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भैया दूज आज : भाइयों की लंबी उम्र के लिए दुआएं करेंगी बहनें, जानें इसके पीछे की कहानी
बिहार, झारखंड तथा उत्तर प्रदेश में में मनाया जानेवाला प्रमुख त्योहार है गोधन पटना : आज भैया दूज है. रक्षा बंधन की तरह ही दीपावली के बाद मनाये जाने वाले पर्व ‘भैया दूज’ का भी अपना खास महत्व होता है. भाई-बहन के परस्पर प्रेम और स्नेह का प्रतीक भैया दूज दीपावली के बाद कार्तिक मास […]
बिहार, झारखंड तथा उत्तर प्रदेश में में मनाया जानेवाला प्रमुख त्योहार है गोधन
पटना : आज भैया दूज है. रक्षा बंधन की तरह ही दीपावली के बाद मनाये जाने वाले पर्व ‘भैया दूज’ का भी अपना खास महत्व होता है. भाई-बहन के परस्पर प्रेम और स्नेह का प्रतीक भैया दूज दीपावली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपनी भाइयों को रोली और अक्षत से तिलक करके उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं. इसे भाई बहन के प्यार और त्याग के त्योहार के रूप में मनाया जाता है.
मृत्यु के देवता यम की होती है पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार दीपावली के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने भाइयों को घर पर आमंत्रित कर उन्हें तिलक लगाकर भोजन कराती हैं. वहीं, एक ही घर में रहने वाले भाई-बहन इस दिन साथ बैठकर खाना खाते हैं. इस त्योहार को यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है.
भैया दूज मनाने के पीछे यह है कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज और यमुना का जन्म हुआ था. यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं. वह उससे बराबर निवेदन करतीं कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करे. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे. फिर कार्तिक शुक्ला का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया. यमराज ने सोचा, मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता.
बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया. यमुना के आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा. यमुना ने कहा, भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे. यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर विद ली. तभी से भैया दूज की परंपरा शुरू हुई. ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता. इसी वजह से भैया दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है.
गोधन कूट कर भाई को खिलाती हैं बहनें
भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को गोधन कूट कर खिलाती हैं. इससे पहले घर की माताएं-बहनें सामूहिक रूप से इकट्ठा होकर गोधन कूटती हैं. पूजा के दौरान बहनें अपने भाइयों को श्राप भी देती हैं. फिर थोड़ी देर बाद पश्चाताप करने के लिए जीभ पर रेंगनी का कांटा चुभाती हैं और भाइयों के लंबी उम्र की दुआएं करती हैं. इस दौरान कई सारे लोकगीतों की झंकार भी सुनने को मिलते हैं. पूजा के बाद बहनें भाइयों को गोधन का प्रसाद खिलाती हैं. इसके बाद दोनों मिलकर भोजन करते हैं.
पूजा का समय सुबह 6:13 बजे हाेगा शुरू
दैवज्ञ श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि इस वर्ष सूर्योदय से सूर्यास्त तक बहनों को भाई दूज का टीका करने का अवसर मिलेगा. इस बार यम द्वितीया की तिथि मंगलवार की सुबह 06:13 बजे से बुधवार की सुबह 03:48 मिनट तक है. ‘भाई दूज’ को ‘गोधन’ के नाम से भी जाना जाता है.
बिहार, झारखंड तथा उत्तर प्रदेश में कुछ हिस्सों में मनाया जानेवाला यह एक प्रमुख त्योहार है. इसमें बहनें घर के मुख्य द्वार पर गोधन का चौका बनाती हैं. उस चौके के अंदर भाइयों के दुश्मनों के प्रतीक स्वरूप गोबर से यम, यामिन, दंड, मूसल, सांप, बिच्छू आदि बनाये जाते है. फिर उसमें नारियल, पान, सुपारी आदि रख कर उसे डंडे से कूटती हैं. उसके बाद भाइयों की लंबी आयु की कामना करते हुई रूई की मालाएं बनाती है. इस माला को बनाते वक्त मौन रहा जाता है और भाई के लिए मंगलकामना की जाती है.
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