22.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Maa Durga Katha: कैसे हुआ था मां दुर्गा का प्राकट्य? यहां पढ़िए पूरी कहानी

Maa Durga Katha: मान्यता के अनुसार एक समय ऐसा आया जब महिषासुर ने चारों ओर आतंक मचा रखा था. देवताओं की सारी शक्तियां उसके सामने कम पड़ रही थीं. तब सभी देवताओं ने मिलकर मां आदिशक्ति की उपासना की. देवी दुर्गा प्रकट हुईं और अपनी शक्ति से महिषासुर का विनाश किया. इस तरह उन्होंने संसार को बचाया और सभी पर कृपा की.

Maa Durga Katha: इस संसार की शक्ति देवी दुर्गा ही हैं. समय-समय पर उन्होंने अलग-अलग रूप धारण कर प्रकृति और सृष्टि की रक्षा की. मान्यता है की जब किसी दैत्य के सामने देवताओं की शक्ति कमजोर पड़ जाती थी, तब स्वयं मां आदिशक्ति अपने भक्तों और पुत्रों की रक्षा करती थीं. देवी दुर्गा का क्रोधी रूप दुष्टों का नाश करता है, जबकि उनका स्नेही रूप भक्तों को प्रेम और सुरक्षा देता है. माना जाता है कि पंच देवों में से एक, देवी दुर्गा सर्वशक्तिशाली हैं.

महिषासुर का आतंक

एक समय महिषासुर नामक शक्तिशाली राक्षस ने चारों ओर भय फैलाया. वह हर जगह विनाश मचाता और ऋषियों के यज्ञ में बाधा डालता. महिषासुर को वरदान मिला था कि कोई भी देव, मानव या जानवर उसे मार नहीं सकता. इसलिए त्रिदेव भी उसे मारने में असमर्थ थे. दैत्यराज ने अपने वरदान का इस्तेमाल कर देवलोक में कब्जा जमा लिया और देवों को वहां से निकाल दिया. यज्ञ और पूजा-कार्य भी उसके नियंत्रण में आ गए.

मां ने की देवताओं की सहायता

महिषासुर की तानाशाही से परेशान होकर सभी देवता त्रिदेवों के पास गए और उन्हें स्तुति करने लगे. त्रिदेव पहले से ही जानते थे कि स्थिति गंभीर है. भगवान शिव मुस्कुराए और बोले, “हे नारायण! अब समय आ गया है कि हम देवी आदिशक्ति को प्रकट करें. हमें उनकी शक्ति से इस जगत की रक्षा करनी है. भगवान ब्रह्मा और विष्णु ने भी इस सुझाव को स्वीकार किया.

ऐसे हुआ देवी दुर्गा का प्राकट्य

तब शिव, विष्णु और ब्रह्मा के तेज से शक्ति उत्पन्न हुई और वह एक स्थान पर मिलकर सुंदर स्त्री रूप में परिणत हुई. उपस्थित देवताओं के तेज से माता के शरीर के सभी अंग बने—महादेव से मुख, नारायण से आठ भुजाएं, ब्रह्मा से चरण, यमराज से मस्तक और केश, चंद्रमा से स्तन, इंद्र से कमर, वरुण से जांघ और अन्य देवताओं के तेज से शेष अंग बने.

माता को मिले दिव्य अस्त्र

सभी देवताओं ने मिलकर माता को शक्तिशाली अस्त्र और सुंदर आभूषण दिए गए, महादेव ने त्रिशूल दिया, विष्णु ने चक्र दिया, ब्रह्मा ने कमंडल दिया, इंद्र ने वज्र दिया, वरुण ने शंख दिया, हिमालय ने सिंह को सवारी के रूप में दिया, सागर ने रत्नों से सजे आभूषण दिए, विश्वकर्मा ने माता के लिए दिव्य शस्त्र बनाए. माता का यह रूप अत्यंत तेजस्वी, भयंकर और शक्तिशाली था, जो दुष्टों का संहार कर भक्तों की रक्षा करता था.

मां दुर्गा ने किया महिषासुर का वध

देवी दुर्गा के इस भव्य और शक्तिशाली रूप को देखकर सभी देवताओं ने उनके सामने हाथ जोड़कर स्तुति की और उन पर पुष्प बरसाए. माता प्रसन्न होकर बोलीं, “हे देवों! बताओ, मेरा यह प्रकट होना किस उद्देश्य से हुआ है? मैं आपकी समस्या दूर कर दूंगी. देवताओं ने सारी परिस्थिति बताई. इसके बाद माता दुर्गा ने युद्ध का रूप धारण किया. सबसे पहले उन्होंने महिषासुर की सेना का विनाश किया और फिर स्वयं महिषासुर का वध किया. इस प्रकार देवी ने संसार को दुष्टों के आतंक से मुक्त किया और सभी की रक्षा की.

Also Read: Navratri Kanya Pujan Gift: नवरात्रि में कन्या पूजन पर कंजक को गलती से भी ना दें ये गिफ्ट, वरना नहीं मिलेगा पूजा का फल

Disclaimer:यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel