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जानें हिंदू नववर्ष के बारे में दस बड़ी बातें और क्या है इसका इतिहास?

Hindu Nav Varsh, Chaitra Navratri 2020: मार्च 25 से नया संवत्सर 2077 आरंभ हो गया है. नवरात्र की शुरूआत भी उसी दिन से होनी हैं. आपको बता दें कि हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नये हिंदू वर्ष की शुरूआत होती है. हिंदू परंपरा में यह दिन बहुत अहम माना गया है. इसी दिन से नए पंचांग की शुरूआत हो जाती हैं.

Hindu Nav Varsh, Chaitra Navratri 2020: मार्च 25 से नया संवत्सर 2077 आरंभ हो गया है. नवरात्र की शुरूआत भी उसी दिन से होनी हैं. आपको बता दें कि हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नये हिंदू वर्ष की शुरूआत होती है. हिंदू परंपरा में यह दिन बहुत अहम माना गया है. इसी दिन से नए पंचांग की शुरूआत हो जाती हैं.

भारत विविधताओं का देश रहा है, यही कारण हैं कि यहां आज भी यूरोपीय सभ्यता के कारण 1 जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है. विदेश तो विदेश अपने देश में भी लोग अंग्रेजी कलेंडर को फॉलो करते हैं. और उसी के अनुसार नववर्ष 1 जनवरी को मनाते हैं. लेकिन आपको मालूम ही होगा कि देश में मनाने वाले वर्ष भर के पर्व, उत्सव एवं अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त को हिंदू पंचांग के द्वारा ही सुनिश्चित किया जाता है.

हमारे सांस्कृतिक में अनेक काल गणनायें प्रचलित हैं. जिनमें विक्रम संवत, शक संवत, हिजरी सन, ईसवीं सन, वीरनिर्वाण संवत, बंग संवत आदि शामिल हैं. इस वर्ष 1 जनवरी को राष्ट्रीय शक संवत 1939, विक्रम संवत 2074, वीरनिर्वाण संवत 2544, बंग संवत 1424, हिजरी सन 1439 थी किन्तु 18 मार्च 2018 को चैत्र मास प्रारंभ होते ही शक संवत 1940 और विक्रम संवत 2075 हो रहे हैं. इस प्रकार हिंदू समाज के लिए नववर्ष प्रारंभ हो रहा है.

जानें इसका इतिहास

भारतीय संस्कृती में शुरू होने वाले कोई भी पर्व, अनुष्ठान या शुभ मुहूर्त हिन्दू पंचांग से ही तय की जाती है. ऋतु परिवर्तन के साथ ही इसकी शुरूआत हो जाती है. और वसंत ऋतु के सुहावने मौसम में इसे मनाया जाता है. आपको बता दें कि विक्रम संवत् की शुरूआत उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के नाम पर हुई थी. ऐसी मान्यता है कि सन् 1957 ई.पू. में राजा विक्रमादित्य को उनके न्यायप्रिय और लोकप्रिय के रूप में जाना जाता है.

विक्रमादित्य से पहले उज्जैन में शकों का शासन हुआ करता था. बताया जाता है कि वे अति क्रूर हुआ करते थे. और उन्हीं से राजा विक्रमादित्य ने उजैन की जनता को मुक्ति दिलायी थी. अत: उन्हीं की याद में 2075 वर्ष पूर्व विक्रम संवत पंचांग का निर्माण किया गया.

भारत में क्यों महत्वपूर्ण है हिंदू नववर्ष

– ऐसा माना गया है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी.

– हिन्दू-समाज इसी कारणवश भारतीय नववर्ष को हर्षोल्लास से मनाते हैं.

– प्राचीनकाल में भगवान श्री राम और युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था,

– मां दुर्गा की नौ दिनों की पूजा चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से ही शुरू होती है,

– इसी दिन आर्यसमाज का स्थापना भी हुआ था,

– संत झूलेलाल की जयंती भी इसी दिन मनायी जाती है

– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार जी का जन्मदिन भी इसी दिन हुआ था,

दुभार्ग्य की बात ये है कि हम विदेशी परंपराओं को अपनाएं बैठे हैं और और भारतीय परंपराओं को फॉलो नहीं करते. भारत में ऐसे कई लोग है जिन्हें पंचांग की तिथियां, नक्षत्र, पक्ष, संवत् आदि मालूम नहीं है.

इसकी 10 महत्वपूर्ण बातें

– भारतीय संवत में ग्रहों, नक्षत्रों, चांद, सूरज आदि की गणना कर 6 ऋतुओं और 12 महीनों का एक साल होता है.

– हिंदू महीनों का नाम सूर्य-चंद्रमा और ग्रह-नक्षत्रों पर रखा गया है.

– ज्येष्ठा के आधार पर ज्येष्ठ, चित्रा नक्षत्र के आधार पर चैत्र, विशाखा के आधार पर बैसाख, उत्तराषाढ़ा पर आषाढ़, श्रवण के आधार पर श्रावण आदि

– आपको बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार हजारों वर्ष पहले ही यह घोषणा कर दी गई थी कि किस दिन, किस समय पर सूर्य व चंद्र ग्रहण होगा. आज भी यह गणना विज्ञान को अचंभीत करती हैं.

– आपने देखा होगा कि सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है और चंद्रग्रहण पूर्णिमा को ही होता है चाहे तिथि घटे या बढ़े. इसी आधार पर दिन-रात, सप्ताह, महीने, साल और ऋतुओं को सुनिश्चित किया गया है.

– इस दुनिया की रचना भगवान ब्रह्मा ने की है.

– हमारे पूर्वज पहले सूर्य और चंद्रमा की गति को देखकर ही पता लगा लेते थे कि आज कौन सा दिन, अभी कौन सा मौसम और कौन सा वर्ष वगैरह चल रहा है. भारत में आज भी कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां ऐसे ही अनुमान लगाया जाता हैं.

– चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के जिस दिन (वार) से विक्रमी संवत शुरू होता है, वही इस संवत का राजा होता है. सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करता है, तो वह संवत का मंत्री होता है. विक्रम संवत समस्त संस्कारों, पर्वों एवं त्योहारों की रीढ़ माना जाता है. समस्त शुभ कार्य इसी पंचांग की तिथि से ही किए जाते हैं.

जानें नवरात्र की तिथि

– पहला नवरात्र, 25, मार्च 2020 (बुधवार) को है और इस दिन शैलपुत्री माता की पूजा होगी.

– दूसरा नवरात्र, 26, मार्च 2020 (गुरुवार) को है और इस दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा होगी

– तीसरा नवरात्र, 27, मार्च 2020 (शुक्रवार) को है और इस दिन माता चंद्रघंटा की पूजा होगी

– चौथा नवरात्र, 28, मार्च 2020 (शनिवार) को है और इस दिन कुष्मांडा माता की पूजाहोगी

– पांचवा नवरात्र, 29, मार्च 2020 (रविवार) को है और इस दिन स्कंदमाता की पूजा होगी

– छठा नवरात्र, 30, मार्च 2020 (सोमवार) को है और इस दिन कात्यायनी माता की पूजा होगी

– सातवां नवरात्र, 31, मार्च 2020 (मंगलवार) को है और कालरात्रि माता की इस दिन पूजा होगी

– आठवां नवरात्र, 1, अप्रैल 2020 (बुधवार) को है और इस दिन महागौरी माता की पूजा होगी

– नौवां नवरात्र, 2, अप्रैल 2020 (गुरुवार) को है और माता सिद्धिदात्री की इस दिन पूजा होगी

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