Mantra Power: आध्यात्मिक ग्रंथों—रामायण, महाभारत और वेदों में वर्णन मिलता है कि प्राचीन काल के तपस्वी साधक मात्र मंत्रों की शक्ति से इच्छित फल प्राप्त कर लेते थे. उनका जप इतना सशक्त था कि प्रकृति भी उनके संकल्प से प्रभावित हो जाती थी. आज भी जब ज्योतिषी किसी ग्रहदोष या परेशानी का समाधान बताते हैं, तो उनमें मंत्र जाप प्रमुख उपाय होता है. पर बहुत से लोग शिकायत करते हैं कि उन्होंने मंत्र तो जपे, पर लाभ नहीं मिला. इसका कारण मंत्र की कमजोरी नहीं, बल्कि जाप का गलत तरीका है.
पहला तरीका: केवल मुंह से जाप – जीरो वॉट के बल्ब जैसा असर
अधिकांश लोग चलते-फिरते, घर के काम करते हुए या मोबाइल देखते-देखते मंत्र जपने लगते हैं. इससे मन और आत्मा की ऊर्जा मंत्र में शामिल ही नहीं होती. यह ठीक वैसा है जैसे अंधेरे कमरे में जीरो वॉट का बल्ब जलाना. रोशनी तो आती है, पर दिखाई नहीं देती.
दूसरा तरीका: मन से जाप – 10 वॉट के बल्ब जैसी रोशनी
शांत जगह बैठकर मन को केंद्रित कर जपा गया मंत्र शक्ति देने लगता है. इस अवस्था में ध्यान और स्वर दोनों एक दिशा में चलते हैं. ऊर्जा बढ़ती है और परिणाम दिखना शुरू होते हैं.
तीसरा तरीका: आत्मा से जाप – 100 वॉट के बल्ब जैसा प्रभाव
जब आपकी चेतना, सांसें, मन और शरीर एक साथ मंत्र के साथ जुड़ जाएं, तब मंत्र का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. यही वह स्तर है जहां साधक के सातों चक्र सक्रिय होकर ऊर्जा का विशाल प्रवाह तैयार करते हैं. यही कारण है कि प्राचीन काल के मंत्र आज भी उतने ही शक्तिशाली हैं—बस उन्हें साधने की पद्धति कमजोर पड़ गई है. सही भाव, सही एकाग्रता और आत्मिक ऊर्जा के साथ किया गया जाप जीवन के अंधकार को सचमुच प्रकाश में बदल सकता है.
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