Maa Kushmanda Aarti Lyrics: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है. माता कूष्मांडा को सृष्टि की रचयिता माना जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त इस दिन सच्चे मन से मां की पूजा और आरती करता है, माता उसकी सारी मुरादें पूरी करती हैं. इस आर्टिकल में हमने माता कूष्मांडा की आरती के लिरिक्स प्रस्तुत किए हैं.
माता कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी.
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली.
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे .
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा.
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे.
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा.
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी.
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा.
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो.
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए.
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
मां कूष्मांडा का मंत्र (Maa Kushmanda Mantra)
ऊं कुष्माण्डायै नम:
बीज मंत्र
कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
ध्यान मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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