पटना : कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी 08 नवंबर (शुक्रवार) को देवोत्थान एकादशी और तुलसी विवाह व्रत मनाया जायेगा. इस दिन भगवान नारायण लगभग चार महीने बाद शयन से जायेंगे और चतुर्मास व्रत का समापन हो जायेगा.
इसके साथ ही चार माह से रूके हिंदू धर्माविलंबियों के मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. धार्मिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ शुक्ल हरिशयन एकादशी के दिन भगवान चार महीने के लिए शयन करने चले जाते हैं और भादो शुक्ल पक्ष एकादशी (करमा एकादशी) के दिन करवट लेते हैं. प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के दिन वे शयन से जागते हैं.
इस दौरान श्री हरि पाताल लोक में राजा बलि के यहां निवास करते हैं. चतुर्मास के देवता और संचालनकर्ता भगवान शिव होते हैं. इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं. पंडित श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश करने के बाद कार्तिक शुक्ल देवोत्थान एकादशी को भगवान विष्णु अपनी योग साधना से निवृत होंगे. इसके बाद शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जायेगी.
तुलसी विवाद का शुभ मुहूर्त सुबह 08:05 बजे से
आठ नवंबर को तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त सुबह 8.05 बजे से 9.20 बजे तक रहेगा. तुलसी विवाह कराने से कन्या दान का लाभ मिलता है. इसे हिंदू धर्म में सबसे बड़ा दान भी माना जाता है. तुलसी विवाह बहुत लोग एकादशी को करते हैं. कुछ लोग द्वादशी को भी करते हैं. तुलसी विवाह के दिन शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है और माता तुलसी के साथ विवाह किया जाता है.
तुलसी के पौधे की पूजा प्रत्येक घर में होती है. हिंदू धर्म के अनुसार तुलसी पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. यह दिन उन लोगों के लिए विशेष फलदायी होता है, जिनके घर में बेटियां नही होती. वैसे तुलसी की पत्तियों का औषधीय व धार्मिक महत्व भी है. तुलसी भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है, इसलिए तुलसी के पत्ते से भगवान विष्णु की पूजा करने पर अधिक लाभ होता है.