिए ज्यादा भाव या कोशिश की ज़रूरत नहीं है. सिर्फ नाम लेने से भी लाभ मिलता है. अगर मन में भक्ति का भाव हो तो बहुत अच्छा है, लेकिन अगर न भी हो तो भी भगवान का नाम लेना चाहिए. नाम की अपनी शक्ति होती है, जो हर स्थिति में काम करती है.

तर्क नहीं, विश्वास है जरूरी

आज की भाग-दौड़ में मन को काबू करना बहुत मुश्किल है. तर्क करने से मन और उलझ जाता है, लेकिन नाम-जप करने से मन शांत और स्थिर हो जाता है.

नाम-जप ने डाकू रत्नाकर को बना दिया महर्षि वाल्मीकि

धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि महर्षि वाल्मीकि पहले रत्नाकर नाम के डाकू थे. वे लूटपाट और हिंसा करके जीवन गुज़ारते थे. लेकिन एक दिन नारद मुनि से उनकी ज़िंदगी की दिशा बदल गई. नारद मुनि ने रत्नाकर से कहा कि वे भगवान राम का नाम जपें. लेकिन उस समय रत्नाकर पापी जीवन जी रहे थे और “राम-राम” बोलना उनके लिए मुश्किल था. तब नारद जी ने उन्हें उल्टा “मरा-मरा” जपने को कहा. रत्नाकर ने “मरा-मरा” का जाप शुरू किया और धीरे-धीरे वह “राम-राम” में बदल गया. निरंतर जप से उनके मन का अंधकार मिट गया और वे महान ऋषि बन गए. इस कहानी से यही सीख मिलती है कि भगवान का नाम अपने आप मनुष्य को बदल देता है. चाहे कैसे भी हालात हों, अगर कोई सच्चे मन से नाम जपे तो उसका जीवन बदल सकता है.

दुनिया की सारी अस्थायी चीजों में बस भगवान नाम हैं परमानेंट

इस दुनिया की सारी चीजें अस्थायी हैं – धन, शोहरत, रिश्ते, सुख-दुख सब समय के साथ बदल जाते हैं. लेकिन एक चीज है जो कभी नहीं बदलती और जो हर युग में सच्चा सहारा देती है, वह है भगवान का नाम. यही एकमात्र ऐसा खजाना है जो हमेशा हमारे साथ रहता है और जीवन के हर मोड़ पर शांति व शक्ति देता है.

कैसे और कब करें नाम-जप

कहा जाता है कि नाम-जप करने का कोई तय समय नहीं है, इसे कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है. फिर भी सुबह उठकर, स्नान के बाद शांत मन से किया गया जप सबसे फलदायी माना जाता है. दिनभर काम करते समय, चलते-फिरते या सोने से पहले भी नाम-जप कर सकते हैं. जरूरी यह नहीं कि कितनी बार जप किया, बल्कि यह है कि मन से और नियमित रूप से किया जाए.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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