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Dev Deepawali 2025: देव दीपावली पर गंगा के अलावा इन जगहों पर करें दीपदान, जानिए इन स्थानों पर दीप जलाने के लाभ

Dev Deepawali 2025: सनातन धर्म में मान्यता है कि देव दीपावली पर गंगा में दीपदान करने से घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा आती है. लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे स्थान हैं जहां दीपदान करना शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं आज गंगा के अलावा और कौन से जगह दीप जरूर जलाना चाहिए.

Dev Deepawali 2025: देव दीपावली पर गंगा घाटों की रौनक देखने लायक होती है, लेकिन पवित्रता केवल वहीं तक सीमित नहीं है. देशभर में यमुना, सरयू, नर्मदा, गोदावरी, और पुष्कर सरोवर जैसे तीर्थस्थलों पर भी दीपदान का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि जहां श्रद्धा होती है, वहीं देवता वास करते हैं, इसलिए किसी भी पवित्र जलस्थल या मंदिर में दीपदान शुभ माना गया है.

देव दीपावली का धार्मिक महत्व

देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. कहा जाता है कि इस दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर उतरते हैं और गंगा में स्नान करते हैं. इसलिए इसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है. वाराणसी के गंगा घाट पर लाखों दीयों से जब पूरा शहर जगमगाता है, तो वह दृश्य स्वर्ग समान लगता है. लेकिन अगर आप वाराणसी नहीं जा पा रहे, तो आप अपने आस-पास भी दीपदान कर सकते हैं.

गंगा के अलावा पवित्र नदियां और स्थान

देव दीपावली पर केवल गंगा ही नहीं, बल्कि देश की अन्य पवित्र नदियाँ जैसे- यमुना, गोदावरी, नर्मदा, सरयू, ताप्ती और कृष्णा नदी — इन सभी में दीपदान करना अत्यंत शुभ माना गया है.

अगर आप इन स्थानों तक नहीं जा सकते, तो किसी तालाब, सरोवर या कुएँ के पास भी श्रद्धा से दीप जलाना शुभ फल देता है.

घर या मंदिर में दीपदान का महत्व

  • अगर आसपास नदी या तालाब नहीं है, तो घर के मंदिर में दीप जलाना भी देव दीपावली का प्रतीक माना जाता है.
  • घर के दरवाजे, बालकनी या छत पर दीये जलाकर आप देवताओं का स्वागत कर सकते हैं. ऐसा करने से घर में बरकत आती है.
  • वास्तु के अनुसार, घर के उत्तर-पूर्व दिशा में दीप जलाना शुभ होता है, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.

दीपदान की धार्मिक मान्यता

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति कार्तिक पूर्णिमा की रात दीपदान करता है, उसके जीवन के अंधकार दूर हो जाते हैं. भगवान विष्णु और माँ गंगा की कृपा से उसके घर में सुख-समृद्धि आती है.

देव दीपावली पर दीपदान कब करना चाहिए?

दीपदान का सबसे शुभ समय संध्या के बाद, प्रदोष काल में माना गया है, जब गंगा आरती या घर की पूजा पूरी हो जाती है.
इस समय देवता पृथ्वी पर उपस्थित माने जाते हैं.

दीपदान के लिए कितने दीये जलाना शुभ माना जाता है?

कोई निश्चित संख्या नहीं है, परंतु परंपरा के अनुसार 11, 21, 51, 108 या 365 दीये जलाना शुभ माना गया है.
कई लोग संकल्प लेकर 1008 या उससे अधिक दीप भी जलाते हैं.

दीपदान करते समय कौन-सा तेल और बाती प्रयोग करनी चाहिए?

शुद्ध घी या तिल के तेल का दीप सबसे शुभ माना गया है.
कपास की बाती का उपयोग करें और दीप जलाते समय भगवान विष्णु या शिव का नाम लें.

ये भी पढ़ें: Dev Deepawali 2025: आज पृथ्वीलोक पर दीपावली मनाने आएंगे देवता, मनेगी देव दीवाली

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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