Jitiya Vrat 2023: हिंदू धर्म में जितिया व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति और उनकी मंगल कामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं. मान्यता के अनुसार जितिया का व्रत तीन दिन तक चलता है. जितिया व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से होती है और इसका समापन पारण के साथ नवमी तिथि के दिन किया जाता है. जितिया व्रत अश्विन मास की कृष्ण अष्टमी तिथि को रखा जाता है. अष्टमी की तिथि पर पूरे दिन निर्जल व्रत रखा जाता है. इस दिन जीमूतवाहन के पूजन का विधान है. इस साल जितिया व्रत 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने पुत्रों के लिए 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. आइए जानते है ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री से जितिया व्रत और पूजा विधि से जुड़ी पूरी जानकारी...
Jitiya Vrat 2023: जितिया का शुभ मुहूर्त कब है?
पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को प्रातः काल 06 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान है. इसलिए 6 अक्टूबर को जितिया व्रत मनाया जाएगा. जितिया व्रत का पारण 7 अक्टूबर 2023 को सुबह 08 बजकर 10 मिनट के बाद किया जा सकेगा.
Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत का नहाए खाए कैसे करें?
बिल्कुल छठ की तरह ही जिउतिया में नहाय खाय होता है. इस दिन महिलाएं सुबह-सुबह उठकर गंगा स्नान करती हैं और पूजा करती हैं. अगर आपके आसपास गंगा नहीं हैं तो आप सामान्य स्नान कर भी पूजा का संकल्प ले सकती हैं. नहाय खाय के दिन सिर्फ एक बार ही भोजन करना होता है.
Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत का नियम क्या है?
छठ के व्रत की तरह ही जितिया व्रत से एक दिन पूर्व नहाय-खाय किया जाता है. इसमें व्रती स्नानादि और पूजा-पाठ के बाद भोजन ग्रहण करती है और अगले दिन निर्जला उपवास रखती हैं. इसीलिए नियम के तहत नहाय-खाय के दिन भूलकर भी लहसुन-प्याज, मांसाहार या तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. हालांकि कुछ महिलाएं मछली खाने के बाद जितिया व्रत रखती हैं.
Jitiya Vrat 2023: जितिया पर किसकी पूजा की जाती है?
जितिया मिथिलांचल की नेपाली विवाहित महिलाओं और पूर्वी और मध्य नेपाल की थारू महिलाओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है. जितिया व्रत अपने पुत्रों की सलामती और लंबी उम्र के लिए किया जाता है. यह आमतौर पर आश्विन कृष्ण अष्टमी को प्रदोष काल में किया जाता है. जितिया में जीमूतवाहन भगवान की पूजा प्रदोष काल में की जाती है.
Jitiya Vrat 2023: जीवित्पुत्रिका का व्रत कैसे करते हैं?
जितिया व्रत के पहले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर स्नान करके पूजा करती हैं और फिर एक बार भोजन ग्रहण करती हैं . उसके बाद पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं. इसके बाद दूसरे दिन सुबह-सवेरे स्नान के बाद महिलाएं पूजा-पाठ करती हैं और फिर पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं. व्रत के तीसरे दिन महिलाएं पारण करती हैं.
Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत कैसे किया जाता है?
नहाय खाय से शुरू होकर व्रत और पारण के बाद जितिया का व्रत पूरा होता है. इस व्रत में अन्न-जल का त्याग कर माताएं संतान की दीर्घायु, आरोग्य और सुखमय जीवन की कामना के लिए व्रत रखती हैं. जितिया में जीमूतवाहन भगवान की पूजा प्रदोष काल में की जाती है.
Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत में क्या क्या खाना चाहिए?
इस अवसर पर मंडुआ की लिट्टी, गेहूं के आटे की दूध-पिट्ठी, देसी मटर करी, झिंगली-तोरी की सब्जी, अरबी की सब्जी, नोनी साग, पोई साग के पकौड़े, काशीफल की सब्जी, खीरे का रायता और न जाने कितने व्यंजन खाये और खिलाये जाते हैं.
Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत में क्या क्या लगता है?
जितिया व्रत के तीसरे दिन महिलाएं पारण करती हैं. सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं अन्न ग्रहण कर सकती हैं. मुख्य रूप से जितिया पर्व के तीसरे दिन झोर भात, मरुवा की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है. अष्टमी को प्रदोषकाल में महिलाएं जीमूतवाहन की पूजा करती है.