16.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Chanakya Niti: कभी भी मौत का कारण बन सकती है मनुष्य की ये आदतें, जानिए क्या कहते है चाणक्य…

Chanakya Niti Hindi: आचार्य चाणक्य को श्रेष्ठ विद्वान माने जाते हैं. आचार्य चाणक्य एक महान शिक्षक होने के साथ-साथ अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र और कूटनीति शास्त्र जैसे कई विषयों के विशेषज्ञ थे. चाणक्य ने हर उस रिश्ते का बहुत ही गहराई से अध्ययन किया था, जो मनुष्य को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं.

Chanakya Niti Hindi: आचार्य चाणक्य को श्रेष्ठ विद्वान माने जाते हैं. आचार्य चाणक्य एक महान शिक्षक होने के साथ-साथ अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र और कूटनीति शास्त्र जैसे कई विषयों के विशेषज्ञ थे. चाणक्य ने हर उस रिश्ते का बहुत ही गहराई से अध्ययन किया था, जो मनुष्य को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं. इन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की है. चाणक्य को राजनीति और कूटनीति का माहिर माना जाता है. चाणक्य ने हर उस विषय का अध्ययन किया है जो मनुष्य को प्रभावित करता है. चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र यानी चाणक्य नीति के 8वें अध्याय के एक श्लोक में मौत के समान मनुष्य के आदत के बारे में बताया है. आइए जानते हैं चाणक्य की इस नीति के बारे में..

श्लोक

क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी।

विद्या कामदुधा धेनु: सन्तोषो नन्दनं वनम्॥

चाणक्य के मुताबिक, गुस्सा काल के समान होता है. क्रोध मृत्यु के समान है. विद्या कामधेनु की तरह फल देने वाली है और संतोष नंदनवन के समान है. चाणक्य के अनुसार, संतोष सबसे बड़ी व उत्तम चीज है. चाणक्य कहते हैं कि क्रोध यमराज के समान है क्योंकि क्रोधी मनुष्य पाप कर डालता है. नीति शास्त्र के अनुसार, क्रोध से भरा व्यक्ति कुछ भी कर सकता है और श्रेष्ठ पुरुषों का भी अपमान कर देता है.

चाणक्य कहते हैं कि तृष्णा का छूटना भी कठिन है. लेकिन विद्या एक मात्र ऐसी चीज है, जिससे सबकुछ पाया जा सकता है. चाणक्य कहते हैं कि विद्या से विनम्रता आती है और विनम्रता से योग्यता, योग्यता से व्यक्ति को धन प्राप्त होता है. धन से धर्म और धर्म से सुख प्राप्त होता है.

व्यक्ति का गुस्सा काल के समान होता है, क्रोध मृत्यु के समान है. तृष्णा वैतरणी नदी के समान है. विद्या कामधेनु की तरह फल देने वाली है और संतोष नंदनवन के समान है. चाणक्य के मुताबिक संतोष सबसे बड़ी व उत्तम चीज है.

क्रोध की तुलना यमराज से की गई है, क्योंकि क्रोधी मनुष्य पाप कर डालता है. क्रोध में गुरुजनों की भी हत्या कर देता है और श्रेष्ठ पुरुषों का भी अपमान कर देता है.

तृष्णा वैतरणी नदी है, जिस प्रकार वैतरणी पार करना कठिन है, उसी प्रकार तृष्णा का छूटना भी कठिन है. लेकिन विद्या कामधेनु के समान है. विद्या से सबकुछ प्राप्त किया जा सकता है.

विद्या से विनम्रता आती है, विनम्रता से योग्यता आती है, योग्यता से धन की प्राप्ति होती है, धन से धर्म होता है और धर्म से सुख मिलता है.

News Posted by: Radheshyam Kushwaha

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel