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हिंदू नववर्ष पर घर बैठें करें पूजा ,माँ करेंगी कोरोना से आपकी रक्षा

कोरोना संक्रमण coronavirus से जहां अभी समस्त विश्व प्रभावित है वहीं भारत में भी लोग कोरोना को लेकर काफी भयभीत हैं. भारत परंपराओं और मान्यताओं को सदैव पूजता आया है इसलिए इसके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता. ज्योतिर्विद" देवज्ञ" ड़ॉ श्रीपति त्रिपाठी बता रहे हैं कि कैसे मां की अराधना कोरोना जैसे संक्रमण से लड़ने में सहायक साबित हो सकती है

कोरोना संक्रमण coronavirus से जहां अभी समस्त विश्व प्रभावित है वहीं भारत में भी लोग कोरोना को लेकर काफी भयभीत हैं. भारत परंपराओं और मान्यताओं को सदैव पूजता आया है इसलिए इसके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता. ज्योतिर्विद “देवज्ञ” ड़ॉ श्रीपति त्रिपाठी बता रहे हैं कि कैसे मां की अराधना कोरोना जैसे संक्रमण से लड़ने में सहायक साबित हो सकती है-

Chaitra Navratri 2020 नवरात्र में अभी वर्त्तमान समय में कोरोना coronavirus जैसी जानलेवा महामारी पुरे विश्व को अपने आगोश में धीरे-धीरे लेना शुरू कर दिया है.सरकार के आदेश के बाद सभी शहरो को लॉकडाउन का आदेश है.मंदिरो में जाकर अनुष्ठान नव दिन नव रात्रि समूह में नहीं कर सकते.सभी मंदिरो बंद करा दिया गया है.इस परिस्थिति में अपने घर में पूजन के अलावा कोई वैकल्पित व्यवस्था नहीं है.

आज 25 मार्च , चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो गया है .आज विधि विधान से शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना किया जाएगा.चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही हिन्दू नववर्ष प्रारंभ होता है.आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से विक्रम संवत 2077 यानी हिन्दू नववर्ष 2077 प्रारंभ हो चुका है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ही सभी व्रत एवं त्योहार आते हैं.

मंदिर को भी संस्कृत में घर बोला जाता है.इसलिए इस परिस्थिति में घर में ईशान कोण में पूजन स्थान बनाये.स्वयं दुर्गा सप्तसती एवं रामचरितमानस का पाठ करे तो बहुत ही बेहतर रहेगा.इसी बीच नाव पर माता का आगमन भक्तों के लिए शुभ फलदायी है.माता की विदाई गज यानी हाथी पर हो रहा है.माता का हाथी से गमन होने से अति वृष्टि का योग बन रहा है.माता का आगमन नाव पर आने के कारण “नौकायां सर्व सिद्धि स्यात ” यह सभी प्रकार के सिद्धियों को देने वाला है .

लेकिन इस छुआछूत की महामारी में माता का पूजन बहुत ही संयमित एवं सावधानी से करना होगा.मनसा कर्मणा एवं वाचा ये सब पूजा के प्रकार हैं.अभी मनसा पूजा करना ज्यादा उपयुक्त होगा जिससे आप अपने मन से ही माता को सब कुछ अर्पित करेंगे.

अपने मन की बागवानी से फूल माँ के चरणों में अर्पित करना होगा.अपने घर यथा शक्ति यथा -भक्ति की व्यवस्था करें.नवरात्रि के व्रत का पहला नियम यह है कि इस व्रत को रखने वाले महिला और पुरुष दोनो ब्रह्मचर्य का पालन करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां की पूजा अर्चना साफ मन से करने से ही माता रानी प्रसन्न होकर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

नवरात्रि के व्रत में घर में कलश स्थापना करने के बाद घर को भूलकर भी खाली ना छोड़े. ध्यान रखें घर में कलश स्थापना के बाद कोई न कोई व्यक्ति घर में जरूर रहें.

नवरात्रि के दिनों में मां का ध्यान करते समय अपने मन को शांत रखने से ही घर में शांति और सद्भाव आने के साथ माता लक्ष्मी अपने भक्त पर प्रसन्न होती हैं. ऐसा माना जाता है कि जिन घरों में अक्सर कलह रहती है उन घरों में कभी भी बरकत नहीं होती है, क्योंकि मां लक्ष्मी ऐसे घर में वास नहीं करती हैं.

नवरात्रि के दौरान व्यक्ति को प्याज,लहसुन और मांस- मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए. नवरात्रि के नौ दिनों तक पूर्ण सात्विक आहार का सेवन करें.

नवरात्रि के दौरान घर में साफ सफाई का खास ध्यान रखें. इन दिनों कालें रंग के कपड़े और चमड़े से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करने से बचें. ध्यान रखें इन दिनों बाल, दाढ़ी और नाखून भी काटने से परहेज करना चाहिए।.

नवरात्रि के दिनों में प्रातः उठकर सबसे पहले स्नान करके मां का ध्यान करना चाहिए. इन दिनों किए गए दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष फल मिलता हैं. कहा जाता है कि नवरात्रि के दौरान दिन के समय सोना भी नहीं चाहिए.

कलश स्थापना के लिए सामान

मिट्टी का कलश और ढकन के लिए ढक्कन, जौ, साफ मिट्टी, रक्षा सूत्र, लौंग इलाइची, रोली और कपूर, आम के पत्ते, पान के पत्ते, साबुत सुपारी, अक्षत, नारियल, फूल, फल, ढक्कन में भरने के लिए चावल या फिर गेंहू

मां के श्रृंगार का सामान

माता के श्रृंगार का सामान बेहद जरूरी है. इसमें आप लाल चुनरी के साथ लाल चूड़ियां, सिंदूर, कुमकुम, मेहंदी, आलता और बिंदी, शीशा, कंघी भी शामिल करें.

पूजा के प्रसाद

फूलदाना, मिठाई, मेवा, फल, इलायची, मखाना, लौंग, मिस्री होनी चाहिए.

अखंड ज्योति के लिए सामग्री

नौ दिन अखंड ज्योति अगर आप जला रहे तो आप शुद्ध घी, बड़ा दीपक (पीतल), बाती और थोड़े चावल.

हवन के लिए सामग्री

हवन कुंड, रोजाना लौंग के 9 जोड़े, कपूर, सुपारी, गुग्गुल, लोबान, घी, पांच मेवा, चावल, आम की लकड़ी आदि.

कन्या पूजन के लिए सामग्री

कन्याओं के लिए वस्त्र, प्लेट, उपहार, अनाज आदि.

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“दैवज्ञ”डॉ श्रीपति त्रिपाठी

ज्योतिर्विद

संपर्क सूत्र न.-

9430669031

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