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Jyeshtha Amavasya 2021: कल है ज्येष्ठ अमावस्या, शनि जयंती और लगेगा 5 घटे तक सूर्य ग्रहण, जानें व्रत पूजा सामग्री और इसका धार्मिक महत्व

Jyeshtha Amavasya 2022 : ज्येष्ठ मास में आने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहा जाता है. ज्येष्ठ अमावस्या तिथि इस बार 9 जून दिन बुधवार को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से प्रारंभ हो रहा है. जिसका समापन 10 जून 2021 दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर होगा.

Jyeshtha Amavasya 2022 : ज्येष्ठ मास में आने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहा जाता है. ज्येष्ठ अमावस्या तिथि इस बार 9 जून दिन बुधवार को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से प्रारंभ हो रहा है. जिसका समापन 10 जून 2021 दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर होगा. स्नान दान के लिए उदया तिथि 10 जून को प्राप्त हो रही है. ऐसे में ज्येष्ठ अमावस्या 10 जून को है. इस दिन ही धार्मिक कार्य किए जाएंगे.

इस दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी हैं. इसके साथ ही आसमान में सबसे बड़ा खगोलीय घटना भी घट रहा है. 5 घटे तक इस साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा. मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्मा पुराण और गरुड़ पुराण में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. इन ग्रंथों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या तिथि के दिन स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ से भगवान का आशीर्वाद मिलता है.

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ज्येष्ठ अमावस्या की पूजा

अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदी, जलाशय अथवा कुंड आदि में स्नान करना चाहिए. वहीं, इस समय कोरोना संक्रमित के कारण आप घर पर ही स्नान कर लें, यह उत्तम रहेगा. आप घर पर ही पानी में गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं. इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए.

तांबे के पात्र में जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें. अमावस्या के दिन किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा देना चाहिए.

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वट सावित्री व्रत के लिए महत्वपूर्ण पूजन सामग्रियां

लाल पीले रंग का कलावा या रक्षा सूत्र, कुमकुम या रोली, बांस का पंखा, धूप, दीपक, घी-बाती, सुहागिनों के सोलह श्रृंगार की सामग्री, पूजा के लिए सिंदूर, पांच प्रकार के फल, पुष्प-माला, पूरियां, गुलगुले, भिगोएं चने, जल भरा हुआ कलश, बरगद का फल, बिछाने के लिए लाल रंग का आसन

ज्येष्ठ अमावस्या महत्व

ज्येष्ठ अमावस्या का बड़ा महत्व है. इस दिन ही शनि जयंती और वट सावित्री व्रत का पर्व भी मनाया जाता है. वहीं, इस बार इसी दिन साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण भी लगेगा. मान्यता के अनुसार, अमावस्या के दिन नदी स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. इसी दिन पितरों की तृप्ति के लिए पिंडदान, श्राद्धकर्म और उपासना की जाती है.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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