11.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या कब है? जानें स्नान-पिंडदान का सही समय और सभी शुभ मुहूर्त

Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या इस साल 19 दिसंबर 2025 को पड़ रही है. इस दिन दिवंगत पूर्वजों को याद किया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण और दान किया जाता है. आइए जानते हैं पौष अमावस्या के दिन पिंडदान, स्नान-दान और तर्पण का शुभ मुहूर्त.

Paush Amavasya 2025: पौष महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या पड़ती है. सनातन धर्म में इस तिथि को बेहद खास और महत्वपूर्ण माना गया है. यह दिन दिवंगत पूर्वजों को समर्पित होता है. ज्योतिषाचार्य चंद्रशेखर सिंह के अनुसार, यह दिन स्नान, दान और पितरों को स्मरण करने के लिए यह तिथि अत्यंत शुभ मानी गई है. इस दिन किए गए तर्पण और दान से पितर प्रसन्न होते हैं, जीवन की रुकावटें दूर होती हैं तथा घर-परिवार में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति बनी रहती है.

  • पौष अमावस्या: 19 दिसंबर 2025, शुक्रवार
  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 19 दिसंबर, सुबह 04:59 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 20 दिसंबर, सुबह 07:00 बजे
  • उदया तिथि के अनुसार: सभी शुभ कार्य 19 दिसंबर को ही किए जाएंगे.

स्नान-दान का शुभ समय

पौष अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त सबसे शुभ माना गया है. इस समय स्नान, जप, ध्यान और तर्पण करना अत्यंत फलदायी माना जाता है. यदि ब्रह्म मुहूर्त में स्नान संभव न हो, तो सूर्योदय के बाद भी स्नान और दान किया जा सकता है. स्नान के बाद अपनी क्षमता अनुसार अन्न, वस्त्र और आवश्यक वस्तुओं का दान शुभ फल देता है.

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:19 से 6:14 बजे तक रहेंगा.

अन्य शुभ मुहूर्त

  • लाभ मुहूर्त: 08:26 से 09:43 बजे
  • अमृत मुहूर्त: 09:43 से 11:01 बजे
  • अभिजीत मुहूर्त: 11:58 से 12:39 बजे
  • राहुकाल (शुभ कार्य वर्जित): 11:01 से 12:18 बजे तक

इस अमावस्या विशेष योग एवं पितृ कृपा प्राप्ति का श्रेष्ठ अवसर

  • शूल योग: सुबह से 03:47 बजे तक. इसके बाद गण्ड योग का प्रारंभ होता है.
  • ज्येष्ठा नक्षत्र: सुबह से रात 10:51 बजे तक. इसके बाद प्रारंभ मूल नक्षत्र योगा का प्रांरम्भ होता है. इन योगों के कारण इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है.

अमावस्या पर पितरों का विशेष आगमन

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण, दान और पुण्य कर्म स्वीकार करते हैं.इसलिए यह दिन पितृ-तृप्ति का सर्वोत्तम अवसर माना जाता है.

पिंडदान व पितृ कर्म का श्रेष्ठ समय

इस दिन किया गया तर्पण पितरों को तृप्त करता है, पितृ दोष कम होता है और जीवन में आ रही बाधाएं दूर होने लगती हैं.श्राद्ध और तर्पण से घर में शांति, सौभाग्य और उन्नति बनी रहती है. दोपहर 11:30 से 2:30 बजे के बीच पिंडदान और तर्पण करना उत्तम माना गया है.

यह भी पढ़ें: Paush Amavasya 2025: पितृ शांति और सूर्य उपासना का सबसे शुभ दिन है पौष अमावस्या, नोट करें सही तारीख


Neha Kumari
Neha Kumari
प्रभात खबर डिजिटल के जरिए मैंने पत्रकारिता की दुनिया में पहला कदम रखा है. यहां मैं एक इंटर्न के तौर पर काम करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से जुड़े विषयों पर कंटेंट राइटिंग के बारे में सीख रही हूं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel