भगवान गणेश भगवान शिव और पार्वती के पुत्र हैं. उनका वाहन मूषक है. गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है. ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं. हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं. गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है. इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते है.
हिन्दू संस्कृति और पूजा में भगवान श्रीगणेश जी को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है. हर शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है. देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना सबसे पहले करते हैं. इसी कारण भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. विघ्नहर्ता का अर्थ होता है सभी तरह की परेशानियों को खत्म करने वाला. हर बुधवार के शुभ दिन गणेशजी की उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और सभी तरह की रुकावटें दूर होती हैं.
भगवान गणेश के इस मंत्र से बनेंगे बिगड़े काम
‘त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।’
(भगवान गणेश आप सभी बुद्धियों को देने वाले, बुद्धि को जगाने वाले और देवताओं के भी ईश्वर हैं. आप ही सत्य और नित्य बोधस्वरूप हैं। आपको मैं सदा नमन करता हूं.)
शत्रुओं से बचाव और ग्रह दोष को दूर करने के लिए मंत्र
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।
दु:ख दूर करने वाले कुछ उपाय
1. बुधवार के दिन अपने घर में सफेद रंग के गणपति की स्थापना करने से सभी प्रकार की तंत्र शक्ति का नाश होता है.
2. धन की प्राप्ति के लिए बुधवार के दिन भगवान गणेश को घी और गुड़ का भोग लगाएं. थोड़ी देर बाद घी व गुड़ गाय को खिला दें. ये उपाय करने से धन संबंधी समस्या का नाश होता है.
3. परिवार में कलह हो तो बुधवार के दिन दूर्वा के गणेश जी की प्रतिकात्मक मूर्ति बनवाएं. इसे अपने घर के देवालय में स्थापित करें और प्रतिदिन इसकी विधि-विधान से पूजा करें.
4. घर के मुख्य दरवाजे पर भगवान गणेश की प्रतिमा लगाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. कोई भी नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर पाती है.
गणेश जी के इन नामों का जप करें
ॐ गणपतये नम, ॐ गणेश्वराय नमः, ॐ गणक्रीडाय नमः, ॐ गणनाथाय नमः, ॐ गणाधिपाय नमः, ॐ एकदंष्ट्राय नमः, ॐ वक्रतुण्डाय नमः, ॐ गजवक्त्राय नमः, ॐ मदोदराय नमः, ॐ लम्बोदराय नमः, ॐ धूम्रवर्णाय नमः, ॐ विकटाय नमः, ॐ विघ्ननायकाय नमः, ॐ सुमुखाय नमः, ॐ दुर्मुखाय नमः, ॐ बुद्धाय नमः, ॐ विघ्नराजाय नमः, ॐ गजाननाय नमः, ॐ भीमाय नमः, ॐ प्रमोदाय नमः, ॐ आनन्दाय नमः, ॐ सुरानन्दाय नमः, ॐ मदोत्कटाय नमः, ॐ हेरम्बाय नमः, ॐ शम्बराय नमः, ॐ शम्भवे नमः, ॐ लम्बकर्णाय नमः, ॐ महाबलाय नमः, ॐ नन्दनाय नमः, ॐ अलम्पटाय नमः, ॐ भीमाय नमः, ॐ मेघनादाय नमः, ॐ गणञ्जयाय नमः, ॐ विनायकाय नमः, ॐविरूपाक्षाय नमः, ॐ धीराय नमः, ॐ शूराय नमः, ॐ वरप्रदाय नमः, ॐ महागणपतये नमः, ॐ बुद्धिप्रियायनमः, ॐ क्षिप्रप्रसादनाय नमः, ॐ रुद्रप्रियाय नमः, ॐ गणाध्यक्षाय नमः, ॐ उमापुत्राय नमः, ॐ अघनाशनायनमः, ॐ कुमारगुरवे नमः, ॐ ईशानपुत्राय नमः, ॐमूषकवाहनाय नः, ॐ सिद्धिप्रदाय नमः, ॐ सिद्धिपतयेनमः, ॐ सिद्ध्यै नमः, ॐ सिद्धिविनायकाय नमः, ॐ विघ्नाय नमः, ॐ तुङ्गभुजाय नमः, ॐ सिंहवाहनायनमः, ॐ मोहिनीप्रियाय नमः, ॐ कटिंकटाय नमः, ॐराजपुत्राय नमः, ॐ शकलाय नमः, ॐ सम्मिताय नमः, ॐ अमिताय नमः, ॐ कूश्माण्डगणसम्भूताय नमः, ॐ दुर्जयाय नमः, ॐ धूर्जयाय नमः, ॐ अजयाय नमः, ॐ भूपतये नमः, ॐ भुवनेशाय नमः, ॐ भूतानां पतये नमः, ॐ अव्ययाय नमः, ॐ विश्वकर्त्रे नमः, ॐ विश्वमुखाय नमः, ॐ विश्वरूपाय नमः, ॐ निधये नमः, ॐ घृणये नमः, ॐ कवये नमः, ॐ कवीनामृषभाय नमः, ॐ ब्रह्मण्याय नमः, ॐ ब्रह्मणस्पतये नमः, ॐ ज्येष्ठराजाय नमः, ॐ निधिपतये नमः, ॐ निधिप्रियपतिप्रियाय नमः, ॐ हिरण्मयपुरान्तस्थायनमः, ॐ सूर्यमण्डलमध्यगाय नमः, ॐ कराहतिध्वस्तसिन्धुसलिलाय नमः, ॐ पूषदन्तभृते नमः, ॐ उमाङ्गकेळिकुतुकिने नमः, ॐ मुक्तिदाय नमः, ॐ कुलपालकाय नमः, ॐ किरीटिने नमः, ॐ कुण्डलिने नमः, ॐ हारिणे नमः, ॐ वनमालिने नमः, ॐ मनोमयाय नमः, ॐ वैमुख्यहतदृश्यश्रियै नमः, ॐ पादाहत्याजितक्षितये नमः, ॐ सद्योजाताय नमः, ॐ स्वर्णभुजाय नमः, ॐ मेखलिन नमः, ॐ दुर्निमित्तहृते नमः, ॐ दुस्स्वप्नहृते नमः, ॐ प्रहसनाय नमः, ॐ गुणिनेनमः, ॐ नादप्रतिष्ठिताय नमः, ॐ सुरूपाय नमः, ॐ सर्वनेत्राधिवासाय नमः, ॐ वीरासनाश्रयाय नमः, ॐ पीताम्बराय नमः, ॐ खड्गधराय नमः, ॐ खण्डेन्दुकृतशेखराय नमः, ॐ चित्राङ्कश्यामदशनायनमः, ॐ फालचन्द्राय नमः, ॐ चतुर्भुजाय नमः, ॐ योगाधिपाय नमः, ॐ तारकस्थाय नमः, ॐ पुरुषाय नमः, ॐ गजकर्णकाय नमः, ॐ गणाधिराजाय नमः, ॐ विजयस्थिराय नमः, ॐ गणपतये नमः, ॐ ध्वजिने नमः, ॐ देवदेवाय नमः, ॐ स्मरप्राणदीपकाय नमः, ॐ वायुकीलकाय नमः, ॐ विपश्चिद्वरदाय नमः, ॐ नादाय नमः, ॐ नादभिन्नवलाहकाय नमः, ॐ वराहवदनाय नमः, ॐ मृत्युञ्जयाय नमः, ॐ व्याघ्राजिनाम्बराय नमः, ॐ इच्छाशक्तिधराय नमः, ॐ देवत्रात्रे नमः, ॐ दैत्यविमर्दनाय नमः, ॐ शम्भुवक्त्रोद्भवाय नमः, ॐ शम्भुकोपघ्ने नमः, ॐ शम्भुहास्यभुवे नमः, ॐ शम्भुतेजसे नमः, ॐ शिवाशोकहारिणे नमः, ॐ गौरीसुखावहाय नमः, ॐ उमाङ्गमलजाय नमः, ॐ गौरीतेजोभुवे नमः, ॐ स्वर्धुनीभवाय नमः, ॐ यज्ञकायाय नमः, ॐ महानादाय नमः, ॐ गिरिवर्ष्मणे नमः, ॐ शुभाननाय नमः, ॐ सर्वात्मने नमः, ॐ सर्वदेवात्मने नमः, ॐ ब्रह्ममूर्ध्ने नमः, ॐ ककुप्छ्रुतये नमः, ॐ ब्रह्माण्डकुम्भाय नमः, ॐ चिद्व्योमफालाय नमः, ॐ सत्यशिरोरुहाय नमः, ॐ जगज्जन्मलयोन्मेषनिमेषाय नमः, ॐ अग्न्यर्कसोमदृशेनमः, ॐ गिरीन्द्रैकरदाय नमः, ॐ धर्माय नमः, ॐ धर्मिष्ठाय नमः, ॐ सामबृंहिताय नमः, ॐ ग्रहर्क्षदशनाय नमः, ॐ वाणीजिह्वाय नमः, ॐ वासवनासिकाय नमः, ॐ कुलाचलांसाय नमः,ॐ सोमार्कघण्टाय नमः, ॐ रुद्रशिरोधराय नमः, ॐ नदीनदभुजाय नमः, ॐ सर्पाङ्गुळिकाय नमः, ॐ तारकानखाय नमः, ॐ भ्रूमध्यसंस्थतकराय नमः, ॐ ब्रह्मविद्यामदोत्कटाय नमः, ॐ व्योमनाभाय नमः, ॐ श्रीहृदयाय नमः, ॐ मेरुपृष्ठाय नमः, ॐ अर्णवोदराय नमः, ॐ कुक्षिस्थयक्षगन्धर्वरक्षः किन्नरमानुषाय नमः.