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Jaya Kishori Tips : एक वाणी, लाख रिश्ते बोलते समय जया किशोरी ने दी ये सीख

Jaya Kishori Tips : यदि हम अपनी वाणी को शुद्ध, प्रेममय और संयमित रखें, तो न केवल हमारे रिश्ते मजबूत होंगे, बल्कि जीवन में भी परम शांति का वास होगा. यही है सच्चा धर्म और जीवन का गूढ़ रहस्य.

Jaya Kishori Tips : धार्मिक साधना और सच्चे आचरण से जीवन में सुख-शांति और रिश्तों में मधुरता आती है. धार्मिक प्रवचन और संतों के वचनों में छिपा है जीवन का सार. जया किशोरी जी, जो भक्ति और आध्यात्म की प्रेरणा हैं, ने “एक वाणी, लाख रिश्ते” की शिक्षा से हमें सिखाया है कि शब्दों की शक्ति कितनी महान होती है. उनका कहना है कि हमारे बोल, हमारी वाणी, हमारे रिश्तों का आधार होती है. आइए, उनकी शिक्षाओं के पांच प्रमुख धार्मिक बिंदुओं पर विचार करें:-

– वाणी में शुद्धता और प्रेम का संचार करें

जया किशोरी बताती हैं कि वाणी में यदि प्रेम और सद्भावना न हो, तो लाख रिश्ते भी कमजोर पड़ जाते हैं. धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि वाणी से निकले शब्दों में इतनी शक्ति होती है कि वे लोगों का हृदय जीत सकते हैं या तोड़ भी सकते हैं. इसलिए बोलने से पहले सोचें और सद्भावपूर्ण भाषा अपनाएं. इससे रिश्ते मधुर और मजबूत बनते हैं.

– वचनबद्धता का पालन करें, वचन से बड़ा कोई धर्म नहीं

जया किशोरी जी की यह शिक्षा है कि वचनबद्धता धर्म का आधार है. जो वचन हम देते हैं, उनका पालन करना सर्वोच्च धर्म है. ऐसा न हो कि हमारी एक गलत वाणी से रिश्तों में दरार आ जाए. जीवन में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से बोली गई बातें ही संबंधों को टिकाऊ बनाती हैं.

– क्रोध में बोले गए शब्दों से बचें, मन में शांति रखें

धार्मिक दृष्टिकोण से क्रोध और हिंसक वाणी का त्याग करना आवश्यक है. जया किशोरी जी कहती हैं कि क्रोध में बोले गए शब्द रिश्तों को नष्ट कर देते हैं. इसलिए जब भी क्रोध आए, मन को शांत करें, और विचार पूर्वक बोले. इस प्रकार वाणी में संयम का पालन करें.

– दूसरों की भलाई और प्रेरणा देने वाली बातें बोलें

जया किशोरी जी की यह सीख है कि हमारी वाणी में दूसरों के लिए प्रेरणा, सहारा और भलाई होनी चाहिए. धार्मिक ग्रंथ कहते हैं कि अच्छे शब्दों का प्रभाव चमत्कारिक होता है. हमारी बातें दूसरों के जीवन में आशा और सकारात्मकता का संचार करें, जिससे समाज में प्रेम और सद्भाव बढ़े.

– वाणी से भगवान का स्मरण और भक्ति भाव जगाएं

संत जया किशोरी जी कहती हैं कि वाणी का सबसे बड़ा महत्व तब होता है जब वह प्रभु का स्मरण कराए. धार्मिक गाथाओं, भजनों और मंत्रों का उच्चारण मन और वाणी दोनों को शुद्ध करता है. इससे आत्मा की शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है, जो रिश्तों में प्रेम और सामंजस्य का कारण बनता है.

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जया किशोरी जी के ये उपदेश हमें सिखाते हैं कि “एक वाणी” में लाखों रिश्तों का सार छिपा है. यदि हम अपनी वाणी को शुद्ध, प्रेममय और संयमित रखें, तो न केवल हमारे रिश्ते मजबूत होंगे, बल्कि जीवन में भी परम शांति का वास होगा. यही है सच्चा धर्म और जीवन का गूढ़ रहस्य.

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