21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Mahalaya Amavasya 2025: आज है महालया अमावस्या, जानिए किस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

Mahalaya Amavasya 2025: आज महालया अमावस्या है, जो पितृ पक्ष के समापन और शारदीय नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है. इस दिन पूर्वजों को तर्पण, श्राद्ध और दान के माध्यम से श्रद्धांजलि दी जाती है. जानें इस पावन अवसर का शुभ मुहूर्त, महत्व और इस दिन किए जाने वाले खास धार्मिक कार्य.

Mahalaya Amavasya 2025:  महालया अमावस्या को पितृ पक्ष अमावस्या या सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है और यह हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है.  यह दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनको विदा करने का अंतिम दिन होता के लिए श्राद्ध कर्म करने के लिए समर्पित होता है.  गहरी श्रद्धा के साथ मनाई जाने वाली महालया अमावस्या 15 दिनों के श्राद्ध पक्ष का समापन करती है और आने वाले दुर्गा पूजा पर्व की शुरुआत का संकेत देती है.  इस वर्ष महालया अमावस्या रविवार, 21 सितंबर 2025 को पड़ रही है.

महालया अमावस्या का शुभ मुहूर्त क्या हौ

साल 2025 में महालया अमावस्या 21 सितंबर (रविवार) की रात 12:16 बजे से आरंभ होकर 22 सितंबर (सोमवार) की सुबह 1:23 बजे तक रहेगी.  इसके अगले दिन यानी 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होगा.

महालया का महत्व

महालया, दुर्गा पूजा से लगभग एक सप्ताह पहले मनाया जाता है और इसी दिन दुर्गा उत्सव की शुरुआत मानी जाती है.  पश्चिम बंगाल में इसे विशेष श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है.  मान्यता है कि महालया के दिन देवी दुर्गा कैलाश से पृथ्वी पर अपनी यात्रा प्रारंभ करती हैं.  इस दिन भक्त मां दुर्गा का स्वागत करने के लिए विशेष पूजा और आराधना करते हैं.

माना जाता है कि महालया के दिन मां दुर्गा पृथ्वी पर अवतरित होकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं.  मूर्तिकार इस दिन देवी की प्रतिमाओं की आंखें बनाने और उन्हें अंतिम रूप देने का कार्य करते हैं, जिसे “चक्षुदान” कहा जाता है.

महालया के दिन क्या करें

इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान-ध्यान कर देवी दुर्गा के मंत्रों का जप और महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र का पाठ करना शुभ माना जाता है.  भक्त देवी से सुख, समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं.  महालया के अगले दिन शारदीय नवरात्रि आरंभ होती है और कलश स्थापना के साथ देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है.

पूजा विधि

  • महालया अमावस्या पर परिवारजन अपने दिवंगत पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध कर्म के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.  इस दिन पीले वस्त्र धारण करना, घर पर ब्राह्मण को आमंत्रित करना और श्राद्ध करना पारंपरिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है.
  • इस अवसर पर ब्राह्मणों का सम्मान किया जाता है और यज्ञोपवीत (पवित्र धागा) दाहिने कंधे पर धारण किया जाता है.  पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए धूप, दीप, फूल, जल और अन्न अर्पित किया जाता है.  साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना भी पुण्यकारी माना जाता है.
  • परिवार के सदस्य मंत्रों का जप कर पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, बीते हुए किसी भी दोष के लिए क्षमा याचना करते हैं और उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं.  यह अनुष्ठान पूर्वजों के प्रति सम्मान और आध्यात्मिक जुड़ाव स्थापित करने का एक माध्यम माना जाता है.
Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel