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गणपति व चंद्र देव की ऐसे करें उपासना, कटेंगे अपयश के योग

हिंदू पंचांग में प्रत्येक चंद्र मास में दो चतुर्थी होती हैं. पूर्णिमा के बाद आनेवाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आनेवाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. हालांकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने में होता है, लेकिन सबसे मुख्य संकष्टी चतुर्थी पूर्णिमांत पंचांग […]

हिंदू पंचांग में प्रत्येक चंद्र मास में दो चतुर्थी होती हैं. पूर्णिमा के बाद आनेवाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आनेवाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं.
हालांकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने में होता है, लेकिन सबसे मुख्य संकष्टी चतुर्थी पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार माघ महीने में पड़ती है और अमांत पंचांग के अनुसार पौष के महीने में पड़ती है. इस बार यह तिथि सोमवार, 26 नवंबर को है. इस दिन भगवान गणेश की और चंद्र देव की उपासना करने का विधान है. जो कोई भी इस दिन श्रीगणपति की उपासना करता है, उसके जीवन के संकट टल जाते हैं.
साथ ही संतान संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं. अपयश और बदनामी के योग कट जाते हैं. हर तरह के कार्यों की बा धा दूर होती है. धन तथा कर्ज संबंधी समस्याओं का समाधान होता है. इस दिन प्रातःकाल स्नान करके गणेश जी की पूजा का संकल्प लें. दिन भर जलधार या फलाहार ग्रहण करें. संध्याकाल में भगवान गणेश की विधिवत उपासना करें. पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप अवश्य करें –
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

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