Belpatra Importance: भगवान शिव की पूजा में हर सामग्री का अपना खास महत्व होता है. इन्हीं में से एक है बेलपत्र, जो शिवभक्तों के लिए आस्था का प्रतीक माना जाता है. हर सोमवार और सावन मास में जब शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है, तो उसके साथ बेलपत्र अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है.
बेलपत्र महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों में बताया गया है कि भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है. ऐसा माना जाता है कि जब समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को शिव ने अपने कंठ में धारण किया था, तब बेलपत्र ने उस विष की गर्मी को शांत करने में मदद की थी. तभी से शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने की परंपरा शुरू हुई. कहा जाता है कि इससे मनुष्य के सभी दोष और पाप दूर होते हैं तथा जीवन में शांति और समृद्धि आती है.
देवी लक्ष्मी और बेल वृक्ष का संबंध
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बेल वृक्ष में देवी लक्ष्मी का वास होता है और यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. इसलिए जब शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित किया जाता है, तो यह माता लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त करने का माध्यम बनता है.
त्रिदेव का प्रतीक होता है बेलपत्र
बेलपत्र आमतौर पर तीन पत्तियों वाला होता है. कहा जाता है कि ये तीन पत्तियां ब्रह्मा, विष्णु और महेश – तीनों देवताओं का प्रतीक हैं. इसीलिए भगवान शिव को चढ़ाया गया एक बेलपत्र पूरे ब्रह्मांड की पूजा के समान माना जाता है.
पापों से मुक्ति का माध्यम
‘शिव पुराण’ में कहा गया है कि जो भक्त श्रद्धा से शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
वैज्ञानिक दृष्टि से बेलपत्र के लाभ
बेलपत्र में औषधीय गुण पाए जाते हैं. यह वातावरण को शुद्ध करता है और शरीर में ठंडक बनाए रखता है. गर्मी और तनाव को कम करने की इसकी क्षमता के कारण भी इसे भगवान शिव, जो स्वयं ‘शांत’ और ‘योगी’ स्वरूप हैं, से जोड़ा गया है.
पूजा के नियम और सावधानियां
शास्त्रों के अनुसार, बेलपत्र हमेशा साफ और बिना कटे हुए होने चाहिए. उस पर नाखून से कोई निशान नहीं होना चाहिए. इसके अलावा, बेलपत्र पर ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है.
क्या भगवान शिव को सूखे बेलपत्र चढ़ा सकते हैं?
नहीं, बेलपत्र हमेशा ताजे और हरे होने चाहिए.
क्या बेलपत्र पर नाम लिखा जा सकता है?
नहीं, केवल ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘ॐ’ लिखा जा सकता है.
बेलपत्र कब नहीं तोड़ना चाहिए?
सोमवार और अमावस्या के दिन बेलपत्र तोड़ना निषेध माना गया है.आप इन्हें एक दिन पहले तोड़ कर रख सकते हैं.
कितने बेलपत्र चढ़ाने चाहिए?
संख्या में – 3, 5, 7, 11 या 21 बेलपत्र अर्पित करना शुभ होता है.
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