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Heart Disease Astrology: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कौन से ग्रह के कारण होता है हृदय रोग, जाने कारण तथा उपाय

Heart Disease Astrology: वैदिक ज्योतिष एक अच्छा मार्गदर्शन करने का बेहतरीन सहारा है. इससे आप पता लगा सकते है कौन से ग्रह के कारण शरीर में बिमारी बन रही है या बनती है. आइए जानते हैं कौन से ग्रह के कारण हृदय रोग होता है.

Heart Disease Astrology: ज्योतिष चिकित्सा से आप पता कर सकते है व्यक्ति के कौन सा अंग प्रभावित होगा आज कल बिमारी कई तरह से चल रहा है जो व्यक्ति के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है जन्मकुंडली में रोग का भाव छठा भाव है इससे मालूम किया जाता है व्यक्ति कौन से रोग से परेशान रहेगा ऐसे तो नव ग्रह का प्रभाव हमारे शरीर पड़ता है. आज आपको हृदय संबंधित रोग के बारे में बताएंगे किस ग्रह के कारण व्यक्ति ह्रदय रोग से परेशान रहते है.

ग्रहों का अनुकूल नहीं होने पर क्या होता प्रभाव

आपने देखा होगा कई लोग खूब मेहनत करते है लेकिन उनको कोई सफलता नहीं मिलता है वही कई लोग कम मेहनत करके अच्छे मुकाम प्राप्त कर लेते है इसका मुख्य कारण ग्रहों का प्रभाव होता है इसी तरह ग्रह का प्रभाव ठीक नहीं होने के कारण व्यक्ति अस्वस्थ्य रहता है, कई लोग तो भयंकर बिमारी से परेशान रहते है इसका भी मुख्य कारण ग्रहों का अनुकूल नहीं होना होता है.

ह्रदय रोग का प्रभाव कैसा होता है

ह्रदय रोग एक प्रकार से देखा जाए तो कोई रोग नहीं है बल्कि इससे कई प्रकार की बिमारी को गिना जाता है, साधरण तौर पर हृदयाघात का मतलब होता है ह्रदय का रुक जाना या वाल्ब में छिद्र होना और नलिकाओं में रक्त के थक्के का जमाव होना आदि कई प्रकार के विकार आते है.

हार्ट अटैक के लक्षण

हार्ट अटैक के समय छाती के मध्य में तेज का दर्द होता है तथा बाह में दर्द होता है. धीरे -धीरे पुरे शरीर में बैचैनी होने लगता है. यह दर्द लगभग आधे घंटे तक बना रहता है यदि व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से नहीं दिखाया जाए या तुरंत कोई प्राथमिक उपचार नहीं मिले तो काफी नुकसान देता है.शरीर को सुस्त कर देता है, सांस लेने में तकलीफ होता है ज्यादा खराब हालत होने पर बैचैनी सी होने लगती है ऐसे में तुरंत चिकित्सक से दिखाना बहुत जरूरी होता है.

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ह्रदय रोग कैसे होता है

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति के जन्मकुंडली में सूर्य चंद्रमा पर राहु की कुदृष्टि हो तो 40 से 50 वर्ष की आयु में हृदया घात की समस्या बनती है. हृदय घात स्थल पर कर्क और सिंह राशि का प्रभाव रहता है जिसका स्वामी चंद्रमा और सूर्य है. राहु के साथ मंगल होने के कारण व्यक्ति मादक पदार्थ का सेवन करने लगता है जिसे जल्दी यह शिकायत बनती है. यदि सूर्य और चंद्रमा से दृष्टि वृहस्पति लगन में बैठा हो तो मोटापे के कारण हृदयाघात की संशय बढ़ जाती है.

बचाव के लिए कौन सा रत्न धारण करें

हार्ट अटैक की बीमारी होने पर व्यक्ति को चाहिए मूंगा या पुखराज रत्न धारण करे यदि लाभ होता है. जन्मकुंडली दिखाकर मोती या पन्ना रत्न धारण करने से निश्चित लाभ होता है.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा  

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

8080426594/9545290847

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JayshreeAnand
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कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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