Masik Krishna Janmashtami 2025: यह तिथि हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आती है. इस दिन भक्त भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करके उनके जन्मोत्सव जैसा माहौल बनाते हैं. मान्यता है कि इस दिन विशेष मंत्रों से श्रीकृष्ण की आराधना करने से जीवन में सुख, शांति और प्रेम बढ़ता है.
क्यों मनाई जाती है मासिक जन्माष्टमी
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी को हुआ था. इसलिए हर महीने जब कृष्ण पक्ष की अष्टमी आती है, तो इसे मासिक जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन व्रत और भक्ति से की गई पूजा से मन को शांति मिलती है और पापों का क्षय होता है.
पूजा विधि
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
घर के मंदिर या पूजा स्थल पर श्रीकृष्ण की मूर्ति को स्नान कराएं.
तुलसी पत्र, माखन-मिश्री, फल और फूल अर्पित करें.
श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने वाले मंत्र
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
यह मंत्र श्रीकृष्ण की कृपा पाने का सबसे सरल और प्रभावशाली मंत्र है.
“गोपीकानां च दासोऽहम्”
इस मंत्र के जाप से भक्ति और प्रेम की भावना प्रबल होती है.
“कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥”
यह मंत्र सभी दुख और क्लेश को दूर करता है.
महत्व और लाभ
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर इन मंत्रों का जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है, मन की शांति बनी रहती है, और परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है. भक्त मानते हैं कि इस दिन श्रीकृष्ण स्वयं अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
क्यों है ये महीना इतना खास
मार्गशीर्ष माह को धर्म, ज्ञान और भक्ति का महीना कहा गया है. शास्त्रों के अनुसार, यह वही महीना है जब भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था. इसी वजह से इसे गीता माह भी कहा जाता है. इस महीने में की गई पूजा, जप, दान और ध्यान का फल कई गुना अधिक मिलता है.
श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है- “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्।”
अर्थात, “महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं” इसलिए यह महीना भगवान की कृपा पाने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है.
मासिक जन्माष्टमी और भाद्रपद जन्माष्टमी में क्या अंतर है?
भाद्रपद जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के वास्तविक जन्म का पर्व है, जबकि मासिक जन्माष्टमी हर माह भक्ति के रूप में मनाई जाती है.
क्या इस दिन व्रत रखा जाता है?
हां, कई भक्त अष्टमी के दिन फलाहार या निर्जल व्रत रखते हैं.

